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Chaitra Navratr 2024: गोरखपुर के कुसम्ही जंगल में बुढ़िया माता की प्रसिद्ध सिद्धपीठ, नवरात्रि पर उमड़ती है भक्तों की भीड़
UP News: गोरखपुर का बुढ़िया माता का मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. मान्यता है कि इस मंदिर में मत्था टेकने से सारी मुरादें पूरी होती हैं. नवरात्र पर यहां भक्तों आते हैं.
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Gorakhpur News: यूपी के गोरखपुर का बुढ़िया माता का मंदिर सदियों से भक्तों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है. पर्यटन की दृष्टि से ये मंदिर सैलानियों को लुभाता है लेकिन नवरात्रि पर श्रद्धालुओं की मनोकामनाओं के लिए इसका खास महत्व होता है. शहर में रहने वाले लोगों के साथ ही देश-दुनिया से लोग कुसम्ही जंगल के बीच में बरसों पहले बने बुढि़या माता के मंदिर में मत्था टेकना नहीं भूलते हैं. यहां चुनरी बांधकर मन्नत मांगने से हर मनोकामना पूरी होती है.
शहर से पूरब स्थित कुसम्ही जंगल स्थित बुढ़िया माता का मंदिर काफी प्रसिद्ध है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर उनके दरबार में वर्षभर भक्तों और श्रद्धालुओं के आने का क्रम जारी रहता है. यहां दर्शन के बाद मन को शांति के साथ ही अंदर का भय भी पूरी तरह से खत्म हो जाता है. मान्यता है कि मां के दर्शन करने मात्र से मन की सारी मुरादें पूरी हो जाती हैं. चैत्र नवरात्रि पर भोर से ही लोग लंबी कतार लगाकर माता के दरबार में मत्था टेकने के लिए आते हैं. ये सिलसिला पूरे दिन चलता रहता है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं का भी माता में बड़ा विश्वास है.
नवरात्री में लगता है भक्तों का तांता
नवरात्रि के अवसर पर आस्था के प्रतीक देवी मां के इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यहां आने वाले श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ चढ़ाई चढ़ते हैं. हलवा-पूड़ी बनाते हैं और माता के चरणों में अर्पित करते हैं. नवरात्रि में 9 दिन का व्रत रखने वाले श्रद्धालु माता के दरबार में मत्था टेकने जरूर आते हैं. गोरखपुर और आसपास के जिलों के अलावा नेपाल से भी यहां पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला वर्ष भर जारी रहता है.
बुढिया माता मंदिर के पुजारी रामानंद बताते हैं कि गोरखपुर के कुसम्ही जंगल में स्थित बुढ़िया माता का मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बना हुआ है. नवरात्रि पर काफी भीड़ होती है. लोगों की यहां पर मनोकामना पूरी होती है. मान्यता है कि लकड़ी के पुलिया के पास बैठी बुढ़िया माता ने वहां से जा रही बारात के लोगों से नाच दिखाने के लिए कहा था. लेकिन सभी ने उनका मजाक उड़ा दिया. जब बारात शादी के बाद लौटने लगी, तो बुढि़या माता ने फिर से नाच दिखाने के लिए कहा. बारात में मौजूद जोकर ने नाच दिखा दिया और पुलिया को पार कर लिया.
सदियों पुराना माता का मंदिर
वे बताते हैं कि पुलिया पर मौजूद बारात पोखरे में ही समा गई. तभी से माता के दरबार में लोग पूजा के लिए आते हैं. यहां पर पहले तीन पिंडी बनाई गई. इसके बाद माता पोखरे के उस पार दूसरे स्थान पर चली गईं. वहां भी एक भव्य मंदिर बना है. पुनः वे यहां पर आकर विराजमान हो गईं. शारदीय नवरात्रि में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए जुट जाती है. मान्यता है कि यहां भक्त जो भी मुराद मांगते हैं, वो पूरी हो जाती है. मां अकाल मृत्यु से भी भक्तों की रक्षा करती हैं.
सदियों पुराने बुढ़िया माता के मंदिर में श्रद्धालु बरसों से हर नवरात्रि पर यहां आते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. बुढ़िया माता उन्हें आशीर्वाद देती हैं और उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं. यहां पर पिछले कई वर्षों से परिवार के साथ आने वाले मनीष और सीमा मां को लेकर यहां पर आए हैं. वे कहते हैं कि मां के दरबार में जो मांगों वो मुरादें पूरी होती हैं. उनकी मां की तबियत खराब थी. वो मनोकामना मांगी थी कि उनकी तबियत ठीक हो जाए. वो स्वस्थ हो गई हैं. यहां उन्हें दर्शन कराने के लिए लाएं हैं. अनिल अग्रवाल नवरात्रि पर हर रोज यहां दर्शन करने के लिए आते हैं. वे बताते हैं कि उनके पिता परिवार के साथ पहले यहां पर दर्शन करने आते रहे हैं.
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