एक्सप्लोरर

नीतीश कुमार ने कई मौकों पर बदला है पाला, जानें उनका कैसा रहा है सियासी इतिहास?

कहा जाता है कि राजनीति में न कोई स्थायी दोस्त होता है और ना ही कोई स्थायी दुश्मन. नीतीश कुमार ने अपने फैसले से इस बात पर फिर से मुहर लगा दी है. नीतीश कुमार ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल से नाता जोड़ लिया है. नीतीश कुमार बुधवार को 8वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. नई सरकार में लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव उनके बाद नंबर दो की हैसियत में हो सकते हैं. बाकी सात दलों की सरकार है तो सब को कुछ न कुछ मिलेगा ही.

2020 में एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाई हुई थी. कांटे का मुकाबला था और एनडीए ने बाजी मारी. हालांकि तब सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी ही बनी थी. बीजेपी दूसरे और नीतीश की पार्टी जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी थी. बीजेपी ने नीतीश कुमार को सीएम बनाया. तब हम और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी एनडीए का हिस्सा थी. हालांकि बाद में मुकेश सहनी की पार्टी के विधायक बीजेपी में चले गये और एनडीए में तीन पार्टियां बची थी.

अब जो महागठबंधन की सरकार बनने जा रही है उसमें आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है. दूसरे नंबर पर नीतीश की पार्टी जेडीयू, फिर कांग्रेस, लेफ्ट के तीन घटक (भाकपा माले, सीपीएम, सीपीआई) और हम इसका हिस्सा हैं. निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह भी नीतीश कुमार के साथ हैं. इस हिसाब से इनका नंबर 164 का हो रहा है जो कि सरकार की मजबूती के लिये काफी है. वैसे नीतीश और लालू की पार्टी का नंबर मिलकर ही बहुमत को पार कर जाता है. फिर भी नीतीश कुमार सबको साथ लेकर चलेंगे.

अब जरा नीतीश की सियासत का इतिहास समझ लीजिए. नीतीश कुमार नेता तो पुराने हैं. लेकिन बिहार की राजनीति में बड़े नेता वो लालू का विरोध करके ही बने थे. चारा घोटाले को उजागर करने और लालू यादव को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में नीतीश का बड़ा रोल रहा है.

साल 1994 में लालू की कथित तानाशाही से तंग आकर नीतीश कुमार ने जनता दल से नाता तोड़ा था. जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में 14 सांसदों ने जनता दल (ज) का गठन किया जो कि बाद में समता पार्टी बनी. 1995 में समता पार्टी ने विधानसभा का चुनाव बिहार में अपने दम पर लड़ा और तब झारखंड साथ था. उस चुनाव में प्रचार के लिए नीतीश कुमार हेलीकॉप्टर से बिहार घूमा करते थे. कुल सात सीटों पर ही पार्टी जीत पाई. इनमें से दो सीटों पर खुद नीतीश जीते थे. नीतीश को लगा कि बिहार में अकेले लालू का विकल्प बनना संभव नहीं सो जॉर्ज के जरिये बीजेपी के करीब पहुंचे और 1996 में पहली बार गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे.

बिहार में ये प्रयोग कारगर होता दिखा और फिर इसके बाद 2010 तक दोनों दल हर चुनाव साथ लड़ते रहे. शुरुआती दौर में जेडीयू की भूमिका छोटा भाई की थी और बीजेपी की भूमिका बड़ा भाई की. नीतीश पहली बार साल 2000 में सीएम बने थे. बहुमत साबित नहीं कर पाये तो सत्ता से जाना पड़ा.

बहुत कम लोगों को याद होगा कि नीतीश और बीजेपी का झगड़ा पहली बार तब सामने आया था जब झारखंड का बंटवारा हुआ. बंटवारे से पहले बीजेपी बड़ी पार्टी थी और नेता विपक्ष की कुर्सी सुशील मोदी के पास. बंटवारा हुआ तो बीजेपी की संख्या जेडीयू के विधायकों से कम हो गई. और नीतीश कुमार ने बड़ा दिल दिखाने के बजाये सुशील मोदी से वो कुर्सी छीनकर अपनी पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा को दिलवा दी थी. तब नीतीश केंद्र में मंत्री थे. ये उन्होंने तब किया था जब बीजेपी के अटल बिहारी वाजपेयी ने शरद यादव, राम विलास पासवान को दरकिनार करते हुए नीतीश कुमार को सीएम प्रोजेक्ट किया था.

