स्टेबलाइजर कैसे करता है काम, कैसे बचती है बिजली?

Published by: राहुल पाण्डेय
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आपने अक्सर AC या अन्य डिवाइस के साथ स्टेबलाइजर का नाम तो सुना ही होगा.

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स्टेबलाइजर एक इलेक्ट्रॉनिक अप्लायंस है जो कि वोल्टेज को रेग्युलेट करता है.

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स्टेबलाइजर (Stabilizer) का मुख्य काम बिजली से चलने वाले उपकरणों को सुरक्षित रखना होता है. यह उन्हें स्थिर वोल्टेज प्रतान करता है जिससे की वह बिना किसी दिक्कत के काम कर सकें.

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स्टेबलाइजर सबसे पहले इनपुट वोल्टेज को मॉनिटर करता है और इसे दूसरे उपकरण की बिजली की जरूरत से कंपेयर करता है. इसका मतलब यह है कि अगर इनपुट वोल्टेज में उतार चढ़ाव होता भी है तो स्टेबलाइजर आउटपुट वोल्टेज को स्टेबल रखता है.

स्टेबलाइजर लगातार बिजली की आपूर्ति को मॉनिटर करता है. जब भी वोल्टेज नॉर्मल रेंज से ऊपर या नीचे जाता है, उस समय स्टेबलाइजर वोल्टेज को सामान्य रखने का काम करता है.

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अगर वोल्टेज हाई है, उस समय स्टेबलाइजर वोल्टेज को कम कर देता है. वही दूसरी तरफ अगर यह लो हो जाए तो स्टेबलाइजर वोल्टेज को बढ़ा देता है. यह प्रक्रिया ऑटोमेटिक चलती रहती है.

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स्टेबलाइजर बिजली की खपत को कम भी कर देते हैं क्योंकि यह बिजली को बैलेंस रखते हैं.

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इसकी वजह से आपके दूसरे उपकरणों की लाइफ में इजाफा हो जाता हैं क्योंकि ज्यादातर उपकरण हाई और लो वोल्टेज के कारण ही खराब होते है.

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स्टेबलाइजर ऑल इन वन परफॉर्म करता है.

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