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Gurugram Lok Sabha Election 2024: गुरुग्राम में ग्लैमर के सहारे जातीय समीकरण साधने में जुटे सियासी दल, चुनाव में कितना डालेंगे असर?

Gurugram Lok Sabha Chunav 2024: साइबर सिटी के तौर पर मशहूर गुरुग्राम लोकसभा सीट देश की सबसे हॉट सीटों में एक है. लोकसभा चुनाव में इस सीट पर दो बॉलीवुड स्टार और एक केंद्रीय मंत्री की साख दांव पर है.

Gurgram Lok Sabha Elections 2024: देश की राजधानी दिल्ली से सटे गुरुग्राम में यूं तो पूरे साल चहल-पहल रहती है, लेकिन इस वक्त यहां लोकसभा चुनाव का असर साफ देखा जा सकता है. गुरुग्राम एशिया का सबसे बड़ा आईटी हब है और यहां पर दुनिया की नामी कंपनियों के दफ्तर हैं, जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलता है. 

अपनी चमक-दमक के लिए दुनिया में मशहूर गुरुग्राम का एक दूसरा पहलू भी है. नीति आयोग के मुताबिक, गुरुग्राम देश के सबसे पिछड़े क्षेत्रों में से एक है. गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र में कुल 9 विधानसभाएं शामिल हैं. यह सीट बीजेपी प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह का गढ़ माना जाता है. हालांकि. इस बार कांग्रेस ने यहां से फिल्म अभिनेता राज बब्बर को चुनावी रण में उतारकर बीजेपी की टेंशन में इजाफा कर दिया है. 

कांग्रेस-जेजेपी ने लगाया बॉलीवुड का तड़का
बॉलीवुड ग्लैमर का तड़का लगाते हुए जननायक जनता पार्टी ने मशहूर सिंगर फाजिलपुरिया को अपना प्रत्याशी बनाया है. फाजिलपुरिया का असली नाम राहुल यादव है. उनके चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है, लेकिन सियासी जानकारों की मानें तो यहां पर मुख्य मुकाबला दोनों प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच ही होगी.

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह बीजेपी के टिकट पर तीसरी बार गुरुग्राम लोकसभा सीट से उम्मीदवार हैं. वह अहीर राजा राव तुलाराम के वंशज हैं, जिन्होंने 1857 की पहली जंगे आजादी की लड़ाई में हिस्सा लिया था. साल 2019 में यहां से उन्होंने कांग्रेस कैप्टन अजय सिंह यादव को अपना प्रत्याशी बनाया था. हालांकि, इस बार यानी साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए मशहूर बॉलीवुड अभिनेता राज बब्बर को प्रत्याशी बनाया है. 

राव इंद्रजीत सिंह का मजबूत किला है गुरुग्राम
गुरुग्राम लोकसभा सीट साल 2008 में परीसीमन के बाद अस्तित्व में आई. हालांकि, इससे पहले 1952 से 1977 तक यह सीट अस्तित्व में थी. साल 2008 में इसी सीट के गठन के बाद राव इंद्रजीत सिंह यहां से लगातार जीत रहे हैं. साल 2009 में इस सीट पर पहली बार राव इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी, तब उन्होंने बीएसपी प्रत्याशी जाकिर हुसैन को हराया था. 

साल 2014 में आम चुनाव से पहले राव इंद्रजीत सिंह ने हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा से मनमुटाव के चलते कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर जाकिर हुसैन को हरा दिया. इस बार जाकिर हुसैन इंडियन नेशनल लोक दल से चुनाव लड़ रहे थे. इसी तरह साल 2019 में राव इंद्रजीत सिंह ने गुरुग्राम से जीत की हैट्रिक लगाई और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह यादव को हराकर संसद पहुंचे.

गुरुग्राम की भौगोलिक परिस्थिति
हरियाणा के तीन महत्वपूर्ण जिले गुरुग्राम, नूंह और रेवाड़ी को मिलकर गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र को गठित किया गया. यह प्रदेश के सभी 10 लोकसभा सीटों में जातीय आधार पर सबसे विविध है. इस लोकसभा क्षेत्र में शामिल तीनों जिलों का इतिहास काफी पुराना है, जिसका जिक्र महाभारत सहित अन्य जगहों पर मिलता है. इस कड़ी में सबसे पहले बात करते हैं नूंह जिले की.

नूंह: हरियाणा के 22 जिलों में से एक नूंह ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टिकोण से काफी अहम है. नूंह 1507 स्कवाय किलोमीटर में फैला है, साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, इसकी आबादी लगभग 11 लाख है. नूंह से प्राचीन अरावली की पहाड़ियां गुजरती हैं. इसके अलावा इस जिले को महाभारत काल से भी जोड़कर देखा जाता है. साथ में यह मौर्य साम्राज्य के पतन और  बैक्ट्रियन, यूनानी, पार्थियन, सीथियन और कुषाण जैसे बाहरी हमलों का साक्षी बना. प्राचीन काल से देश आजाद होने तक यह कई महान सल्तनतों का साक्षी रहा है. 

