भारत में एक ऐसा शहर है जहां पर दूल्हा बारात लेकर तो जाता है, लेकिन बिना दुल्हन लिए लौट आता है.
बीकानेर में होली के एक दिन पहले धुलंडी के दिन बारात निकाली जाती है.
परंपरा 300 सालों से चली आ रही है. यहां हर्ष जाति का युवक भगवान विष्णु के रूप में सजकर बारात लेकर जाता है.
इस परंपरा के पीछे ऐसा मानना है कि बारात लेकर जाने पर युवक की एक साल के भीतर शादी हो जाती है.
इस परंपरा के तहत ना तो शादी होती है नहीं फेरे.
बारात लेकर जाते समय दूल्हा कई मकानों में जाता है और यहां महिलाएं पोखने की रस्म निभाती हैं.
इतिहासकार मुकेश हर्ष के मुताबिक, यह परंपरा 300 सालों से निभाई जा रही है.
मुकेश हर्ष का कहना है कि यह बारात जिस जिस रास्तों से गुजरती है, वहां पर शादी विवाह जैसा माहौल बन जाता है.
इस परंपरा के दौरान तहत दूल्हा भगवान विष्णु के रूप में सज कर, सिर पर खिड़कियां पाग लगा, बनियान और पीतांबर पहने, गले में फूलों की माला पहनकर बारात में चलता है.
बारात में घर, परिवार, समाज, हर्ष जाति के लोग शामिल होते हैं.