Rajasthan Politics: राजस्थान में कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष के नाम पर फूंक-फूंककर कदम रख रही है. गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बरकरार रखा गया है. इस निर्णय के बाद राजस्थान में कांग्रेस के अंदर एक चर्चा शुरू हो गई है कि जहां विधानसभा में मिली हार के बाद कांग्रेस पार्टी में यह उम्मीद थी कि प्रदेश अध्यक्ष बदला जाएगा. लेकिन आलाकमान ने प्रदेश अध्यक्ष के बदलने पर अपनी मुहर नहीं लगाई है. गोविंद सिंह डोटासरा सीकर जिले से आते हैं और अब उन्हें पार्टी प्रदेश में एक बड़े जाट नेता के रूप में स्थापित करना चाहती है.


खासकर, शेखावाटी क्षेत्र में झुंझुनूं, सीकर और चुरू में इनका प्रभाव बढ़ाने की तैयारी है. इस चुनाव में भले ही कांग्रेस को हार मिली है लेकिन पार्टी को लगता है कि डोटासरा ज्यादा बेहतर साबित हुए हैं. उनकी वजह से जाट कांग्रेस को वोट दिए हैं. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने गोविंद सिंह डोटासरा को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाए रखा है. 


वर्ष 2018 में भी कुछ ऐसा हुआ था 


राजस्थान में वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. उस दौरान सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वहीं कांग्रेस अध्यक्ष थे. कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में जीत भले मिली थी लेकिन लोकसभा में बुरी तरह हार हुई थी. जाट वोटर्स बाहुल्य सीटों पर बीजेपी के जीत का अंतर बड़ा था. उस समय भी सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष के पद से बदलने की मांग उठी थी. इस बार भी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष को बदलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी. लेकिन आलाकमान ने पिछली बार की तरह इस बार भी उसी परिपाटी को जारी रखा. 


ये आलाकमान का निर्णय है


राजस्थान कांग्रेस पार्टी के महासचिव स्वर्णिम चतुर्वेदी का कहना है अध्यक्ष के नाम पर आलाकमान ने मुहर लगाई है. सब बेहतर है. राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार नारायण बारेठ का कहना है कि गोविंद सिंह डोटासरा को पार्टी ने आगे कर के बड़ा संदेश दिया है. 


पार्टी में नेताओं की कमी !


राजस्थान के राजनीतिक विश्लेषक संदीप मील का कहना है कि जब चुनाव में हार मिली तो पार्टी में बदलाव की जगह रिपीट सिस्टम जारी है. इससे लगता है कि कांग्रेस पार्टी के पास नेताओं की कमी है. सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया और हरीश चौधरी को दक्षिण भारत की कमान दे दी है.


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