मध्य प्रदेश के शहडोल जिला न्यायालय ने नाबालिग से रेप के एक मामले में फैसला देते हुए नजीर कायम की है. नाबालिग रेप पीड़िता सहित उसके माता-पिता एवं सारे गवाह घटना से मुकर गए, लेकिन डीएनए रिपोर्ट और अन्य वैज्ञानिक साक्ष्यों और अभियोजन की सशक्त पैरवी के चलते कोर्ट ने आरोपी को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. वहीं मुकरने वाले गवाहों के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश भी कोर्ट ने दिए हैं.


नाबालिग के साथ हुए रेप के मामले में न्यायालय द्वितीय अपर सत्र एवं विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) आरपी सेवेतिया ने आरोपी रवि कुमार पटेल 22 वर्ष को 20 वर्ष का सश्रम कारावास की सजा के साथ 21 हजार रुपए जुर्माना लगाया है. पॉक्सो की धारा 3/4 के लिए 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 506 भादवि के लिए 1 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई गई है. प्रशासन की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी एवं विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) रामनरेश गिरि द्वारा की गई.


यहां जानें पूरा मामला


अभियोजन मीडिया प्रभारी राकेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि 1 सितंबर 2018 को टयूशन के लिए निकली पीड़िता के साथ आरोपी रवि पटेल ने रेप किया था. रिपोर्ट पर अपराध दर्ज किया गया.


मामले की विवेचना उप निरीक्षक आकांक्षा सिंह द्वारा की गई. विवेचना में पीड़िता का मेडिकल और डीएनए परीक्षण रिपोर्ट आरोपी के विरूद्ध प्राप्त हुआ लेकिन न्यायालय में पीड़िता,उसके पिता एवं माता अभियोजन की कार्यवाही के दौरान घटना से मुकर गए. उन्होंने आरोपी को पहचानने से ही इंकार कर दिया.


अभियोजन ने पीड़िता सहित 22 गवाहों का न्यायालय में परीक्षण कराया तथा मामले को साबित करने के लिए 36 दस्तावेज प्रदर्शित कराए. पीड़िता एवं उसके माता-पिता के घटना से मुकरने के पश्चात भी न्यायालय ने डीएनए रिपोर्ट को मुख्य आधार बनाते हुए आरोपी को उपरोक्त दण्ड से दण्डित करने का आदेश पारित किया.


मामले अभियोजन ने झूठ बोलने वाले साक्षियों के विरूद्ध कार्यवाही करने के लिए न्यायालय में आवेदन भी प्रस्तुत किया है. इस प्रकरण में वैज्ञानिक साक्ष्य होने की वजह से आरोपी को सजा मिल पाई.


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