एक्सप्लोरर

SCO की बैठक, रिश्तों में तनातनी और 12 साल बाद पाक विदेश मंत्री का भारत दौरा... बिलावल भुट्टो के पास है ये शानदार मौका

गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की विदेश मंत्री स्तर की दो दिवसीय बैठक 4 मई से शुरू हो रही है. यूक्रेन युद्ध की छाया में यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब चीन की विस्तारवादी नीति भी कई देशों को खटक रही है. भारत इस वर्ष एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और इस मीटिंग को भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर चेयर करेंगे. बैठक में यूं तो बाकी देशों के विदेश मंत्री भी आ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो पर ही सभी की नज़र है.

भारत में पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री का यह दौरा 12 वर्षों बाद हो रहा है. इससे पहले हिना रब्बानी खार 2011 में भारत आई थीं. नजर इस पर भी रहेगी कि बिलावल किसी तरह की गंभीरता दिखाते हैं या हमेशा की तरह कोई अगंभीर या अपरिष्कृत बयान देकर सुर्खियां बटोर ले जाते हैं.

यह बैठक केवल पाकिस्तान केंद्रित नहीं

SCO की इस बैठक  के बारे में एक बात जो गौर करने की है, वह ये है कि इसके 8 सदस्यों में एक सदस्य पाकिस्तान भी है. इस तथ्य को दिमाग में हम रख लें, तो उसके बाद चीजों को समझना आसान होगा. पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि उनके विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ही इस मीटिंग में पाकिस्तान को लीड करेंगे. ये दो तथ्य हैं. हालांकि, मीडिया में जो बातें चल रही हैं कि ये एक CBM यानी 'कॉन्फिंडेंस बिल्डिंग मेजर' होगा, पाकिस्तान शांति के लिए कुछ प्रयास नए सिरे से करेगा, वह थोड़ा 'अधिक आशावादी' दिखता है. कहने को तो पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने ये भी कहा कि तीन युद्धों से उनका नुकसान ही हुआ है, कुछ हासिल नहीं हुआ और वह शांति चाहते हैं. भारत का स्टैंड बिल्कुल साफ है, इस मामले में. हमारे विदेश मंत्री ने न्यूयॉर्क में जो स्टेटमेंट दिया वही भारत का स्टैंड है कि पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद की धुरी है और जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद की खेती बंद नहीं करता, भारत के साथ आधिकारिक स्तर पर इंगेजमेंट तो संभव नहीं दिखता है. यही बिलावल भुट्टो हैं, जिन्होंने भारतीय प्रधानमंत्री की 'असभ्य' तरीके से आलोचना की थी. भारत की अब यही नीति है कि जब तक आतंकवाद बंद नहीं, तब तक बातचीत की गुंजाइश कम हैं.

पाकिस्तान गंभीर संकट में, लक्ष्य कुछ और

पाकिस्तान जब से बना है, यानी 1947 से ही वह गंभीर आर्थिक संकट में है. आप अगर वहां के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का बयान याद करें तो उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान दिवालिया होने जा रहा है, 'मेल्टडाउन' या डिफॉल्ट की ओर बढ़ रहा है. इसके पीछे कारण यह है कि सीपेक (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) में 65 बिलियन डॉलर जो चीन ने इनवेस्ट किया है, उसका वास्तविक लाभकर्ता तो चीन ही है. चीनी बैंक वहां लोन दे रहे हैं, चीनी कंपनियां काम कर रही हैं, सारा लाभ उसी को जा रहा है. पाकिस्तान को लगभग 12 फीसदी की दर पर जो लोन चीन ने दिया है, उसका भुगतान करने में पाकिस्तान सक्षम नहीं है. तो, चीन ने जिस तरह श्रीलंका के हरमनटोटा बंदरगाह को 99वर्षों के लीज पर ले लिया है, उसी तरह चीन पाकिस्तान को भी 'डेट ट्रैप' डिप्लोमेसी में पूरी तरह जकड़ चुका है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार बिल्कुल कम है, वित्तीय घाटा बहुत अधिक है और कुल मिलाकर पाकिस्तान बहुत बुरी और बर्बाद हालत में है. 

