Group Captain Varun Singh Death: सीडीएस जनरल बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश में एक मात्र जिंदा बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का बुधवार को वायुसेना के बेंगलुरू स्थित कमांड हॉस्पिटल में निधन हो गया. पिछले एक हफ्ते से ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी मौत पर दुख व्यक्त किया है. 

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बुधवार को वायुसेना ने ट्वीट कर बताया कि "बहादुर ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के निधन की सूचना देते हुए गहरा दुख है,जिनकी आज सुबह हेलीकॉप्टर दुर्घटना में घायल होने के कारण मृत्यु हो गई. भारतीय वायुसेना गहरी संवेदनाएं व्यक्त करती है और शोक-संत्पत परिवार के साथ मजबूती से खड़ी है." 

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को मी17वी5 हेलीकॉप्टर क्रैश में गंभीर चोटें आई थी. उनकी हालत गंभीर थी. शुरूआत में उन्हें वेलिंगटन के मिलि्ट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. लेकिन अगले ही दिन उन्हें बेंगलुरू में वायुसेना के कमांड हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया गया था. उसके बाद से ही उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी.

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प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने ट्वीट कर दी श्रद्धांजलि

पीएम मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने गर्व, बहादुरी और अत्यधिक प्रोफेशनलिज्म के साथ देश की सेवा की. उनके निधन से बेहद आहत हू. राष्ट्र के लिए उनकी समृद्ध सेवा को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा. उनके परिवार और मित्रों के लिए संवेदनाएं. ऊँ शांति.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जो बुधवार को उत्तराखंड में थे, ट्वीट किया कि "एयरफोर्स के पायलट ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह एक सच्चे योद्धा थे जो अंतिम सांस तक लड़ते रहे. मेरी गहरी संवदेनाएं उनके परिवार और दोस्तों के साथ हैं. दुख की इस घड़ी में हम परिवार के साथ मजबूती से खड़े हैं."

इसी वर्ष उन्हें दिया गया था शौर्य चक्र 

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह वायुसेना में वर्ष 2004 में शामिल हुए थे. वे एक फाइटर पायलट थे और स्वदेशी लड़ाकू विमान, एलसीए तेजस उड़ाते थे. पिछले साल यानि अक्टूबर 2020 में एलसीए तेजस फाइटर जेट में मिड-एयर आई खराबी के बावजूद उन्होनें विमान को सुरक्षित रनवे पर उतार दिया था. हालांकि, एटीसी ने उन्हें तेजस से इजिक्ट करने का निर्देश दिया था, लेकिन उन्होनें विमान नहीं छोड़ा और विमान सहित सकुशल उतर आए.

उनकी इस सूझबूझ और बहादुरी के लिए उन्हें इसी साल स्वतंत्रता दिवस पर शौर्य चक्र से नवाजा गया था. फिलहाल, ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह तमिलनाडु के वेलिंगटन में डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज में फैकलटी के तौर पर तैनात थे. हादसे के दिन वे सीडीएस जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित बाकी सैनिकों को लेने के लिए सुलूर एयरबेस पर गए थे.

क्योंकि सीडीएस को 8 दिसम्बर को स्टॉफ कॉलेज में लेक्चर देना था. लेकिन सुलूर एयरबेस से जिस मी17वी5 हेलीकॉप्टर से सीडीएस और ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह सहित सभी 14 लोगों ने वेलिंगटन के लिए उड़ान भरी थी, वो रास्ते में ही दुर्घटना का शिकार हो गया था. सीडीएस सहित बाकी 12 लोगों की उसी दिन मौत हो गई थी लेकिन ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह गंभीर चोट आने के बावजूद बच गए थे. लेकिन आज सुबह उनकी भी अस्पताल में मौत हो गई. उनके निधन पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और नितिन गडकरी ने संवेदना जताई है.

पीयूष गोयल ने भी कू कर संवेदना जताई है.

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह वर्ष 2019 में इसरो के गगनयान कार्यक्रम के लिए भी चुने गए थे. लेकिन लास्ट स्टेज में मेडिकल कारणों से शामिल नहीं हो पाए थे.  

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आर्मी स्कूल के छात्रों के लिए लिखा था पत्र

इसी साल सितंबर के महीने में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने चंडीमंदिर (चंडीगढ़) स्थित आर्मी पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं को एक लैटर लिखा था. ये लैटर उन्होनें शौर्य चक्र मिलने के बाद लिखा था. ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भी इसी स्कूल के पढ़े हुए थे. क्योंकि उनके पिता सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर हुए थे. इस लेटर में उन्होनें छात्र-छात्राओं को लिखा था कि मिडयोकर छात्र होना भी ठीक है.

क्योंकि स्कूल के समय में वे खुद बहुत होनहार छात्र नहीं थे. लेकिन उन्होनें अपने पायलट बनने का सपना नहीं छोड़ा था. यही वजह थी कि वे वायुसेना में पायलट बने थे. उन्होनें छात्रों को लिखा था कि वे चाहे किसी भी क्षेत्र में जाना चाहें फिर वो आर्ट हो या डांस हो या साहित्य, ग्राफिक डिजाइन हो उसमें बेहद लगन के साथ काम करें. लेकिन उसके लिए मेहनत और समय लगता है. उन्होनें लिखा था कि अगर एक भी छात्र उनसे प्रेरित होता है तो उनका इस लेटर को लिखने का मकसद सफल हो जाएगा. 

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