Jharkhand News: झारखंड की राजधानी रांची (Ranchi) स्थित एचईसी (HEC) कंपनी की के वर्करों के सहयोग के बिना चंद्रमा का मिशन अधूरा रह जाता. आपको बता दें कि इन्हीं वर्करों ने दिन रात काम कर चंद्रयान-3 का लॉन्चिंग पैड तय समय से पहले तैयार किया था. मगर आज इनकी सुनने वाला कोई नहीं है. करीब 18 महीनों से इन्हें इनके मेहनत की कमाई तक नशीब नहीं हुई. इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि इस महंगाई भरे समय मे इनके लिए घर चलाना कितना कठिन होगा. इन लोगों ने अपनी सैलरी के लिए काफी प्रयास किये मगर स्थिति जस की तस बनी है. आखिर इन लोगों की पीड़ा कौन सुनेगा, जब कोई रास्ता नजर नहीं आया तो इन्होंने कई बार प्रोटेस्ट भी किया, मगर अभी तक सैलरी मिली नहींमिली.


भूखे रहने के हालात
वहीं एबीपी न्यूज ने इन कामगारों से इस संबंध में बातचीत की तो उन्होंने बताया कि, आज करीब 18 महीने हो गये हैं उन्हें सैलरी नहीं दी गई है. अब स्थिति भूखे मरने की हो गई है. अगर कोई बीमार पड़ रहा है तो उसके इलाज के लिए महाजन से सूद लेना पड़ता है. आज आठ महीनों से बच्चों की स्कूल की फीस जमा नहीं कर पाए हैं. स्कूल द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा है, वहीं कंपनी के अधिकारियों की स्थिति और दयनीय है. इनको करीब बीस महीनों से सैलरी नहीं दी गई है. जब हमने एचइसी कंपनी के डिप्टी मैनेजर केएम टूडू से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि करीब 20 महीनों से सैलरी नहीं मिलने के कारण 10 दिन पहले चावल खरीदा था रोज सुबह माड़-भात खा कर निकलता हूं.


20 महीनों से मिली सैलरी
वहीं एचइसी में काम कर रहे अन्य अधिकारियों ने बताया कि, स्थिति भयावह बन चुकी है. उन्होंने बताया कि अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर केंद्र या राज्य सरकार के कर्मियों को सिर्फ 2 महीनों की सैलरी नहीं मिलेगी तो क्या हालत हो जाएंगे. हमें तो करीब 20 महीनों से पैसे नहीं मिले हैं. उन्होंने बताया कि जीवन चलाने के लिये शुरू में जमा पूंजी पर निर्भर रहना पड़ता था पर आज लोन लेकर काम चला रहे हैं. यहां तक की जमीन तक बेचने की नौबत आ गई, मगर सरकार हमारी ओर जरा भी धयान नहीं दे रही है. वहीं एचइसी अधिकारी सुभाष चंद्रा ने बताया कि, करीब 10 सालों से वे एचइसी में काम कर रहे हैं. मगर अब ऐसा लगता है कि वे आज सड़क पर आ गये है


कार्मचारी लगातार लगा रहे मदद की गुहार
उन्होंने बताया कि हमने मैनेजमेंट और सरकार को अवगत कराया है, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ. हमने पत्र लिख कर राष्ट्रपति महोदया, प्रधानमंत्री महोदय को अवगत करवाया करीब हजारो पोस्टकार्ड हमने भेज कर अपनी परेशानियों को बताने की कोशिश की, लेकिन वहां से भी कुछ मदद नहीं मिली. एचईसी की डिफेंस में बड़ा योगदान रहा है. न्यूक्लियर रीयेक्टर का इस्तेमाल पहली बार एचईसी ने ही किया था. साथ ही पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन अब्दुल कलाम ने इस कंपनी को देखने के बाद कहा था, देश को दूसरा एचईसी नहीं मिल सकता है तब भी कोई हमारी सुनने वाला नहीं है. वही जब एबीपी न्यूज ने इन कर्मियों के घर जाकर हालात समझने की कोशिश की तो इन कर्मियों की पत्नियों ने बताया कि, आज हालात ऐसे बन चुके है कि घर चलाने में चुनोतियों का सामना रोज करना पड़ रहा है.


कांग्रेस और बीजेपी ने क्या कहा?
वहीं इस बारे में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल सहदेव ने कहा कि, एचईसी को मडर ऑफ इंडस्ट्री के रूप में जाना जाता है. मगर यूपीए की सरकार ने इस कंपनी का बंटा धार कर दिया है. उन्होंने बताया कि हमारे प्रधानमंत्री लगातार देश की हित में काम कर रहे हैं. केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि, एचईसी ट्रैक पर आ जाए. सैलरी की जो परेशानी है उस पर भी सरकार की नजर बनी हुई है. जल्द से जल्द इस समस्या को खत्म किया जाएगा. वहीं कांग्रेस ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, देश को अगर आगे ले जाना है तो एचईसी को अनदेखा नहीं किया जा सकता है. एचइसी को निजी हाथों में बेचने की साजिश रची जा रही है, जिस कंपनी ने देश के लिये कई उपकरण बनाये उस कंपनी के वर्कर्स के पेट में निवाला न जाय तो एचईसी का विकास कैसे होगा.






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