Jakhu Mandir: शिमला के जाखू मंदिर में हनुमान जन्मोत्सव की धूम, केसरी नंदन को चढ़ाया जाएगा दो क्विंटल का रोट
Shimla Jakhu Hanuman Temple: देशभर में हनुमान जन्मोत्सव की धुन है. हिमाचल प्रदेश के शिमला के मशहूर जाखू मंदिर में भी धूमधाम के साथ भगवान हनुमान के जन्मोत्सव को मनाया जा रहा है.
Hanuman Jayanti 2024: हिंदू धर्म में चैत्र मास को बेहद पवित्र और पवन माना जाता है. चैत्र मास से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है. इसी महीने की नवमी को भगवान राम और चैत्र मास की पूर्णिमा को भगवान हनुमान का जन्म हुआ था. भगवान शिव के 11वें अवतार भगवान हनुमान के जन्मोत्सव को हर साल बेहद हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.
इस साल भी पूरे देश में हनुमान जन्मोत्सव की धूम है. शिमला के मशहूर जाखू मंदिर में भी बेहद धूमधाम के साथ हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है. हवन और यज्ञ के साथ शुरुआत पवित्र दिन की शुरुआत के बाद से ही भगवान के भक्त मंदिर पहुंचकर शीश नवा रहे हैं.
केसरी नंदन को चढ़ाया जाएगा दो क्विंटल का रोट
जाखू मंदिर प्रबंधन ने यहां श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रसाद का भी प्रबंध किया है. भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के मौके पर उन्हें दो क्विंटल का रोट चढ़ाया जाएगा. सुबह से ही हनुमान भक्तों की भीड़ मंदिर में दर्शन के लिए लग गई है. सुबह के वक्त होने वाली पूजा में भी बड़ी संख्या में भक्तों ने हिस्सा लिया.
जाखू मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं. जाखू शिमला शहर की सबसे ऊंची पहाड़ी है और यहां भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति भी है. जल्द ही यहां भगवान राम की 111 फीट ऊंची मूर्ति भी लगने वाली है.
अपरंपार है अंजनीपुत्र हनुमान की महिमा
भगवान हनुमान दसों दिशाओं, आकाश और पाताल के रक्षाकर्ता कहलाते हैं. जो भक्त निस्वार्थभाव से हनुमान जी की पूजा-अराधना करते हैं, उन्हें कभी किसी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता है. कहा जाता है कि हनुमान जी के केवल नामों के उच्चारण मात्र से ही व्यक्ति सांसारिक सुखों को प्राप्त करता है. भगवान हनुमान को मारुति, बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, राम दूत, वानर यूथपति, कपि श्रेष्ठ, शंकरसुवन और रामभक्त जैसे अनेक नामों से जाना जाता है.
क्या है मंदिर का इतिहास?
शिमला में करीब 8 हजार 048 फीट की ऊंचाई पर विश्व प्रसिद्ध जाखू मंदिर स्थित है. इस मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति स्थापित है. भगवान हनुमान का दर्शन करने के लिए न केवल देश से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं.
ऐसी मान्यता है कि त्रेता युग में राम-रावण युद्ध के दौरान जब मेघनाथ के बाण से लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए, तो सुखसेन वैद ने भगवान राम को संजीवनी बूटी लाने के लिए कहा. इसके लिए भगवान राम ने अपने अनन्य भक्त हनुमान को चुना. अपने प्रभु भगवान श्री राम के आदेशों पर हनुमान संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत की ओर उड़ चले.
इसी स्थान पर प्रकट हुई भगवान की स्वयंभू मूर्ति
हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई.
समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए.
भगवान हनुमान की चरण पादुका भी है मौजूद
इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा. दुनियाभर में आज इस मंदिर को जाखू मंदिर के नाम से जाना जाता है.
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