2004 के लोकसभा चुनाव में कथित देशव्यापी लहर के बाद बीजेपी की सरकार सत्ता में वापस नहीं आई थी. उस वक्त नीतीश कुमार भी बाढ़ लोकसभा से हार गये थे. तब नीतीश नालंदा से और सुशील मोदी भागलपुर से जीतकर सांसद बने थे. साल 2005 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ तो पहली बार में किसी को बहुमत नहीं मिला था. दूसरी बार नवंबर 2005 के चुनाव में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन को बहुमत मिला और नीतीश दूसरी बार सीएम बने.

2005 से 2010 के बीच नीतीश कुमार और सुशील मोदी की केमिस्ट्री ने तब के उभरते बीजेपी स्टार नरेंद्र मोदी को बिहार की धरती से दूर रखा था. 2009 की लुधियाना रैली वाली वो ऐतिहासिक तस्वीर दुनिया ने देखी थी. जब एनडीए के मंच पर नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार का हाथ उठाकर अभिवादन किया था. ये वो वक्त था जब बिहार में नीतीश कुमार पिछड़े मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने का काम कर रहे थे.

2009 के लोकसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार ने बिहार में नरेंद्र मोदी को आने नहीं दिया था. 2010 में जब बिहार विधानसभा चुनाव होने थे उससे तीन चार महीने पहले पटना में बीजेपी कार्यकारिणी की बैठक थी. बैठक के दिन ही बिहार के अखबारों में लुधियाना रैली वाली तस्वीर पहले पन्ने पर छपी थी. नीतीश कुमार इस बात से इतने नाराज हुए कि उन्होंने बीजेपी नेताओं को दिया रात्रिभोज रद्द कर दिया था. बीजेपी के खिलाफ नीतीश का ये दूसरा झगड़ा था. लेकिन तब के बीजेपी दिग्गजों ने इस बात को संभाल लिया और 2010 के चुनाव में जेडीयू-बीजेपी ने शानदार जीत दर्ज की. नीतीश तीसरी बार सीएम बने.

2010 की इस जीत ने नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का दावेदार तक बना दिया था. इसी कड़ी में जब नरेंद्र मोदी को बीजेपी ने कैंपेन कमेटी का प्रमुख बनाया तो जून 2013 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया. बिहार के मंत्रियों को बर्खास्त किया. बीजेपी और नीतीश का 17 साल पुराना रिश्ता टूट गया.

फिर आया साल 2014. मोदी की लहर के सामने नीतीश बिहार में ढेर हो गये. नीतीश को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली. 16 मई को नतीजे आये और 17 मई को नीतीश ने इस्तीफा दे दिया. जीतन राम मांझी सीएम बने जिन पर बाद में बीजेपी के हाथों खेलने का आरोप लगाकर नीतीश ने फरवरी 2015 में हटा दिया और खुद चौथी बार सीएम बने.

इसी साल नीतीश ने बीस साल की दुश्मनी भुलाकर लालू से दोस्ती की. महागठबंधन बनाया और नवंबर 2015 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का विजय रथ रोक दिया. 2015 के नवंबर में नीतीश पांचवीं बार सीएम बने. तेजस्वी को डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली.

यही वो दौर था जब लालू यादव के परिवार में जांच एजेंसियों का दबाव बढ़ा. जमीन घोटाले से लेकर रेलवे घोटाले तक में लालू और उनका परिवार का नाम आया. 20 महीने तक लालू और तेजस्वी की सरकार चलती रही. फिर साल 2017 के जुलाई महीने में एक दिन ऐसे ही नीतीश शाम को राजभवन गये इस्तीफा दिया और रातों रात बीजेपी के पास लौट गये.

