Assembly Elections 2023 Result: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने भविष्य की राजनीति को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बाद अब राजस्थान में भी एक नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाकर सबको चौंका दिया है. पार्टी ने अगले 20-25 सालों की राजनीति को ध्यान में रखते हुए वसुंधरा राजे सिंधिया (Vasundhara Raje), शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) और रमन सिंह (Raman Singh) जैसे कद्दावर नेताओं की दावेदारी को दरकिनार कर नए चेहरों पर भरोसा जताया है. इस फैसले से पार्टी ने जहां एक तरफ कार्यकर्ताओं को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है तो वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के करीबी नेताओं को कमान सौंपकर संघ को भी संतुष्ट किया है.


हालांकि, इसके साथ ही पार्टी आलाकमान ने कुछ महीने बाद 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव के मद्देनजर जातीय समीकरणों को साधने का भी पूरा प्रयास किया है. छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विष्णुदेव साय और मध्य प्रदेश में ओबीसी समाज से आने वाले मोहन यादव को चुना. इसके बाद राजस्थान में ब्राह्मण समाज से आने वाले भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री चुनकर बीजेपी ने सिर्फ इन राज्यों के मतदाताओं को ही संदेश नहीं दिया है, बल्कि इसके सहारे देश के अन्य राज्यों के जातीय समीकरणों को भी साधने का पूरा प्रयास किया गया है.


छत्तीसगढ़ में आदिवासी सीएम बनाने से इन राज्यों में मिलेगा फायदा
छत्तीसगढ़ में आदिवासी नेता को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने देशभर के विभिन्न राज्यों में रहने वाले आदिवासियों के लगभग 700 समुदायों को साधने का प्रयास किया, जिनकी कुल आबादी 10 करोड़ से ज्यादा है. छत्तीसगढ़ के अलावा मध्य प्रदेश, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान और पूर्वोत्तर राज्यों में आदिवासी मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. विपक्षी दल लगातार जाति जनगणना और ओबीसी आरक्षण का मुद्दा जोर-शोर से उठा रहे हैं. यह मुद्दा उत्तर प्रदेश और बिहार में बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बन सकता है, जहां अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव जोर-शोर से इस मसले को उठा रहे हैं. 


मोहन यादव के जरिए इन राज्यों को साधेगी बीजेपी
वैसे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ओबीसी समाज से आते हैं और बीजेपी नेता गर्व से यह बात कहते रहते हैं, लेकिन बीजेपी ने यादव समाज से आने वाले ओबीसी नेता को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाकर उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति को भी साधने की कोशिश की है. पार्टी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का ज्यादा से ज्यादा उपयोग उनके अपने गृह राज्य मध्य प्रदेश के अलावा उत्तर प्रदेश और बिहार में भी करती नजर आएगी. अगड़ी जातियों में से ब्राह्मणों को कुछ दशक पहले तक कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है, जिसके बल पर कांग्रेस ने दशकों तक केंद्र से लेकर राज्यों में राज किया, लेकिन जैसे-जैसे कांग्रेस का झुकाव मुस्लिमों की तरफ होता गया, ब्राह्मण उससे छिटक कर बीजेपी के साथ जुड़ गए थे.


इन राज्यों में ब्राह्मण मतदाताओं की बड़ी भूमिका
वहीं ओबीसी राजनीति के इस दौर में अगड़ी जातियां खासकर ब्राह्मण समुदाय अपने आपको कई राज्यों में उपेक्षित महसूस करने लगा था और अगर इस समाज की उदासीनता लोकसभा चुनाव तक बनी रहती तो निश्चित तौर पर इसका खामियाजा बीजेपी को उठाना पड़ सकता था. ऐसे में राजस्थान में ब्राह्मण समाज से आने वाले नेता को मुख्यमंत्री चुनकर बीजेपी ने देशभर के ब्राह्मण मतदाताओं को एक बड़ा संदेश देने का प्रयास भी किया है. राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में ब्राह्मण मतदाता जीत-हार में बड़ी भूमिका निभाते हैं.


यह सिर्फ अपना वोट ही नहीं देते हैं, बल्कि अपने प्रभाव के कारण अन्य जातियों का वोट दिलवाने की भी क्षमता रखते हैं. 2014 और 2019 में ब्राह्मणों सहित अगड़ी जातियों से आने वाले क्षत्रिय और वैश्यों ने भी मोदी की जीत में बड़ी भूमिका निभाई थी और बीजेपी एक बार फिर से इन्हें साधकर 2024 में हैट्रिक के सपने को साकार करना चाहती है.



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