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UP Assembly Election 2022: बीजेपी ने तैयार किया है खास प्लान, इन सीटों पर है खास नजर  

यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी खास रणनीति में जुटी है. बीजेपी का खास फोकस हारी हुई लगभग 80 सीटों पर है, जहां 2017 में पार्टी को जीत नहीं मिली थी. 

UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में 2022 का सियासी संग्राम जीतने के लिए बीजेपी ने इस बार एक खास व्यूह संरचना की है. पार्टी का फोकस 60 से ज्यादा उन सीटों पर है जहां पार्टी आज तक कभी भी विधानसभा का चुनाव ही नहीं जीती है. इन सीटों पर पार्टी ने जीत की जिम्मेदारी अपने एमएलसी, राज्यसभा सांसदों, बोर्ड और निगम के अध्यक्षों और पार्टी के पदाधिकारियों को सौंपी है. तो चलिए आपको बताते हैं कि इन सीटों पर हारी बाजी को जीतने के लिए बीजेपी ने कौन सा प्लान तैयार किया है.  

हारी हुई सीटों पर है फोकस
साल 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पहली बार ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए 312 सीटों पर विजय हासिल की थी. उस वक्त अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी 325 सीटों पर काबिज हुई, लेकिन इस आंधी में भी लगभग 80 सीटें ऐसी थी जिनपर ना तो बीजेपी और ना ही उसके सहयोगी जीत पाए, यहां विपक्षी पार्टियों को जीत मिली थी. अब जब विधानसभा चुनाव बेहद करीब है तो पार्टी इस रणनीति में जुटी है कि कैसे इस बार भी 300 सीटों पर कमल खिलाया जाए, इनमें खास फोकस उस वक्त हारी हुई लगभग 80 सीटों पर है, जहां 2017 में पार्टी को जीत हासिल नहीं हुई थी. 

बन रही है जीत की रणनीति
2017 में 78 ऐसी सीटें ऐसी थी जहां बीजेपी और उसके सहयोगी नहीं जीत पाए थे, फिर उसके बाद ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा गठबंधन से अलग हो गई तो उसकी 4 सीटों को भी पार्टी ने हारी हुई सीटों में शामिल कर लिया. जिसके बाद ऐसी सीटों की संख्या 82 हो गई. वहीं, उपचुनाव में 2 सीट गंवाने के बाद इन सीटों की संख्या बढ़कर हो गई 84. अब इन 84 सीटों पर जीत की अलग रणनीति तैयार की गई है. इन 84 सीटों में भी 60 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी का कमल आज तक नहीं खिला है. पार्टी का पूरा फोकस है कि कैसे 2022 में इन सीटों पर भी कमल खिलाया जाए. इसके लिए पार्टी ने हर सीट पर अलग-अलग प्रभारी भी नियुक्त किए हैं, इन सीटों को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने अपने विधान परिषद के सदस्यों, राज्यसभा सांसदों, निगम, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों को सौंपी है, जो लगातार इन सीटों पर जीत की रणनीति बनाने में जुटे हैं.

सौंपी गई जिम्मेदारी 
जिन लोगों को ऐसी हारी सीटों पर प्रभारी बनाया गया है अगर उन पर नजर डालें तो राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर को आजमगढ़ की निजामाबाद सीट, राज्यसभा सदस्य बृजलाल को कानपुर की सीसामऊ सीट, विधान परिषद सदस्य सरोजनी अग्रवाल को रामपुर की चमरव्वा सीट, सभा सदस्य कांता कर्दम को मुरादाबाद देहात, विजयपाल तोमर को बेहट सीट, दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री वीरेंद्र तिवारी को अकबरपुर सीट, उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सिंह सैनी को कैराना सीट, संजीव गोयल को सहारनपुर सदर सीट, सुभाष शर्मा को सहारनपुर सीट, सूर्य प्रकाश पाल को नूरपुर सीट, एमएलसी धर्मवीर प्रजापति को उन्नाव की पुरवा, कैप्टन विकास गुप्ता को धौलाना सीट और सभा सदस्य सुरेश नागर को बिजनौर की नगीना सीट का प्रभारी नियुक्त किया गया है. ये सभी प्रभारी अपनी रिपोर्ट 3 सदस्य कमेटी को समय-समय पर उपलब्ध कराते हैं. इस कमेटी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल शामिल हैं.

इन सीटों पर नहीं जीती बीजेपी 
ये तो बात हुई कि किसे कहां का प्रभारी बनाया गया है. अब आपको बताते हैं कि ऐसी वो कौन सी सीटें हैं जहां बीजेपी आज तक जीतने में सफल नहीं हो पाई है और पार्टी का इस बार फोकस इन सीटों को जीतने पर है. इनमें अगर हम बात करें तो अंबेडकर नगर की अकबरपुर, आजमगढ़ की निजामाबाद सीट, सीतापुर की सिधौली सीट, रायबरेली की हरचंदपुर सीट, लखनऊ की मोहनलालगंज सीट, रायबरेली की रायबरेली सदर सीट, कानपुर की सीसामऊ सीट, आजमगढ़ की आजमगढ़ सदर सीट,  प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट, इटावा की जसवंतनगर सीट, रायबरेली की ऊंचाहार सीट, जौनपुर की मल्हनी सीट, आजमगढ़ की अतरौलिया सीट, आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट आजमगढ़ की गोपालपुर सीट शामिल है. जौनपुर की मल्हनी सीट जो पहले रारी विधानसभा थी वहां भी बीजेपी आज तक कभी नहीं जीती है. इसके अलावा प्रतापगढ़ की कुंडा सीट बीजेपी 1993 के बाद कभी नहीं जीती. 

बीजेपी कर रही है खास तैयारी 
दरअसल, ऐसी सीटों की संख्या 60 से ज्यादा है जहां पार्टी अभी तक कमल नहीं खिला पाई है और इसीलिए इस बार इन सीटों पर भी कमल खिले इसके लिए रणनीति तय करते हुए अलग-अलग लोगों को प्रभारी भी नियुक्त किया गया है. वहीं पार्टी के प्रवक्ता हीरो वाजपेयी का कहना है कि बीजेपी 403 विधानसभा सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही है और खास फोकस उन सीटों पर है जहां बीजेपी को 2017 में जीत हासिल नहीं हुई थी. उनका साफ तौर पर कहना है कि जिस तरह से साढ़े चार साल में योगी सरकार ने काम किया है ऐसे में पार्टी को इस बात का पूरा भरोसा है कि पार्टी उन सीटों पर भी जीत हासिल करेगी जहां अभी तक पार्टी को कभी भी जीत नहीं मिली है. 

दिलचस्प होगा मुकाबला
2022 के विधानसभा चुनाव में जुटी सत्ताधारी बीजेपी की कोशिश यही है कि इस बार सरकार के कामकाज के जरिए उन सीटों पर भी जीत हासिल की जाए जहां अब तक पार्टी को कभी भी जीत नहीं मिली है. इसीलिए वहां पार्टी ने अलग रणनीति के तहत प्रभारी भी नियुक्त किए हैं. इन सीटों की जिम्मेदारी इन्हीं प्रभारियों के कंधों पर है. हालांकि, इनमें से ज्यादातर सीटें विपक्षी दलों की परंपरागत सीट मानी जाती रही हैं और ऐसे में उनके इस अभेद्य दुर्ग को बीजेपी कैसे फतह करेगी ये देखना काफी दिलचस्प होगा. 

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