महिला कांग्रेस ने निकाली आक्रोश रैली, केंद्र के बजट को बताया 'जन विरोधी'
Congress Protest: राष्ट्रीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने केंद्रीय बजट (Union Budget) को महिलाओं के लिए निराशजनक और पूरी तरह से जन विरोधी करार दिया है.
Women congress Protest: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने 8 दिन पहले लोकसभा में साल 2023-24 का बजट पेश किया था. बजट को लेकर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आईं थी. देश के अर्थशास्त्रियों और वित्तीय विशेषज्ञों ने इसे भविष्य का बजट बताया था तो वहीं विपक्षी दलों ने इसे औद्योगिक घरानों को फायदा पहुंचाने वाला बजट करार दिया था. आज आज महिला कांग्रेस ने बजट के प्रावधानों को जन विरोधी बताते हुए दिल्ली में आक्रोश रैली निकाली. महिला कांग्रेस अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश होने के बाद से ही कांग्रेस पार्टी इसका का विरोध कर रही है. कांग्रेस मोदी सरकार के इस बजट को जन विरोधी मानती है.
बता दें कि महिला कांग्रेस ने दिल्ली के जंतर मंतर आक्रोश रैली का आयोजन किया. महिला कांग्रेस की अध्यक्ष नेटा डिसूजा ने भारी संख्या में महिला कायकर्ताओं के साथ पीएम मोदी के खिलाफ नारे लगाए.महिला कांग्रेस की अध्यक्षा ने बताया कि इस आम बजट से महिलाओं को घोर निराशा हुई है. कमरतोड़ महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, महिलाओं के खिलाफ अनियंत्रित अपराध को लेकर बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
पीएम देश की जनता के गुनहगार
महिला कांग्रेस अध्यक्ष न केंद्र सरकार की निवेश नीति पर भी जम कर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि एलआईसी, स्टेट बैंक और दूसरे बैंकों में जमा देश के नागरिकों की गाढ़ी कमाई को अडानी ग्रुप में निवेश कर देश को बर्बादी के कगार तक पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी देश की जनता के गुनहगार हैं. वो अपने मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए देश की जनता के पैसों को बर्बाद कर रहे हैं. यह सरासर गलत है. देशहित के लिए ऐसा करने से रोका जाना चाहिए.
बता दें कि साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाला है. देश की जनता को चुनावी साल में चुनावी बजट की उम्मीद थी. मध्यमवर्गीय आम जनता और महिलाओं को भरोसा था कि सरकार बजट से उन्हें महंगाई, बेरोजगारी और कर सीमा सहित कई तरह की छूट देकर उन्हें राहत देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ नहीं. नौकरपेशा वालों को 7 लाख रुपए तक सालाना आय पर टैक्स में छूट तो दी लेकिन इसमें भी कई पेंच हैं. इससे मध्यमवर्गीय परिवारों, युवाओं और खास तौर पर महिलाओं में घोर निराशा है.
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