26 जुलाई 2017 की रात बीजेपी ने नीतीश को समर्थन दे दिया. अगले दिन सुबह नीतीश छठी बार सीएम की शपथ लेते दिखे. जनादेश महागठबंधन को मिला था लेकिन सरकार गठन के बीस महीने बाद नीतीश ने बीजेपी की सरकार बनवा दी. हालांकि राजनीतिक पंडितों ने बीजेपी और जेडीयू के साथ हुए गठबंधन को स्वाभाविक गठबंधन का नाम दिया गया.

इसके बाद बिहार में जेडीयू और बीजेपी में छोटा भाई बड़ा भाई को लेकर चर्चा शुरू हुई. 2019 के चुनाव से पहले जेडीयू ने ऐसा दबाव बनाया कि बीजेपी को झुकना पड़ा. बराबर पर जाकर बात रुकी. 40 में से 17-17 सीटों पर बीजेपी और जेडीयू ने लड़ने का फैसला किया बाकी की 6 सीटें एलजेपी को मिली. बीजेपी और एलजेपी ने अपने कोटे की सभी सीटें जीत ली. जेडीयू को सिर्फ एक सीट पर हार मिली बाकी की 16 सीटें उसने भी जीती.

आज नीतीश कुमार ने खुलासा किया है कि उस चुनाव में 16 सीटों पर टिकट का बंटवारा उन्होंने खुद किया था बाकी सिर्फ एक किशनगंज की सीट का टिकट आरसीपी सिंह ने फाइनल किया था जहां पार्टी की हार हुई.

खैर, विवाद का पुनर्जन्म लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार के शपथ ग्रहण के दिन ही हो गया था जब ऐन शपथ से पहले नीतीश कुमार की पार्टी ने सरकार में शामिल होने से मना कर दिया. कहा गया कि कम मंत्री बनाये जाने से नीतीश नाराज थे. इसके बाद एक दूसरे को नीचा दिखाने का काफी खेल पटना से दिल्ली तक हुआ.

फिर बारी आई 2020 के विधानसभा चुनाव की. सीटों को लेकर फिर से लफड़ा शुरू. इस बार भी बीजेपी नीतीश के सामने झुकी. नीतीश के दावों की वजह से बीजेपी के टिकटार्थियों ने पार्टी को अलविदा कहा. चिराग पासवान से नाता टूटा. नतीजे आये तो जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. आरोप लगे कि बीजेपी की शह पर चिराग पासवान ने जेडीयू उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर ये सब किया है. बाद में नीतीश के दबाव के आगे चिराग पासवान को एनडीए से चलता किया गया.

नीतीश यहां सातवीं बार सीएम बने. लेकिन बीजेपी ने खेल कर दिया. नीतीश के पुराने सहयोगी बीजेपी नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर कर एक दम नया नेतृत्व खड़ा कर दिया. नीतीश असहज होने लगे.

फिर बारी आई 2021 की. केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले नीतीश ने चिराग से बदला लिया. पार्टी के 6 में से 5 सांसदों को तोड़ दिया. मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ तो नीतीश की मर्जी के खिलाफ आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन गये. नीतीश की नाराजगी यहीं से बढ़ती चली गई.

फिर आरसीपी अध्यक्ष पद से हटाये गये, मुद्दों पर मतभेद होने लगे, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी का विलय कर लिया. अभी इस साल नीतीश ने आरसीपी को राज्यसभा नहीं भेजकर अपने इरादे जाहिर कर दिये थे. लेकिन बीजेपी ने इसे हल्के में लेने की भूल कर दी.

आरसीपी को मुद्दा बनाकर नीतीश ने बीजेपी से नाता तोड़ा है. आरोप ये लगाया कि बीजेपी आरसीपी के जरिये पार्टी को तोड़ना चाहती थी. नीतीश शायद अब आठवीं और आखिरी बार सीएम बनेंगे. एक तरह से देखें तो अब उन्होंने अपनी पार्टी का भविष्य भी तेजस्वी के हवाले कर दिया है. अब बिहार में आगे बीजेपी बनाम तेजस्वी की लड़ाई होगी. नीतीश की सियासत का पर्दा इस पलटासन के साथ गिर जाएगा.

