प्रकृति को नुकसान करके अधिक उपज लेने का विचार विनाशकारी, बोले- पद्मश्री हुकुम पाटीदार
Hukumchand Patidar: चित्तौड़ भारतीय किसान संघ ने जैविक कृषि, पशुपालन और बीज पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया. इस कार्यक्रम में पद्मश्री हुकुम पाटीदार ने पशुपालन की जानकारी दी.
Rajasthan News: भारतीय किसान संघ चित्तौड़ प्रांत के श्रीरामशांताय जैविक कृषि अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र कैथून रोड़ जाखोड़ा पर बीज, पशुपालन और जैविक आयाम पर चल रहे तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग में पद्मश्री हुकुम पाटीदार ने जैविक कृषि से किसान की आमदनी के बारे में विस्तार से जानकारी दी.
वहीं राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व कंसल्टेंट महेंद्र कुमार गर्ग ने पशुपालन और गौसेवा सम्बन्धी उपयोगी जानकारी रखी. पद्मश्री हुकुम पाटीदार ने कहा कि भारत का किसान अन्न को ब्रह्म और कृषि को उपासना मानता है.
'प्रदूषित कर रहे हैं पंच महाभूत को'
पद्मश्री हुकुम पाटीदार ने कहा कि प्रकृति के नुकसान का विचार भारतीय किसान नहीं कर सकता. पश्चिमी विचार ने किसान के मन में यह बिठा दिया है कि उसका भला अधिक पैदावार से ही होगा. पश्चिम के इस विचार ने उपज की गुणवत्ता को गौण कर दिया है. अधिक पैदावार की होड़ में हम धरती, वायु, जल समेत पंच महाभूत को प्रदूषित कर रहे हैं. प्रकृति को नुकसान करके अधिक उपज लेने का विचार प्रकृति विरोधी और किसान विरोधी होने के साथ विनाशकारी भी है.
अनियंत्रित यूरिया के उपयोग से धरती में सोडियम व पोटैशियम की कमी
नवीन प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ है कि अनियंत्रित यूरिया के उपयोग से धरती में सोडियम व पोटैशियम की कमी आई है. जिससे मानव शरीर में हार्ट से संबंधित समस्याएं बढ़ने लगी हैं. जैविक कार्बन धरती का प्राण है. इसकी कमी से धरती बंजर होने लगती है. बीज के उगने की क्षमता समाप्त हो जाती है. धीरे-धीरे शरीर और धरती से इन पोषक तत्वों की कमी होती चली जाएगी.
चलाएगा व्यापक अभियान
उन्होंने कहा कि हमारी कृषि बाजार आधारित नहीं है. जैविक कृषि से किसान की लागत में कमी लाई जा सकती है, लेकिन जैविक खेती के नाम पर बाजार में आ रही मल्टीनेशनल कंपनियों से भी बचने की जरूरत है. हम गौ आधारित, पर्यावरण आधारित जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात करते हैं. भारतीय किसान संघ किसानों को मल्टीनेशनल कंपनियों के जाल में फंसने से बचाने के लिए भी व्यापक अभियान चलाएगा.
पशुओं में नमक की आपूर्ति पर्याप्त रखनी चाहिए
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के पूर्व कंसल्टेंट महेंद्र कुमार गर्ग ने बताया कि पशुओं में नमक की आपूर्ति पर्याप्त रखनी चाहिए. पशु को 12 महीने में ब्याहना जरूरी है. पशु को ब्याहने के दो माह पूर्व से बांटा देना शुरू कर देना चाहिए. जिससे उसके दूध की मात्रा में वृद्धि होती है. अखिल भारतीय बीज प्रमुख कृष्णमुरारी ने कहा कि भारत में अनेक आक्रमणों ने हमारे जल, जंगल, जमीन, खेती, गांव, गरीब सबको बर्बाद करने का काम किया है. प्रदेश जैविक प्रमुख प्रहलाद नागर ने कहा कि किसान के उत्थान से ही राष्ट्र का उत्थान संभव है. राष्ट्र निर्माण के लिए संगठन सर्वाधिक जरूरी है.
ये भी पढ़ें: Rajasthan: माइनर और मेजर ब्लॉक्स की नीलामी के लिए जून से बनेगा मासिक ऑक्शन रोडमैप, अवैध खनन पर लगेगी रोक