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ADAS System: भारत में तेजी से बढ़ रहा है ADAS का बाजार, देश में महिंद्रा है सबसे आगे 

भारत के सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि से ADAS को बहुत लाभ मिला है. मौजूदा राजमार्गों को एक्सप्रेसवे में बदलने के लिए भारत सरकार के बढ़ते प्रयासों के साथ, एडीएएस के बाजार में वृद्धि होना तय है.

CRISIL Market Intelligence and Analytics Report: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तेजी से इस समय के सबसे महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में से एक बन रहा है. अपने तेज विकास के साथ, AI ने जीवन के लगभग हर क्षेत्र में अपना मार्ग प्रशस्त कर लिया है. विशेष रूप से ऑटो उद्योग ने अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और नए तकनीकों के साथ एआई को अपनी छाप छोड़ते देखा है. एडीएएस, एक ऐसा ही उदाहरण है. यह वाहनों को सुरक्षित रूप से चलने के लिए कारों में उपयोग की जाने वाली तकनीकों का एक सेट है. यह ड्राइवर को स्टीयरिंग, ब्रेक लगाने, स्पीड बढ़ाने, पार्किंग, नेविगेशन में सहायता करता है और उन्हें किसी भी संभावित खतरे के बारे में सचेत करता है. ADAS एडैप्टिव क्रूज़ कंट्रोल (एसीसी), लेन कीपिंग असिस्ट (एलकेए), ऑटोनॉमस इमरजेंसी ब्रेकिंग (एईबी), ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन (बीएसडी), पैदल यात्री का पता लगाने, पार्किंग एसिस्ट, हेडलाइट्स, कई सेंसर, कैमरे और तरीकों को एडजस्ट करता है. एडीएएस में ऑटोमेशन की डिग्री के आधार पर कई लेवल होते हैं जिन्हें करने के लिए वाहन को प्रोग्राम किया जाता है.

ड्राइवर ऑन: इसमें एक इंसान ड्राइविंग के सभी कार्य करता है जैसे स्टीयरिंग, एक्सेलेरेशन, ब्रेक लगाना, पार्किंग आदि. इसमें पार्किंग सेंसर, फ्रंट कोलिशन वार्निंग, टायर प्रेशर की निगरानी, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम आदि सुविधाएं चेतावनियां प्रदान करने तक ही सीमित हैं. 

क्लोज लेग: यह वाहन में सिंगल ऑटोमेशन (स्टीयरिंग या त्वरण) को सपोर्ट करता है. इसमें चालक को किसी भी समय वाहन को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी लेनी होती है. इसमें एलकेए, ऑटोमेटिक हाई बीम, एडैप्टिव क्रूज़ कंट्रोल, ट्रैफ़िक सिग्नल रिकॉग्निशन जैसे काम शामिल हैं.

क्लोज हैंड: यह वाहन स्टीयरिंग और एक्सीलरेशन/रिटार्डेशन दोनों कर सकता है. इसमें भी ड्राइवर को निगरानी रखनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर कंट्रोल रखना चाहिए. इसमें ट्रैफ़िक जाम एसिस्ट, स्टीयरिंग के साथ एडाप्टिव क्रूज़ कंट्रोल, लेन फ़ॉलोइंग और सेंटरिंग एसिस्ट जैसे फीचर्स शामिल हैं.

क्लोज आई: इसमें वाहन में एनवायरमेंट का पता लगाने की क्षमता होती है, जिससे वाहन को खास परिस्थितियों में चलाया जा सकता है. जैसे ऑटोमेटिक लेन ड्राइविंग, ट्रैफ़िक जाम पायलट, हाईवे पायलट, इमरजेंसी स्टॉपेज असिस्ट.

टेक केयर: इसमें वाहन कुछ परिस्थितियों में सभी ड्राइविंग का कार्य करते है. इसमें जियोफेंसिंग की आवश्यकता है. फिर भी जरूरत पड़ने पर मानवीय हस्तक्षेप अभी भी जरूरी है. जैसे ऑटोमेटिक वैलेट पार्किंग, जियोफेंसिंग के साथ ऑटोमेटिक ड्राइविंग, हाईवे ऑटोपायलट आदि.