पाकिस्तान के एससीओ में हिस्सा लेने का एक एंगल यह भी देखना चाहिए कि इसमें चीन और रूस भी सदस्य हैं. सेंट्रल एशिया के देश भी एससीओ में हैं. अमेरिका के अलावा जो नए दोस्त पाकिस्तान के बने हैं, वे ही अब उसको उबार सकते हैं, ऐसा पाकिस्तान का मानना है. आप देखिए कि आइएमएफ का जो पैकेज था, बेल आउट का, वह भी पाकिस्तान को नहीं मिला है, क्योंकि उसने कई शर्तें पूरी की हैं. इसलिए, एससीओ में बिलावल का जो प्राइम कंसर्न है, वो ये देश हैं. पाकिस्तान इस मीटिंग का इस्तेमाल द्विपक्षीय नहीं, बहुपक्षीय मुलाकात के लिए कर रहा है. पाकिस्तान नहीं चाहता है कि दूसरे देशों से उसका संबंध खराब हो. उन बचे देशों से उसके संबंध अच्छे कैसे हों और भारत को किस तरह मौका न मिले, बाकी देशों से संबंध प्रगाढ़ करने का, यही पाकिस्तान का कंसर्न है. पाकिस्तान अगर भारत के साथ बातों को लेकर गंभीर रहता तो, पुंछ में हालिया हमला न हुआ होता. पाकिस्तान किसी भी तरह यह दिखाना चाहता है कि 370 के निरस्त होने के बाद भी कश्मीर एक मसला है. वह छोटी-मोटी घटनाओं को अंजाम देकर विश्व बिरादरी को बताना चाहता है कि कश्मीर में शांति स्थापित नहीं हुई है. पाकिस्तान अपने जन्म से ही कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्रीय बनाना चाहता है और इसीलिए वह भारत के साथ शांति को लेकर बहुत गंभीर नहीं है, अभी भी.

पाकिस्तानी विदेश मंत्री बिलावल हैं अगंभीर

बिलावल भुट्टो वहां के नॉन-सीरियस विदेश मंत्री हैं. डिप्लोमेसी में आपकी हरेक बात, हरेक संकेत, हरेक प्रतीक का महत्व होता है, लेकिन बिलावल इस बात को समझते नहीं हैं. मोदी शासनकाल में हमारी पाकिस्तान नीति में बहुत बड़ा परिवर्तन आया है. 'डिफेंसिव ऑफेंस' का एप्रोच लेने के साथ ही भारत अब 'शांति और शक्ति' को भी महत्व देता है. हम अगर 2014 के बाद देखें, तो उन्होंने अपने पहले शपथग्रहण में सभी सार्क देशों के प्रमुख को बुलाया, यहां तक कि पाकिस्तान को भी. हालांकि, जब हमारा पड़ोसी शांति नहीं चाह रहा, तो ऑफेंस की नीति पर हम चले. आप चाहे उरी हमला देखें, या पुलवामा अटैक देखें, तो भारत ने उसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक और सीमापार घुस कर मारने की नीति पर काम किया. यह बहुत अच्छी नीति है, अगर विदेश नीति के हिसाब से देखें तो. जो भी पड़ोसी सीमापार आतंक को बढ़ावा दे रहे हैं, उनके साथ तो सख्ती करनी ही चाहिए.

हर देश अपने पड़ोसियों से अच्छे संबंध चाहता है. प्रधानमंत्री अटलजी जब थे, तो उन्होंने कंपोजिट पीस डायलॉग शुरू किया. भारत तो हमेशा से प्रयासरत ही रहा है. हालांकि, वाजपेयी जी की लाहौर बस यात्रा के बदले हमें कारगिल का धोखा मिला, फिर हम आगे बढ़े तो संसद पर हमला हुआ, उसके बाद जब हमने शांति का रास्ता चुना तो हमें मुंबई हमले मिले. पाकिस्तान की तरफ से प्रतिक्रिया हमेशा नकारात्मक और खतरनाक रही है. वैसे, मौजूदा आर्थिक संकट से पाकिस्तान खुद ब खुद ही ढह जाएगा और वहां के लोग शायद तब इस बात को महसूस करेंगे कि शांति कितनी जरूरी है और भारत के साथ वो संबंध अच्छे करने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे.

