कार्तिक शुक्ल की अष्टमी को 30 अक्टूबर को

गोपाष्टमी मनाई जा रही है.

मान्यता है कि इसी दिन से कृष्ण ने गौ सेवा और

गोचारण की शुरुआत की थी.

ऋषि शांडिल्य ने शुभ मुहूर्त निकाला और कृष्ण ने पहली

बार गायों को चराने का काम किया.

गो सेवा के लिए मां यशोदा श्रीकृष्ण को मोर मुकुट

पहनाकर तैयार करने लगी.

लेकिन नन्हे कान्हा ने कहा कि, जब गायों को

पादुका मिलेगा तभी तैयार होऊंगी.

गाय के प्रति कृष्ण के इस प्रेम और करुणा से

सभी की आंखे नम हो गई.

तब से इस कार्तिक शुक्ल की अष्टमी को

गोपाष्टमी के नाम से जाना जाने लगा.

गोपाष्टमी पर्व को कृष्ण और गौमाता के

प्रेम का प्रतीक माना जाता है.