क्लोज ड्राइवर: यह वाहन को कहीं भी और सभी परिस्थितियों में चला सकता है और इसमें मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता भी नहीं है.

क्या है लाभ? 

एडीएएस के प्राथमिक लाभों में से एक दुर्घटनाओं को रोकने की इसकी क्षमता है. एईबी जैसे सिस्टम संभावित टक्कर का तेजी से पता लगा सकते हैं और ब्रेक लगाना शुरू कर सकते हैं, जिससे रियर-एंड क्रैश का खतरा कम हो जाता है. इसके अलावा, लेन डिपार्चर वार्निंग (एलडीडब्ल्यू) और एलकेए जैसे फीचर्स ड्राइवरों को अपनी लेन में रहने में मदद करते हैं, जिससे अनजाने में लेन चेंज के कारण होने वाली दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है.

महिंद्रा है सबसे आगे 

भारत में यात्री वाहन क्षेत्र में एडीएएस को महिंद्रा एंड महिंद्रा और मॉरिस गैरेजेज ने ग्लोबल लेवल पर एडीएएस को अपनाया है, एडीएएस का उपयोग लंबे समय से बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे तकनीक संपन्न देशों के साथ भारत में भी ADAS सुविधाओं वाले पैसेंजर्स वाहनों (पीवी) के साथ यह चलन जोर पकड़ रहा है. क्रिसिल के आकलन के अनुसार, वित्त वर्ष 2023 तक देश में कुल पीवी बिक्री में इस सुविधा के साथ घरेलू निर्माता महिंद्रा अपने XUV 7OO मॉडल के साथ 40-50% बाजार हिस्सेदारी के मामले में अग्रणी है. इसके बाद मॉरिस गैरेजेज अपने चार मॉडलों (एस्टोर, हेक्टर, ZS EV और ग्लॉस्टर) के साथ 20-30% हिस्सेदारी के साथ दूसरे और होंडा अपने होंडा सिटी मॉडल के साथ 10-30% के साथ तीसरे स्थान पर है. 20% के साथ टाटा मोटर्स, हुंडई और टोयोटा जैसी कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023 के लिए कुल एडीएएस-एनेबल्ड पीवी बिक्री में शेष हिस्सेदारी के लिए शुरुआत की है.

भारत में एडीएएस सिस्टम का लेवल के स्तर

भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग एडीएएस सुविधाओं के साथ पीवी सेगमेंट में शुरुआती चरण में है, जिसमें एमजी, होंडा और टोयोटा जैसे ग्लोबल कंपनियों के साथ महिंद्रा और टाटा जैसे घरेलू वाहन निर्माता भी आगे बढ़ रहे हैं. भारत में इसके मौजूदा स्तर से पता चलता है कि ऑटोमेशन टेक्नोलॉजी लेवल एल1 और एल2 की मुख्य रूप से प्रीमियम एसयूवी और सेडान सेगमेंट में एंट्री हो रही है, जो देश में पीवी बिक्री का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है. दूसरी ओर, हैचबैक सेगमेंट में यह एडाप्टेशन न्यूनतम है.

एडीएएस घटकों में विशिष्ट लागत मिश्रण

एडीएएस घटक मोटे तौर पर तीन समूहों में फिट होते हैं - मैकेनिकल, ऑप्टिकल और सेंसर. यांत्रिक घटक वे हैं जो एबीएस, ईएसपी, टीसीएस और क्लस्टर चेतावनी को एनेबल्ड करते हैं, जबकि ऑप्टिकल घटकों में मुख्य रूप से कैमरा सिस्टम शामिल होते हैं. सेंसर मॉड्यूल ADAS सिस्टम में सबसे एडवांस सेफ्टी फीचर्स प्रदान करते हैं. पिछले कुछ वर्षों में, रडार सेंसर मॉड्यूल के इनोवेशन से एक बड़ा बदलाव आया है. इसके विकल्पों की एक लंबी सीरीज है, जिसमें लंबी, मध्यम, छोटी और अल्ट्रा-शॉर्ट-रेंज सेंसिंग क्षमताओं के साथ-साथ विभिन्न रडार फ्रीक्वेंसी और LIDAR तकनीक शामिल हैं. इसमें सेंसर घटकों की लागत सबसे अधिक ~45% है, इसके बाद मैकेनिकल की लागत ~30% है, और शेष ~25% का योगदान ऑप्टिकल घटकों का है. 

