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Packaged Food: डिब्बा बंद खाना खाने से किसी की मौत होने पर कौन होता है जिम्मेदार? जानें कैसे मिलेगा मुआवजा
Food safety: आपके मन में भी यह सवाल आता होगा कि अगर डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ खाने से कोई मर जाता है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा. तो आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं.
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आज भागती-दौड़ती जिंदगी में डिब्बा बंद खाने का चलन बढ़ता जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि डिब्बा बंद खाने से आपके शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं. डिब्बा बंद खाना खाने की वजह से आप कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं. डिब्बा बंद खाना खाने की वजह से आपके शरीर को कई तरह के नुकसान भी पहुंच सकते हैं, ऐसे में कई बार डिब्बा बंद खाने से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. आज हम आपको बताएंगे कि डिब्बा बंद खाने से अगर किसी की मौत हो जाती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होता है.
ये लोग होते हैं जिम्मेदार
अक्सर आप देखते होंगे कि डिब्बा बंद खाना और खाद्य पदार्थ खाने से इतने लोग बीमार हुए या इतने लोगों की मौत हो गई. मरने वाले तो मर जाते हैं, लेकिन उनके पीछे से उनके परिवार वालों का जो हाल होता है वो हर किसी को परेशान कर सकता है. ऐसे में आपके मन में भी यह सवाल आता होगा कि अगर डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ खाने से कोई मर जाता है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन होगा. आपको बता दें कि अगर डिब्बा बंद खाना खाने से किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके लिए जिम्मेदार वह कंपनी होगी जिसका वह डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ है.
इसके अलावा केंद्र और सुप्रीम कोर्ट एफएसएसएआई से भी इस बारे में सवाल कर सकती है. अगर डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ एक्सपायरी डेट पर बेचा गया है तो इसका रिटेलर यानी बेचने वाला भी इसके लिए पूरा पूरा जिम्मेदार होगा. इसके अलावा भारतीय फूड संस्था जो डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ बेचने वाली कंपनियों को लाइसेंस देती है उससे भी सवाल किया जाएगा.
पहले हो चुकी है कार्रवाई
हाल ही में केंद्र सरकार ने नेस्ले के बेबी सेरेलक को लेकर एफएसएसएआई से सवाल किया था. जिसमें पाया गया था कि नेस्ले अपने भारत में बेचे जाने वाले बेबी सेरेलेक में चीनी का इस्तेमाल कर रहा है, जबकि अन्य देशों में नेस्ले इससे परहेज कर रही है. इससे पहले भी मैगी में लेड की मात्रा ज्यादा पाए जाने पर भारत में नेस्ले की मैगी को बैन कर दिया गया था. इससे पता ये लगा कि दुनिया की सबसे बड़ी खाद्य पदार्थ कंपनी नेस्ले यूरोप को छोड़कर अन्य विकासशील देशो में अपने खाद्य पदार्थों में चीनी और लेड का उपयोग ज्यादा कर रही है, जिससे कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा बना हुआ रहता है.
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