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Basti News: स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, खड़े-खड़े खटारा हो गई लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस, लोग बोनट पर सुखा रहे जूते
लाखो रूपये की एंबुलेंस पर सुुखाए जा रहे जूते, खडी खडी हो रही खटारा, मरीज फिर रहे दरबदर
![Basti News: स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, खड़े-खड़े खटारा हो गई लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस, लोग बोनट पर सुखा रहे जूते Negligence of the Basti health department, life support ambulance got stuck while standing, shoes drying on the bonnet ANN Basti News: स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही, खड़े-खड़े खटारा हो गई लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस, लोग बोनट पर सुखा रहे जूते](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/03/31/4c4fa01c19e9528f604baece995da4fb1680238342870658_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
UP News: बस्ती में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिस एंबुलेंस से अति गंभीर मरीजों को अस्पताल तक लेकर जाना था, आज उस एंबुलेंस के बोनट पर जूते सुखाए जा रहे हैं. पिछले तीन से एडवांस आयतें वाली एक एंबुलेंस एएनएम सेंटर में खड़ी खड़ी धूल फांक रही है. जिम्मेदारों ने इस एंबुलेंस पर कभी ध्यान ही नहीं दिया जिसका खामियाजा आज ये एंबुलेंस अपनी जिंदगी की आखिरी सांसे गिनकर चुका रही है.
कोविड काल के दौरान स्वास्थ्य महानिदेशालय से आई करीब 15 लाख की नई एंबुलेंस खड़े खड़े कबाड़ हो गई. यह एंबुलेंस अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस थी. मगर उदासीनता का आलम इस कदर कि शासन की तरफ से इस एंबुलेंस का न तो पंजीकरण कराया गया और न ही एएलएस यानी एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम से ही इसे जोड़ने के लिए बजट और सामान ही भेजा गया. वहीं जिम्मेदार अधिकारियों का कहना है कि पंजीकरण न होने के कारण इस एंबुलेंस का कोई प्रयोग नहीं हो पा रहा है. करीब तीन साल पूर्व स्वास्थ्य निदेशालय से एक एंबुलेंस बस्ती स्वास्थ्य महकमे को भेजी गई थी. उस समय यह कहा गया था कि इस एंबुलेंस में एडवांस लाइफ सपोर्ट सिस्टम लगाया जाएगा और इसे 108 के बजाय डायरेक्ट स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ अपने स्तर से जरूरतमंद को उपलब्ध करवाएंगे.
इतना ही नही संचालन के लिए विभाग की ओर से अलग से बजट भी मुहैया कराया जायेगा. इस एंबुलेंस को बिना पंजीकरण ही भेज दिया गया था. बताया जा रहा है कि पूरे प्रदेश में इस तरह से अत्याधुनिक एक एक एंबुलेंस जिले को भेजे गए थे. वाहन आने के 6 महीने बाद निदेशालय से कहा गया कि एंबुलेंस का चेचिस नंबर उतारकर भेजिए ताकि एंबुलेंस का पंजीकरण कराया जा सके, सीएमओ कार्यालय से इसे भेजा भी गया मगर स्वास्थ्य महा निदेशालय से फिर कोई खोज खबर नहीं ली गई. काफी दिनों खड़े रहने की वजह से एंबुलेंस की बैटरी सहित कई पार्ट्स खराब हो चुके हैं. इसे फिर से एक्टिव करने में ही भारी भरकम बजट खर्च होगा. वाहन आने के बाद जिले में अब तक 6 से अधिक सीएमओ बदल चुके है, लेकिन पंजीकरण के लिए किसी की ओर से कोई गंभीर प्रयास नहीं किया गया.
वहीं इस पूरे मामले को लेकर जब हमने मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आरपी मिश्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि उलूंके संज्ञान में अभी आया है, उसके बाद वे खुद एंबुलेंस का निरीक्षण करने गए, जल्द ही पंजीकरण करवाकर एंबुलेंस को चलवाया जायेगा. यह एंबुलेंस कब से खड़ी है यह उन्हे नही पता क्लेम वे अभी जल्द ही जिले में आए है इसलिए अब वे इस पर कार्यवाही करेंगे.
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