Sehore News : जिले में प्रसूताओं को घर से अस्पताल तक लाने और ले जाने में सक्रिय थे 17 जननी एक्सप्रेस.  लेकिन प्रदेश स्तरीय आपातकालीन जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस सेवा 8 दिसंबर से बंद है. यह फिर से कब बहाल होगी इसकी कोई खबर नहीं, यहां जानें आखिर क्यों बंद करनी पड़ी इसे.


डिलीवरी के लिए खर्च करने पड़ रहे हजारों रुपए


प्रदेश सहित अब सीहोर जिले में भी जननी एक्सप्रेस के पहिये थम गए हैं. एनएचएम ने टेंडर जारी कर दूसरी कंपनी को जननी वाहनों के संचालन का जिम्मा दे दिया है. उक्त टेंडर की प्रक्रिया में भी कई अनियमितताओं का आरोप मध्य प्रदेश जननी एक्सप्रेस संचालक संघ ने लगाया है. इसका खामियाजा ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली प्रसूताओं को भुगतना पड़ रहा है. उन्हें अस्पताल लाने ले जाने के लिए अब परिजनों को करीब 3 हजार रुपए तक का भुगतान करना पड़ रहा है.  ऐसे में गरीब परिवारों को इस सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है.


इन कारणाें से बंद कर दी गई यह सेवा 


मध्य प्रदेश जननी एक्सप्रेस संचालक संघ के जिला प्रभारी सूरज गौर ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत जिकित्जा हेल्थ केयर द्वारा संचालित जननी एक्सप्रेस एंबुलेंस सेवा के संचालन की पूरी जिम्मेदारी कंपनी ने जननी वेंडर्स को दी हुई थी. इसके तहत मध्य प्रदेश में कुल 840 वाहन 24 घंटे गर्भवती महिलाओं व शिशुओं को आपातकालीन एंबुलेंस सेवा प्रदान कर रहे थे.


वेंडर्स का कहना है कि कंपनी से उनका अनुबंध 8 सितंबर 2021 को समाप्त हो गया था लेकिन  प्रशासन के पास वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने की वजह से 3 महीने के विस्तार की अवधि में भी एंबुलेंस सेवाएं दी गईं, लेकिन अब कंपनी द्वारा पूरा भुगतान नहीं किया जा रहा है. साथ ही भुगतान में भारी कटौती की जा रही है. इसकी सूचना एनएचएम के अधिकारियों को भी लगातार दी जा रही थी, कोई सुनवाई नहीं होने पर विस्तार अवधि के अंतिम दिन यानी 8 दिसंबर के बाद जननी एक्सप्रेस सेवा पूरे प्रदेश में बंद कर दी गई है.


90 दिन के लिए एक्सटेंशन मांग रहे वेंडर्स


जिले में जननी एक्सप्रेस संचालकों का कहना है कि दूसरी कंपनी को टेंडर दिए जाने के बाद एक माह का भुगतान नहीं हुआ है. इससे सभी संचालकों ने अपने वाहन खड़े कर दिए हैं. वहीं कंपनी अगले 20 दिन और संचालन के लिए कह रही है.  एनएचएम द्वारा दिए गए 20 दिन के अतिरिक्त एक्सटेंशन में कार्य करना संभव नहीं है. वेंडर्स का कहना है कि 20 दिन में मेनटेनेंस और ऑप्रेशन कॉस्ट भुगतान से अधिक होगा. ऐसे में अगर 90 दिन के लिए एक्सटेंशन दिया जाता है तो काम करना संभव हो पाएगा.


हजारों रुपए तक करना पड़ रहा भुगतान


नसरुल्लागंज तहसील के ग्राम श्यामपुर निवासी भूरू भील ने बताया कि उसकी पत्नी को डिलीवरी के लिए नसरुल्लागंज अस्पताल भर्ती कराने के लिए जननी एक्सप्रेस वाहन के लिए संपर्क किया तो वाहन उपलब्ध नहीं हो पाया. करीब दो घंटे तक इंतजार करने के बाद प्राइवेट वाहन से 3 हजार रुपए देकर अस्पताल ले जाना पड़ा.


खजूरी निवासी चेतराम का कहना है कि पत्नी को डिलीवरी के लिए अस्पताल ले जाने के लिए जननी नहीं मिल पाई तो निजी वाहन से 1500 रुपए देकर अस्पताल ले जाना पड़ा. जननी संचालकों का कहना है कि कई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ताओं को उनके पर्सनल नंबर पर भी फोन आ रहा है, लेकिन जननी सेवाएं बंद होने से उनको लाभ नहीं दिया गया.


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