iPhone और Samsung स्मार्टफोन के साथ क्यों नहीं मिलता है चार्जर! खुल गया राज

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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Apple और Samsung का कहना है कि चार्जर न देने से E-Waste (इलेक्ट्रॉनिक कचरा) कम होगा. चार्जर हटाने से कंपनियों की मैन्युफैक्चरिंग लागत कम हो जाती है.

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बिना चार्जर के फोन बॉक्स छोटा और हल्का हो जाता है. इससे शिपिंग में ज्यादा फोन एक साथ भेजे जा सकते हैं, जिससे लॉजिस्टिक्स खर्च कम होता है.

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चार्जर न देने से ग्राहक को अलग से चार्जर खरीदना पड़ता है, जिससे कंपनी को ज्यादा मुनाफा होता है. Apple और Samsung अपने ब्रांडेड चार्जर बेचकर अतिरिक्त कमाई करते हैं.

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नए फोन फास्ट चार्जिंग सपोर्ट करते हैं, लेकिन कंपनियां पुराने चार्जर को हटाकर नए और महंगे चार्जर बेचती हैं. iPhone और Samsung के 20W, 25W, 45W चार्जर अलग से खरीदने पड़ते हैं.

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बिना चार्जर के लोग अलग-अलग कंपनियों के चार्जर खरीदते हैं. इससे फास्ट चार्जिंग ब्रांड्स को फायदा होता है, जैसे Anker, Belkin आदि.

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कई देशों ने कंपनियों पर चार्जर देने का दबाव बनाया है. Apple और Samsung इसे पर्यावरण बचाने का तर्क देकर बचाव करते हैं.

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EU (यूरोपीय संघ) और भारत जैसे देशों ने कंपनियों को USB-C पोर्ट अपनाने को कहा है. Apple ने iPhone 15 सीरीज में USB-C पोर्ट दिया, लेकिन चार्जर अलग से ही बेचता है.

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कंपनियां बिना चार्जर वाले मॉडल बेचती हैं और बाद में ऑफर्स में चार्जर जोड़ती हैं. कभी-कभी प्रीमियम मॉडल खरीदने पर चार्जर फ्री दिया जाता है, जिससे ग्राहक महंगे फोन लेने को प्रेरित होते हैं.

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कंपनियां चाहती हैं कि लोग चार्जर को बार-बार न खरीदें, बल्कि एक ही चार्जर का ज्यादा इस्तेमाल करें. इससे लोग वायरलेस चार्जिंग की तरफ भी बढ़ेंगे, जिससे भविष्य में चार्जर की जरूरत और कम होगी.

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