LCD या AMOLED! कौन सा डिस्प्ले वाला स्मार्टफोन आंखों के लिए होता है बेस्ट?

Published by: एबीपी टेक डेस्क
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AMOLED डिस्प्ले PWM (Pulse Width Modulation) डिमिंग का इस्तेमाल करता है, जिससे लो ब्राइटनेस पर स्क्रीन फ़्लिकर कर सकती है. LCD में DC डिमिंग होती है, जो आंखों के लिए ज्यादा आरामदायक होती है, खासकर कम रोशनी में.

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AMOLED स्क्रीन ज्यादा ब्राइट होती है, जिससे धूप में भी विजिबिलिटी अच्छी रहती है. हालांकि, ज्यादा ब्राइटनेस पर AMOLED स्क्रीन आंखों पर ज्यादा दबाव डाल सकती है.

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AMOLED में बेहतर कंट्रास्ट और डीप ब्लैक मिलता है, जिससे आंखों को ज्यादा कंफर्टेबल व्यूइंग एक्सपीरियंस मिलता है. LCD डिस्प्ले में कम कंट्रास्ट और वॉश आउट कलर होते हैं, जिससे लंबे समय तक देखने पर आंखों को थकान हो सकती है.

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दोनों डिस्प्ले हाई रिफ्रेश रेट (90Hz/120Hz) सपोर्ट कर सकते हैं, लेकिन AMOLED में रिस्पॉन्स टाइम तेज होता है, जिससे आंखों पर कम दबाव पड़ता है.

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AMOLED स्क्रीन में डार्क मोड आंखों के लिए ज्यादा आरामदायक होता है, क्योंकि यह असली ब्लैक दिखाती है और बैकलाइट का इस्तेमाल नहीं करती. LCD में डार्क मोड उतना प्रभावी नहीं होता, क्योंकि बैकलाइट ऑन ही रहती है.

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AMOLED और LCD दोनों में नाइट मोड और ब्लू लाइट फिल्टर दिया जाता है, लेकिन AMOLED की लो ब्लू लाइट तकनीक आंखों के लिए ज्यादा फायदेमंद होती है.

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AMOLED डिस्प्ले ज्यादा नैचुरल कलर और बेहतर व्यूइंग एंगल देता है, जिससे आंखों पर कम दबाव पड़ता है. LCD स्क्रीन ज्यादा समय तक देखने पर आंखों की थकान और जलन पैदा कर सकती है.

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LCD डिस्प्ले में बैकलाइटिंग हर समय ऑन रहती है, जिससे आंखों पर ज्यादा तनाव पड़ सकता है. AMOLED में हर पिक्सल खुद रोशनी देता है, जिससे यह आंखों के लिए ज्यादा आरामदायक साबित होता है.

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अगर आंखों की सुरक्षा और कम थकान की बात करें तो AMOLED डिस्प्ले बेहतर होता है. हालांकि, अगर आपको फ़्लिकर इफेक्ट से समस्या होती है, तो LCD डिस्प्ले भी अच्छा विकल्प हो सकता है, खासकर अगर DC डिमिंग सपोर्ट करता हो.

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