तुलसी पवित्र पौधा है, जोकि

हमारे घर-आंगन में होती है.

तुलसी विवाह के अवसर पर तुलसी-शालिग्राम

का विवाह कराया जाता है.

इसके साथ ही हर हिंदू घर पर नियमित

तुलसी की पूजा की जाती है.

पुराणों के अनुसार तुलसी पूर्वजन्म में वृंदा थी,

जो पतिव्रता स्त्री थी.

वृंदा के पति असुरराज जलंधर की शक्ति

वृंदा के सतीत्व पर निर्भर थी.

असुरराज जलंधर का वध आसान नहीं था, इसलिए

देवताओं ने विष्णु जी की मदद ली.

विष्णुजी ने जलंधर का रूप धारण

कर वृंदा की परीक्षा ली.

विष्णु जी के छल का पता चलते ही वृंदा ने

उन्हें पत्थर बनने का श्राप दिया.उन्हें पत्थर बनने का श्राप दिया.

वृंदा ने सती होकर प्राण त्याग दिए और शाप के

कारण विष्णु शालिग्राम शिला बने.

विष्णुजी ने वृंदा को आशीर्वाद दिया कि वो

तुलसी के रूप में पूजित होंगी.

तब से ही वृंदा हमारे घरों में

तुलसी बनकर वास करती हैं.