गाली देना मनुष्य के संस्कारों और आत्मा को दूषित करता है.



जब आपकी वाणी में कटुता आती है, तो परमात्मा से जुड़ाव कमजोर होने लगता है.



गाली देने से दूसरों का नहीं बल्कि गाली देने वालों को ही नुकसान होता है.



यह आपके मन को क्रोध और नकारात्मक ऊर्जा से भर देती है.



प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जिनकी वाणी में मधुरता होती है, उनका जीवन सुखमय होता है.



गाली देने से घर का वातावरण अशांत और नकारात्मक हो जाता है.



प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि गाली देने की बजाए भजन या नाम जप करना चाहिए.



गाली देने से मनुष्य अपने पापों का नाश करता है.



प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जहां गाली है, वहां भगवान की कृपा नहीं है.