Delhi News: दिल्ली (Delhi) की एक कोर्ट ने शनिवार को शरजील इमाम (Sharjeel Imam) की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. शरजील ने जमानत मांगते हुए यह दलील दी थी कि वह पिछले चार वर्षों से हिरासत में है जो अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी अवधि से अधिक है. कोर्ट ने कहा कि यह मामला अन्य मामलों से अलग है क्योंकि इमाम के खिलाफ लगे आरोपों की प्रकृति और उसकी विघटनकारी गतिविधियों के कारण दंगे हुए. जज समीर बाजपेयी (Sameer Bajpai) ने CRPC की धारा 436 ए के तहत जमानत की मांग करने वाली इमाम की याचिका पर शनिवार को सुनवाई के दौरान फैसला सुनाया.


गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने पर सात साल की सजा का प्रावधान है. सीआरपीसी की धारा 436-ए के तहत यदि किसी व्यक्ति ने अपराध के लिए निर्धारित अधिकतम सजा की आधी से अधिक सजा काट ली है, तो उसे जेल से रिहा किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि इमाम के कृत्यों को ध्यान में रखते हुए अदालत का मानना ​​है कि मामले में तथ्य सामान्य नहीं हैं. कोर्ट ने इसलिए इमाम को राहत न देने और उसकी हिरासत को बरकरार रखने का फैसला किया. कोर्ट हालांकि यह जरूर कहा कि इमाम ने किसी को हथियार उठाने और मारने के लिए नहीं कहा था लेकिन उसके भाषणों और गतिविधियों ने लोगों को एकजुट किया और जिससे अशांति फैली. 


इमाम के इस भाषण से पैदा हुआ था विवाद, फिर दर्ज हुआ था केस
बता दें कि इमाम के खिलाफ 2022 में निचली अदालत ने आईपीसी की धारा 124 ए,  153 ए, 153 बी, 505  और धारा 13 के तहत आरोप तय किए थे. इमाम ने नवंबर 2019 में जामिया मिलिया इस्लामिया और दिसंबर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण दिया था. इमाम पर आरोप है कि उन्होंने असम समेत उत्तर पूर्व को देश से काटने की धमकी दी थी.


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