(ये आर्टिकल निजी विचारों पर आधारित है)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

China-Pakistan Storm: पाकिस्तान से चीन तक तबाही, अब तक 27 लोगों की हुई मौत, जानिए पूरी बात
पाकिस्तान से चीन तक तबाही, अब तक 27 लोगों की हुई मौत, जानिए पूरी बात
Ruslaan Box Office Collection Day 3:  बॉक्स ऑफिस पर पिटी आयुष शर्मा की फिल्म, तीन दिन में 3 करोड़ भी नहीं कमाई पाई 'रुस्लान', जानें- कलेक्शन
तीन दिन में 3 करोड़ भी नहीं कमाई पाई 'रुस्लान', संडे को भी लाखों में सिमटा कलेक्शन
BOULT IPO: कब आएगा बोल्ट का आईपीओ, कंपनी के फाउंडर ने बताया पूरा प्लान
कब आएगा बोल्ट का आईपीओ, कंपनी के फाउंडर ने बताया पूरा प्लान
Kia Sonet ने हासिल किया ये माइलस्टोन, चार साल से भी कम समय में बेचीं 4 लाख गाड़ियां
Kia Sonet ने हासिल किया ये माइलस्टोन, चार साल में बेचीं 4 लाख गाड़ियां
for smartphones
and tablets

वीडियोज

Himanta Biswa Sarma EXCLUSIVE: असम की 14 सीट कहां-कहां BJP रिपीट? Loksabha Election 2024 | BreakingLoksabha Election 2024: तीसरे फेज के चुनाव से पहले क्यों गरमाया आरक्षण का मुद्दा?देखिए ये रिपोर्टShekhar Suman Interview: बड़े बेटे Ayush Suman को याद कर भावुक हुए शेखर सुमनNainital Fire Explained: जानिए पहाड़ों-नदियों के लिए मशहूर उत्तराखंड में कैसे हुई अग्निवर्षा?

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
China-Pakistan Storm: पाकिस्तान से चीन तक तबाही, अब तक 27 लोगों की हुई मौत, जानिए पूरी बात
पाकिस्तान से चीन तक तबाही, अब तक 27 लोगों की हुई मौत, जानिए पूरी बात
Ruslaan Box Office Collection Day 3:  बॉक्स ऑफिस पर पिटी आयुष शर्मा की फिल्म, तीन दिन में 3 करोड़ भी नहीं कमाई पाई 'रुस्लान', जानें- कलेक्शन
तीन दिन में 3 करोड़ भी नहीं कमाई पाई 'रुस्लान', संडे को भी लाखों में सिमटा कलेक्शन
BOULT IPO: कब आएगा बोल्ट का आईपीओ, कंपनी के फाउंडर ने बताया पूरा प्लान
कब आएगा बोल्ट का आईपीओ, कंपनी के फाउंडर ने बताया पूरा प्लान
Kia Sonet ने हासिल किया ये माइलस्टोन, चार साल से भी कम समय में बेचीं 4 लाख गाड़ियां
Kia Sonet ने हासिल किया ये माइलस्टोन, चार साल में बेचीं 4 लाख गाड़ियां
Salt Side Effects: ज्यादा नमक है मौत का कारण... ज्यादा खाने वाले हो जाएं सावधान, डरा रही ये रिपोर्ट
ज्यादा नमक है मौत का कारण... ज्यादा खाने वाले हो जाएं सावधान, डरा रही ये रिपोर्ट
एप्पल यूजर्स का बढ़ा सिरदर्द! अचानक लॉक हुए सैकड़ों iPhone, करना पड़ा ये काम
एप्पल यूजर्स का बढ़ा सिरदर्द! अचानक लॉक हुए सैकड़ों iPhone
Congress Candidate List: कांग्रेस ने बदले दो उम्मीदवार, जानें नई कैंडिडेट लिस्ट में किसे मिला कहां से टिकट
कांग्रेस ने बदले दो उम्मीदवार, जानें नई कैंडिडेट लिस्ट में किसे मिला कहां से टिकट
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही थीं घर में कैद! फिर'बुआ' बनकर जीता फैंस का दिल
जब 17 की उम्र में कास्टिंग काउच का शिकार हुई ये हसीना, 7 दिन तक रही घर में कैद!
Embed widget