आजादी के बाद महात्मा गांधी ने यहां के मेव समुदाय से देश छोड़कर ना जाने की अपील की. नूंह में चुई माल तालाब और नल्हन का शिव मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. नीति आयोग ने साल 2018 में नूंह को भारत के सबसे पिछड़े जिलों में से एक बताया है. यहां खेती और पश पालन मुख्य व्यवसाय है. बुनियादी सुविधाओं के साथ नौकरी, फैक्ट्री, स्कूल और पानी जैसी समस्याएं लगातार चुनाव में हावी रहे हैं. जिले की तीन विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है. 

रेवाड़ी: गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र में शामिल रेवाड़ी का भी इतिहास कई हजार साल पुराना है. यह जिला बीजेपी प्रत्याशी राव इंद्रजीत सिंह का गृह क्षेत्र है. इस शहर का नाम रेवत नाम के राजा की बेटी रेवती के नाम पर पड़ा. रेवाड़ी के राजा राव तुलाराम सिंह ने 1857 की पहली जंगे आजादी की लड़ाई में भाग लिया. 1972 तक रेवाड़ी गुड़गांव का हिस्सा था. उसके बाद महेंद्रगढ़ में मिला दिया गया. साल 1989 में रेवाड़ी नाम से यह जिला अस्तित्व में आया.

राजस्थान में सटा होने के कारण यहां पर धूल भरी आंधियां चलती हैं. अरावली की ऊबड़ खाबड़ पहाड़ियां इस जिले से होकर गुजरती हैं. रेवाड़ी मौसमी फसलों के अलावा पीतल उद्योग के लिए काफी मशहूर है. इसकी शुरुआत 1535 ई. में पुर्तगालियों ने की, लेकिन मुगलकाल में पीतल उद्योग ने तेजी से विकास किया. रेवाड़ी में दो विधानसभाएं बावल और रेवाड़ी शामिल हैं. इनमें से एक सीट पर कांग्रेस और एक पर बीजेपी का कब्जा है. 

गुरुग्राम: अब बात करते हैं गुरुग्राम जिले की. गुरुग्राम केंद्रीय राजधानी दिल्ली से महज 30 किलोमीटर की दूरी पर है. जबकि यह हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ से 268 किलोमीटर दूर है. यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा आईटी हब है, जबकि बैंकिंग और वित्तीय प्रबंधन में तीसरा सबसे बड़ हब है. इसके अलावा यहां पर कई देशी और विदेशी कंपनियों के मुख्यालय भी हैं.

ऐतिहासिक रुप से इसकी जड़ें कुरू साम्राज्य से मिलती हैं. फिर अहिर शासकों का राज्य रहा है. इसके बाद इस जिले पर मौर्य वंश, चौहान, मुगल और अंग्रेजों का शासन रहा है. 1818 में पहली बार अंग्रेजों ने गुड़गांव जिला बनाया था. 2011 की जनसंख्या के मुताबिक, लगभग 9 लाख की आबादी वाला गुरुग्राम देश का 8वां सबसे अमीर जिला है. 

गुरुग्राम साहिबी नदी पर बसा है, जो यमुना की सहायक नदी है. इसके अलावा यहां से भी अरवाली पहाड़ी होकर गुजरती है. गुरुग्राम पर्यटन के लिहाज से भी काफी मशहूर है. इसके ग्रामीण इलाके में  सरबशीरपुर वेटलैंड, सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान, बसई वेटलैंड, नजफगढ़ झील, नजफगढ़ पक्षी अभयारण्य, घाटा झील, बादशाहपुर झील, खांडसा झील और गुड़गांव झील हैं. यहां पर पूरे साल टूरिस्टों का जमावड़ा लगा रहता है.

सियासी लिहाज से देखें तो गुरुग्राम जिले में कुल चार विधानसभाएं हैं, जिनमें पटौदी, बादशाहपुर, गुड़गांव और सोहना विधासभा शामिल हैं. गुरुग्राम की चार में से तीन विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं, जबकि बादशाहपुर सीट कांग्रेस के कब्जे में है.

गुरुग्राम लोकसभा सीट जातीय समीकरण
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल करने के लिए ग्लैमर के साथ जातीय वोट बैंक का कार्ड खेलने की कोशिश की है. कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर का ताल्लुक पंजाबी सुनार फैमिली से है. अक्सर सियासी मंचों से उनकी बेटी जूही बब्बर इसका जिक्र कर पंजाबी वोट बैंक के साथ मुस्लिम और कोर वोट बैंक को साधने की कोशिश करती हुई दिखाई पड़ती हैं. 

