(Source: ECI / CVoter)
Health Care Tips: अलग-अलग धातु के बर्तनों में भोजन करने के ये होते हैं फायदे और नुकसान
Health Care Tips: धातु के बर्तन में खाना खाने से लेकर पानी पीने तक के कई फायदे छिपे होते हैं. अलग अलग धातुओं के बर्तनों की अलग अलग अहमियत होती है.लेकिन ऐसा नहीं है कि सिर्फ फायदे ही हैं .
Health Care Tips: धातु के बर्तन में खाना खाने से लेकर पानी पीने तक के कई फायदे छिपे होते हैं. अलग अलग धातुओं के बर्तनों की अलग अलग अहमियत होती है. वजन कम करने से लेकर रोग भगाने तक में धातु के बर्तन उपयोगी समझे जाते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है कि धातु के बर्तन में खाना बनाने के सिर्फ फायदे ही हैं बल्कि नुकसान भी हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं अलग-अलग धातुओं के बर्तनों में बनाए गए भोजन के फायदे और नुकसान.
सोना- सोना एक गर्म धातु है. सोने से बने बर्तन में भोजन बनाने और भोजन करने से शरीर के आन्तरिक, बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर, मजबूत बनते हैं और आंखों की रोशनी भी बढाता है.
चांदी- चाँदी एक ठंडी धातु है. चांदी से बने बर्तन में भोजन करने से शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचती है. चांदी के बर्तन में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है. आंखों की रोशनी बढती है और पित्तदोष, कफ काबू में रहता है.
कांस्य- कांस्य धातु के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है, भूख बढ़ती है. लेकिन कांस्य के बर्तन में खट्टा सामान नहीं परोसना चाहिए क्योंकि खट्टा सामान धातु से क्रिया करके विषैला हो जाता है. जानकारों का कहना है कि कांस्य के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं.
तांबा- तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है. तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है. इसलिए तांबे के बर्तन में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध पीने से शरीर को नुकसान होता है.
लोहा- लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है. लौह तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है. लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन, पीलापन नहीं आने देता. कामला रोग का खात्मा करता है और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में भोजन नहीं खाना चाहिए क्योंकि खाना खाने से बुद्धि कम होती है, दिमाग का नाश होता है. लोहे के बर्तन में दूध पीना अच्छा माना जाता है.
पीतल- पीतल के बर्तन में भोजन बनाने, करने से कृमि रोग, कफ, वायुदोष की बीमारी नहीं होती. पीतल के बर्तन में भोजन बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं.
स्टील- स्टील के बर्तन नुक्सानदायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्मी से क्रिया करता है और ना ही अम्ल से. स्टील के बर्तन में भोजन बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुंचता तो नुक्सान भी नहीं होता है.
एलुमिनियम- एल्युमिनिय के बर्तन में बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान ही होता है. धातु आयरन, कैल्शियम को सोखता है और हड्डियां कमजोर और मानसिक बीमारियां होती हैं, लीवर तथा नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है. किडनी फेल होना, टीबी, अस्थमा, दमा, शुगर जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं. एलुमिनियम के प्रेशर कूकर में खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं. इसलिए एल्युमिनियम से बने बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
मिट्टी- मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से शरीर से बीमारी को दूर रखनेवाले पोषक तत्व मिलते हैं. इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से कई रोग ठीक होते हैं. आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक, स्वादिष्ट बनाना है तो धीरे-धीरे पकना चाहिए. भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है. दूध तथा दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी के बर्तन हैं. मिट्टी के बर्तन में भोजन बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं. अगर मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो अलग से स्वाद भी आता है.
‘भावप्रकाश ग्रंथ‘ में लिखा है-
जलपात्रं तु ताम्रस्य तदभावे मृदो हितम्।
पवित्रं शीतलं पात्रं रचितं स्फटिकेन यत्।
काचेन रचितं तद्वत् वैडूर्यसम्भवम्।
यानी जल पीने के लिए तांबा, स्फटिक अथवा कांच पात्र का उपयोग करना चाहिए. मिट्टी के जलपात्र पवित्र तथा शीतल होते हैं. टूटे-फूटे बर्तन से पानी नहीं पीना चाहिए.
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