Group Captain Varun Singh: 8 दिसम्बर में चीफ डिफेन्स ऑफ़ स्टाफ जनरल बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश में एक मात्र जिंदा बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का बुधवार को वायुसेना के बेंगलुरू स्थित कमांड हॉस्पिटल में निधन हो गया. कैप्टेन वरुण सिंह ने भारतीय वायु सेना में रहते हुए कई साहसिक कार्यों को अंजाम दिया. उनके साहसिक कार्यों को देखते हुए सरकार ने उन्हें इसी साल शौर्य चक्र से सम्मानित किया था.


टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने मिशन गगनयान के लिए अन्तरिक्ष यात्री बनने को लेकर आवेदन किया था. हालाँकि वह फाइनल में इसमें सफल नहीं हो पाए थे.


एक सीनियर इंडियन एयर फ़ोर्स अधिकारी ने  कि जब इंस्टिट्यूट ऑफ़ एयरोस्पेस मेडिसिन में मिशन गगनयान के लिए चयन प्रक्रिया चल रही थी तो वह काफी चर्चा में थे. उन्होंने इसके शुरूआती चरण के टेस्ट पास कर लिए थे. लेकिन वह उन चार में शामिल नहीं हो पाए थे जो बाद में इस मिशन के लिए चुने गए थे.


2003 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक पास करने के बाद, उनकी तैनाती 2004 में मुख्य रूप से लड़ाकू विमानों पर पायलट के तौर हुई. जहाँ उन्हों अधिकतर जगुआर और तेजस लड़ाकू विमानों से उड़ान भरी. वह इंडियन एयर फ़ोर्स  के सबसे बेहतरीन अधिकारियों में से एक थे, उन्होंने पायलट्स एक्सपेरिमेंटल टेस्ट पास किया और उसके बाद  15 अगस्त 2021 को शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था.


इंडियन एयर फ़ोर्स  के मुताबिक, शौर्य चक्र भारत का तीसरा सबसे बड़ा वीरता पुरूस्कार है. पिछले वर्ष उन्होंने तेजस लड़ाकू विमान की फ्लाइंग कंट्रोल सिस्टम खराब होने के कारण दस हज़ार फीट की उंचाई पर बगैर किसी नुकसान पहुंचाए बगैर उतारा था. उनके साहस, कार्यकुशलता और तीक्ष्ण बुद्धि पर उन्हें बेस्ट पायलट अवॉर्ड से भी सम्‍मानित हो चुके है.


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