2028 तक 6 गुना बढ़ जाएगा बाजार 

CRISIL की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2028 तक एडीएएस कंपोनेट्स के बाजार आकार छह गुना से अधिक बढ़ जाएगा, ओईएम में इंडस्ट्री के प्रमुखों के साथ प्राथमिक बातचीत के आधार पर, और एडीएएस कंपोनेंट्स की मॉडल-वार लागत के व्यापक विश्लेषण के बाद, क्रिसिल एमआई एंड ए ने एडीएएस कंपोनेंट्स के लिए बाजार का आकार ~ $169 मिलियन डॉलर आंका है, जो वित्तीय वर्ष 2023 के बाजार आकार से छह गुना अधिक है. क्रिसिल के आकलन के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2028 तक, एडीएएस सुविधाओं के साथ कुल पीवी बिक्री में, लगभग 55-60% यूटिलिटी वाहन होने की उम्मीद है, इसके बाद 20-25% कॉम्पैक्ट यूटिलिटी वाहन, 10-15% मिड साइज वाहन और शेष 3-7% वाहन हैचबैक/छोटी कार के रूप में शामिल होंगे.

सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि से मिल रहा बढ़ावा 

भारत के सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर में वृद्धि से ADAS को बहुत लाभ मिला है. मौजूदा राजमार्गों को एक्सप्रेसवे में बदलने के लिए भारत सरकार के बढ़ते प्रयासों के साथ, एडीएएस के बाजार में वृद्धि होना तय है. एक्सप्रेसवे में आमतौर पर अपने स्टैंडर्ड साइन, साइनेज, लेन साइन और स्मूथ सड़कें होती हैं. यह सभी एडीएएस के लिए अच्छे माने जाते हैं. एक्सप्रेसवे को आवश्यक सेंसर और संचार प्रोटोकॉल से लैस किया जा सकता है जो एडवांस टेक्नोलॉजी जैसे एडैप्टिव क्रूज़ कंट्रोल, एलकेए और एडीएएस से लैस वाहनों में ऑटोमेटिक ब्रेकिंग को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए सपोर्ट करता है. यह तकनीक वाहन-से-वाहन और वाहन-से-इन्फ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी में परिवर्तित हो जाएगी, जिससे बाजार का विस्तार होगा और ड्राइवर एक्सपीरियंस भी बढ़ेगा.

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस और एनालिटिक्स क्या है 

क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स, क्रिसिल का एक प्रभाग, स्वतंत्र अनुसंधान, परामर्श, जोखिम समाधान और डेटा और एनालिटिक्स प्रदान करता है. यह अर्थव्यवस्था, उद्योग, पूंजी बाजार और कंपनियों पर हमारी सूचित इनसाइट और राय विभिन्न क्षेत्रों और भौगोलिक क्षेत्रों में ग्राहकों के लिए प्रभावशाली निर्णय लेती है. जबकि क्रिसिल एक अग्रणी, एक्टिव और इनोवेटिव ग्लोबल एनालिसिस कंपनी है जो बाज़ारों को बेहतर कार्यशील बनाने के अपने मिशन से प्रेरित है. यह विकास, इनोवेशन की संस्कृति और ग्लोबल उपस्थिति के मजबूत ट्रैक रिकॉर्ड के साथ रेटिंग, डेटा, रिसर्च, एनालिसिस और समाधान में भारत का अग्रणी प्रदाता है. इसने भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, पोलैंड, चीन, हांगकांग, संयुक्त अरब अमीरात और सिंगापुर से चलने वाले व्यवसायों के माध्यम से 100,000 से अधिक ग्राहकों को स्वतंत्र राय, एक्शनेबल इनसाइट्स और बेहतर समाधान प्रदान किए हैं. इसका अधिकांश स्वामित्व एसएंडपी ग्लोबल इंक के पास है, जो दुनिया भर के पूंजी और कमोडिटी बाजारों में ट्रांसपेरेंट और इंडिपेंडेंट रेटिंग, बेंचमार्क, एनालिटिक्स और डेटा का अग्रणी प्रदाता है.

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