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Kota News: कोटा के मुक्तिधाम में की जा रही नि:शुल्क अंतिम संस्कर की व्यवस्था, पढ़ें पूरी खबर
कोटा में अंतिम संस्कार मुफ्त में होगा. इसके लिए बिजला या लकड़ी की जगह गोमय समिधा व गौ कास्ट का इस्तेमाल होगा. नगर निगम व मातेश्वरी सेवा संस्थान के बीच गौ कास्ट के निर्माण का एमओयू हुआ है.
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Kota: कोटा के मुक्तिधाम में अब अंतिम संस्कर के लिए निशुल्क व्यवस्था की जा रही है, अंतिम संस्कार में डेडबॉडी को ना ही लकड़ियों से जलाया जाएगा और ना ही विद्युत शवदाह गृह की आवश्यकता होगी. कोटा में अब जीरो पॉल्यूशन फ्यूनरल स्कीम के तहत गोमय समिधा और गौ कॉस्ट से अंतिम संस्कार होगा. यानी कहा जा सकता है कि एक ओर तो पेड़ बचाने का प्रयास तेज किया गया है वहीं प्रदूषण को भी रोका जा सकेगा.
हर अंतिम संस्कार पर लगेंगे पांच पेड़
इस प्रोजेक्ट के तहत गोबर से बनने वाली गोमय समिधा और गौ कॉस्ट के जरिए अंतिम संस्कार के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया जाएगा. साथ ही इसे पूरी तरह से नि:शुल्क मुहैया कराया जाएगा. ये व्यवस्था जब प्रचलन में आएगी तो एक तरफ पेड़ों का संरक्षण होगा, दूसरी ओर प्रदूषण भी नहीं फैलेगा. साथ ही हर अंतिम संस्कार पर पांच पेड़ लगाए जाएंगे. कोटा के मातेश्वरी सेवा संस्थान और जयपुर के गोमय परिवार के बीच इस संबंध में एमओयू हुआ है. मातेश्वरी सेवा संस्थान के निदेशक गोविंद राम मित्तल का कहना है कि गोमय परिवार हमें गोमय समिधा और गौ कॉस्ट नि:शुल्क उपलब्ध करवाएगा. जिसे हम अंतिम संस्कार करने आए लोगों को उपलब्ध करवाएंगे. इसके लिए नगर निगम ने 4 स्ट्रक्चर तैयार करवाए हैं, जिसमें अंतिम संस्कार किए जाते हैं.
कोटा के एक दर्जन मुक्तिधाम में करेंगे लागू
प्रारंभ में आरकेपुरम स्थित अमर लोक और किशोरपुरा मुक्तिधाम में गोमय समिधा और गौ कॉस्ट के जरिए अंतिम संस्कार होंगे. योजना के मुताबिक, इसे कोटा के एक दर्जन अन्य मुक्तिधामों में लागू किया जाएगा. आम जनता को गोमय समिधा और गौ कॉस्ट के प्रति प्रोत्साहित करने और जागरूक करने के लिए इसे नि:शुल्क देने का निर्णय लिया गया है.
एक अंतिम संस्कार पर 500 किलो लकड़ी का होता है इस्तेमाल
जहां एक और लकड़ी के दाम बढ़ते जा रहे हैं वहीं अंतिम संस्कार के लिए पेडों की कटाई होती है. एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार पर 500 किलो तक लकड़ी की आवश्यकता होती है. जबकि गोमय समिधा और गौ कास्ट के जरिए करीब 250 से 300 किलो में ही अंतिम संस्कार हो जाएगा. ऐसे में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की मात्रा आधी होगी. साथ ही भारत सरकार की लैब में भी उन्होंने टेस्ट होने का दावा किया है. जिसमें बताया गया कि गोमय समिधा व गौ कास्ट के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम होता है.
25 साल में बचेंगे 10 करोड़ पेड़
संस्था से जुडे डॉ. सीताराम अग्रवाल का कहना है कि देश में एक करोड़ अंतिम संस्कार सालाना होते हैं. जिसके लिए दो करोड़ पेड़ों को काट दिया जाता है. ऐसे में इनसे 90 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड गैस पर्यावरण में जाती है. साथ ही पेड़ों की भी कमी होती है. इन सबको गोमय समिधा या दूसरे अंतिम संस्कार के तरीकों से बचाया जा सकता है. गोमय समिधा व गौ कास्ट से हो रहे फ्यूनरल पर पांच पौधे भी लगाए जाएंगे. ऐसे में दो पेड़ की बचत के साथ ही पांच नए पौधे लगेंगे. इसके लिए गौशालाओं को प्रति पौधे 500 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जा रही है. ऐसे में हर अंतिम संस्कार पर गौशालाओं को 2500 रुपये दिए जाएंगे. ताकि आने वाले समय में वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके. स्कीम से आने वाले 25 सालों में 10 करोड़ पेड़ बचेंगे साथ ही 25 करोड़ नए वृक्ष लगाने का भी संकल्प लिया गया है.
नगर निगम से हुआ एमओयू
गोमय समिधा और गौ कास्ट बनाने की बात करें तो गोमय समिधा को एग्रीकल्चर वेस्ट से बनाया जाता है, जिसमें हवन सामग्री और गोबर के साथ सरसों या सोयाबीन की तूडी (वेस्ट) का उपयोग किया जाता है. इसे एक मशीन के जरिए बनाया जाता है. यह लकड़ी की तरह ही मजबूत होती है. जयपुर में इसके कई प्लांट स्थापित किए गए हैं. इसी तरह से कोटा में भी प्लांट स्थापित किए जाएंगे. जबकि गौ कास्ट गौशालाओं में मौजूद वेस्ट गोबर से तैयार किया जाता है. उनकी संस्था मातेश्वरी सेवा संस्थान ने बंदा धर्मपुरा गौशाला में गो कास्ट के निर्माण का एमओयू नगर निगम कोटा से किया है. आने वाले समय में कोटा में जहां हजारों पेड़ोंं को बचाया जाएगा वही पेड़ भी लगाए जाएंगे.
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