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

PM Modi In Kashmir: 10 दिनों में आतंकियों ने घाटी में मचाया बवाल तो PM मोदी बोले- 'आखिरी कोशिश कर रहे हैं, दुश्मनों को ठिकाने...'
10 दिनों में आतंकियों ने घाटी में मचाया बवाल तो PM मोदी बोले- 'आखिरी कोशिश कर रहे हैं, दुश्मनों को ठिकाने...'
Guess Who: जहां पिता करते थे टेबल साफ...स्टार बनने के बाद बेटे ने खरीद डाली तीनों बिल्डिंग, पहचाना?
जहां पिता करते थे टेबल साफ,स्टार बनने के बाद बेटे ने खरीद डाली तीनों बिल्डिंग
Vastu Tips: घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में भूलकर भी न करवाएं ये काम, रुक जाएगी बरकत
घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में भूलकर भी न करवाएं ये काम, रुक जाएगी बरकत
Virat Kohli: 'सेल्फिश हैं विराट कोहली...', शतक के लिए टीम भी लगा देंगे दांव पर; पाकिस्तान के मोहम्मद हफीज़ का विवादित बयान
'सेल्फिश हैं विराट कोहली...', शतक के लिए टीम भी लगा देंगे दांव पर
metaverse

वीडियोज

NEET-NET Paper Leak: नीट के तार..तेजस्वी पर सीधा वार..विजय सिन्हा का बड़ा दावाNEET UG 2024 Re-Exam: पेपर लीक के कितने गुनहगार...किस-किस से जुड़े तार ? | Rahul Gandhi | BreakingPodcast: क्या है कैलाश और पुनर्जन्म का राज़  Dharma LiveENG VS WI : Super 8 मुकाबले में फस गई West Indies की टीम, England को रोकना आसान नहीं | Sports LIVE

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
PM Modi In Kashmir: 10 दिनों में आतंकियों ने घाटी में मचाया बवाल तो PM मोदी बोले- 'आखिरी कोशिश कर रहे हैं, दुश्मनों को ठिकाने...'
10 दिनों में आतंकियों ने घाटी में मचाया बवाल तो PM मोदी बोले- 'आखिरी कोशिश कर रहे हैं, दुश्मनों को ठिकाने...'
Guess Who: जहां पिता करते थे टेबल साफ...स्टार बनने के बाद बेटे ने खरीद डाली तीनों बिल्डिंग, पहचाना?
जहां पिता करते थे टेबल साफ,स्टार बनने के बाद बेटे ने खरीद डाली तीनों बिल्डिंग
Vastu Tips: घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में भूलकर भी न करवाएं ये काम, रुक जाएगी बरकत
घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में भूलकर भी न करवाएं ये काम, रुक जाएगी बरकत
Virat Kohli: 'सेल्फिश हैं विराट कोहली...', शतक के लिए टीम भी लगा देंगे दांव पर; पाकिस्तान के मोहम्मद हफीज़ का विवादित बयान
'सेल्फिश हैं विराट कोहली...', शतक के लिए टीम भी लगा देंगे दांव पर
महज 2 करोड़ में बनी इस फिल्म ने की थी 8 गुना ज्यादा कमाई, कई बड़े स्टार्स के बाद भी एक 'बंदर' ने लूटी थी लाइमलाइट, जानें मूवी का नाम
महज 2 करोड़ में बनी इस फिल्म ने की थी 8 गुना ज्यादा कमाई, लीड रोल में था एक 'बंदर'!
दुनिया के कितने देश मनाते हैं योग दिवस, पूरे विश्व में इसकी कितनी मान्यता?
दुनिया के कितने देश मनाते हैं योग दिवस, पूरे विश्व में इसकी कितनी मान्यता?
NEET UGC Paper Leak Row: ‘रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने का दावा करते हैं लेकिन पेपर लीक नहीं रोक पा रहे’, राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर यूं कसा तंज
‘रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने का दावा करते हैं लेकिन पेपर लीक नहीं रोक पा रहे’, राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर यूं कसा तंज
बिहार में 65 प्रतिशत आरक्षण रद्द होने पर तेजस्वी यादव की पहली प्रतिक्रिया, कहा- 'BJP के लोग...'
65 प्रतिशत आरक्षण रद्द होने पर तेजस्वी की पहली प्रतिक्रिया, कहा- 'BJP के लोग...'
Embed widget