गुरुग्राम लोकभा क्षेत्र में कुल 25 लाख वोटर्स हैं, जिनमें से अहीर समाज की आबादी 17 फीसदी है. बीजेपी प्रत्याशी और हालिया सांसद राव इंद्रजीत का ताल्लुक अहीर समाज से है. अहीर समाज इस क्षेत्र के तीनों जिलों में फैला है. यहां पर मुस्लिम मेव समुदाय निर्णायक भूमिका में है, जिनकी आबादी 19 फीसदी है.  इसके बाद ओबीसी वोटर्स भी बड़ी संख्या में है. इसी तरह 15 फीसदी एससी वोटर्स की संख्या है. 

प्रवासी वोटर्स सियासी दलों की नजर
जनरल कैटेगरी में शामिल जाट मतदाता 8 फीसदी वोट शेयर करते हैं, जो इस कैटेगरी में सबसे अधिक है. जेजेपी के उम्मदीवार फाजिलपुरिया खुद यादव समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. सियासी मंच और आम जनसभा में वह केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पर ओबीसी और अहीर समाज की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए निशाना साधते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. राज बब्बर की नजर गुरुग्राम के पंजाबी वोटर्स के साथ मुस्लिम, जाट, एससी वोट बैंक में सेंध लगाने की है.

साइबर हब गुरुग्राम लोकसभा सीट देश की अन्य सीटों की सियासत के मुकाबले थोड़ी मुश्किल है. इसकी वजह ये है कि इस सीट पर स्थानीय मतदाताओं के साथ बड़ी संख्या में प्रवासी आबादी भी हैं. कांग्रेस-बीजेपी सहित अन्य दलों की नजर भी इन प्रवासी वोटर्स पर होगी. इस बार लोकसभा चुनाव में मेवात दंगा, रोजगार, बुनियादी सुविधा सहित स्थानीय मुद्दे हावी हैं. जिसका जिक्र बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशी सार्वजनिक मंचों से कर एक दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं.

'स्थानीय बनाम बाहरी'
राज बब्बर के चुनावी मैदान में उतरते ही बीजेपी 'स्थानीय बनाम बाहरी' का मुद्दा उठाना शुरू कर दिया है. बीते दिनों इफको चौक पर पंजाबी समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए बीजेपी उम्मीदवार राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि कांग्रेस हम लोगों को बांटना चाहती है, इसलिए उसने बाहर से एक पंजाबी कैंडिडेट को इंपोर्ट किया है. इसके अलावा वह पीएम मोदी के चेहरे और विकास कार्यों का हवाला देकर वोट मांग रहे हैं. 

इसके उलट कांग्रेस प्रत्याशी राज बब्बर स्थानीय समस्याओं को चुनावी मुद्दा बना रहे हैं. वह राव इंद्रजीत सिंह के गृह क्षेत्र रेवाड़ी में पानी की समस्या, गुरुग्राम जैसे मिलनियम सिटी में साफ सफाई, जल-निकासी और ट्रांसपोर्टेशन जैसे मद्दों के जरिये वोटर्स को साधने में लगे हैं. उनकी बेटी जूही बब्बर चुनाव में हरियाणवी ब्लड को चुनने पर जोर दे रही हैं. 

छक्का लगाने की फिराक में बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशी 
कांग्रेस और बीजेपी नेता में कुछ बातें समान हैं, वो यह कि दोनों में उम्र का अधिक फासला नहीं है. दोनों ही सियासत के मझे हुए दिग्गज खिलाड़ी हैं. 74 वर्षीय केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह 6वीं बार लोकसभा चुनाव जीतने का ख्वाब देख रहे हैं, तो वहीं राज बब्बर भी छठीं बार लोकसभा जाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. 

राज बब्बर इससे पहले दो बार राज्यसभा सदस्य और तीन बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. गुरुग्राम की सियासी रण में जीतने के लिए राज बब्बर की बेटी जूही यहीं पर कैंप किए हुए हैं, तो दूसरी तरफ राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती सिंह चुनाव में बढ़चढ़कर प्रचार कर रही हैं.

23 प्रत्याशी ठोक रहे हैं ताल
कुल मिलाकर 25 लाख मतदाताओं वाली गुरुग्राम सीट पर 23 प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं. गुरुग्राम लोकसभा सीट पर 25 मई को मतदान है और परिणाम 4 मई को घोषित किए जाएंगे. उससे पहले कांग्रेस बीजेपी सहित सभी दलों ने गुरुग्राम में प्रचार अभियान तेज कर दिया. बीजेपी पर यहां से सियासी वर्चस्व बरकरार रखने का दबाव है, तो वहीं अन्य दल बीजेपी के किले में सेंध लगाकर परिसीमन के बाद पहली जीत की फिराक में पेश पेश हैं.

ये भी पढ़ें: Lok Sabha Elections: अमृतपाल सिंह का नामांकन मंजूर हुआ या नहीं? आया ये बड़ा अपडेट

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