गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव में ही कांग्रेस की एक तिकड़ी सबसे ज़्यादा चर्चा में थी. इसमें हार्दिक के अलावा अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवानी शामिल थे. पटेल समाज की तरह ठाकोर समाज भी गुजरात में बेहद प्रभावशाली है. इसी समाज से आने वाले ठाकोर को भी हार्दिक और जिग्नेश की कांग्रेस का युवा तुर्क बताया जाता था. कांग्रेस के टिकट पर अल्पेश ने गुजरात के राधनपुर से जीत हासिल की थी. उन्हें राजनीति के लिहाज़ से बेहद अहम बिहार जैसे राज्य में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी सेकेरेट्री बनाया गया था. लेकिन गुजरात में हुए एक रेप की घटना के बाद वहां बिहारियों को टारगेट किया गया. इस टारगेटिंग के मामले में अल्पेश और एक ऐसी संस्था का नाम आया जिसको अल्पेश हेड करते थे. इसके बाद कांग्रेस से उनकी अनबन हुई और 2019 में वो भी कांग्रेस से अलग हो गए. ये वो तिकड़ी थी जिसे 1985 के बाद कांग्रेस के बेस्ट परफॉर्मेंस का क्रेडिट दिया जा रहा था. इसी तिकड़ी की वजह से कांग्रेस ने 2017 में 77 सीटें जीत थीं. हालांकि, इस तिकड़ी में से अब पार्टी के पाले में सिर्फ जिग्नेश मेवानी बचे हैं.
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