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Hanuman ji: धन संबंधी परेशानी दूर करता है 'ऋणमोचक मंगल स्तोत्र', मंगलवार के दिन इसका पाठ देता है विशेष फल
Hanuman ji: मंगलवार के दिन पूजा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं. इस दिन ऋणमोचक मंगल स्तोत्र (rinmochan mangal stotra benefits) का पाठ धन संबंधी परेशानियों को दूर करने में सहायक माना गया है.
![Hanuman ji: धन संबंधी परेशानी दूर करता है 'ऋणमोचक मंगल स्तोत्र', मंगलवार के दिन इसका पाठ देता है विशेष फल October 18 2022 Panchang worship of Hanuman ji rinmochan mangal stotra benefits bal buddhi vidya dehu Hanuman ji: धन संबंधी परेशानी दूर करता है 'ऋणमोचक मंगल स्तोत्र', मंगलवार के दिन इसका पाठ देता है विशेष फल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/06/20/266addfc5834108d0484e14650944a63_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Hanuman ji: पंचांग के अनुसार 18 अक्टूबर 2022, मंगलवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है. इस दिन हनुमान जी की कृपा पाने का उत्तम संयोग बना हुआ है. जो इस दिन हनुमान जी के नाम का व्रत रखते हैं, उनके लिए मंगलवार का दिन बहुत ही विशेष है.
हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है. हनुमान जी सभी कष्टों को हरने वाले माने गए है. हनुमान जी बल और बुद्धि की भी दाता है. इसीलिए हनुमान चालीसा में हनुमान जी के लिए एक स्थान पर कहा गया-
बलबुद्धि विद्या देहु मोहि हरहुं कलेश विकार
हनुमान जी बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता है. हनुमान जी अपने भक्तों पर कष्ट नहीं आने देते हैं. हनुमान जी अपने भक्तों की बहुत चिंता करते हैं. यही कारण है हनुमान भक्तों को शनि देव भी परेशान नहीं करते हैं. जिन लोगों के जीवन में धन संबंधी समस्या बनी हुई है, वे मंगलवार को ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें, मान्यता है कि इस पाठ को करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है-
ऋणमोचक मंगल स्तोत्र (Rinmochan Mangal Stotra)
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः।
स्थिरासनो महाकयः सर्वकर्मविरोधकः ॥1॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः।
धरात्मजः कुजो भौमो भूतिदो भूमिनन्दनः॥2॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः।
व्रुष्टेः कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रदः॥3॥
एतानि कुजनामनि नित्यं यः श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्नुयात्॥4॥
धरणीगर्भसम्भूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्।
कुमारं शक्तिहस्तं च मङ्गलं प्रणमाम्यहम्॥5॥
स्तोत्रमङ्गारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभिः।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्॥6॥
अङ्गारक महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय॥7॥
ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यवः।
भयक्लेशमनस्तापा नश्यन्तु मम सर्वदा॥ 8 ||
अतिवक्त्र दुरारार्ध्य भोगमुक्त जितात्मनः।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुश्टो हरसि तत्ख्शणात्॥9॥
विरिंचिशक्रविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्त्वेन ग्रहराजो महाबलः॥10॥
पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गतः।
ऋणदारिद्रयदुःखेन शत्रूणां च भयात्ततः॥11॥
एभिर्द्वादशभिः श्लोकैर्यः स्तौति च धरासुतम्।
महतिं श्रियमाप्नोति ह्यपरो धनदो युवा॥12॥
इति श्री ऋणमोचक मङ्गलस्तोत्रम् सम्पूर्णम्
Disclaimer : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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