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Delhi Crime: जॉब के लिए विदेश भेजने के नाम पर ठगी के गैंग का पर्दाफाश, आतंकी संगठन से है संबंध
Delhi Visa Cheating: दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने ठगी के एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है, जो अच्छे पैसे और जॉब की चाह में विदेश जाने की इच्छा रखने वाले लोगों से ठगी करते थे.
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Delhi News: दिल्ली पुलिस की साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने ठगी के एक ऐसे गिरोह का खुलासा करने में कामयाबी पाई है, जो अच्छे पैसे और जॉब की चाह में विदेश जाने की इच्छा रखने वाले भोले-भाले और मासूम लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम देते थे. इस मामले में पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत अब तक कुल 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें से 4 आरोपी बिहार के दरभंगा और सीवान जिले के रहने वाले हैं, जबकि एक जामिया और दो नेपाल के निवासी हैं. आरोपियों के कब्जे से पुलिस ने कई फर्जी सिमकार्ड, मोबाइल फोन, लैपटॉप पीड़ितों के पासपोर्ट आदि बरामद किए हैं.
आतंकी संगठन IM से भी नाता
क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी रविन्द्र यादव के अनुसार, इस गिरोह का मास्टरमाइंड दरभंगा, बिहार का रहने वाला इनामुल हक है. इसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच मे ही छोड़ दी थी और लगभग पिछले सालों से वो इस तरह से लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम दे रहा है. इसके तार आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन से भी जुड़े हुए हैं. वहीं, इसका एक साथी ने भोपाल से बीटेक किया है, लेकिन जॉब छोड़ कर वो इनामुल के साथ मिल कर ठगी करने लगा.
वीजा के नाम पर लेते थे 59 हजार
लोगों को झांसे में लेने के लिए ये नॉएडा, महिपालपुर, वसंतकुंज जैसे हाई-प्रोफाइल इलाके में अपना ऑफिस खोलते थे, जो काफी शानदार होता था और उसमें तीन-चार लोगों को ये काम पर रखते थे, जिससे लोगों को उनकी कंपनी के बड़े और प्रतिष्ठित होने का भ्रम हो जाता था. खास बात यह है कि अपनी ठगी को फुल प्रूफ बनाने के लिए इन्होंने दुबई बेस्ड एक फर्जी कंपनी बना रखी थी, जिसे इन्होंने नौकरी डॉट कॉम पर पंजीकृत करा रखा था, जिससे लोगों को उन पर भरोसा हो जाता था. ये विदेश में नौकरी की चाह रखने वाले लोगों से वीजा प्रोसेसिंग चार्ज कर नाम पर 59 हजार रुपये लेते थे. जब एक ऑफिस से ये सौ से दो सौ लोगों को अपना शिकार बना लेते थे तो फिर अचानक की वे रातों-रात अपना ऑफिस बंद कर फरार हो जाते थे.
नई जगह पर नए नाम से करते थे ठगी
इसके बाद, नई जगह पर नए नाम से नया ऑफिस और फिर वहां भी वे अपने शिकार का टारगेट पूरा करने में लग जाते थे. खास बात यह है कि आरोपी, पीड़ितों को दुबई, मलेशिया और अब-धाबी जैसी जगहों के लिए टूरिस्ट वीजा पर वहां भेजने और फिर वहां पहुंचने पर वर्क परमिट देने का वादा करते थे. उनका भरोसा जीतने के लिए वे ऑनलाइन फर्जी टूरिस्ट वीजा भी उन्हें भेजते थे. वहीं, ये पीड़ितों से स्टेप-बाय-स्टेप पार्ट पेमेंट लेते थे जिससे किसी को उन पर शक भी नहीं होता था. ये ठग अपने शिकार तक पहुंचने के लिए कॉलिंग का सहारा लेते थे और जो उनके झांसे में आ जाता था, उन्हें वे अपने ऑफिस में आने का निर्देश देते थे. जहां पहुंचने के बाद, उनका ठगा जाना लगभग निश्चित ही हो जाता था.
हजार से ज्यादा लोगों को ठगों ने बनाया शिकार
इस तरह से आरोपियों ने पिछले पांच सालों में लगभग हजार से ज्यादा लोगों से ठगी की वारदात को अंजाम दिया है. पीड़ितों में ज्यादातर केरला और दक्षिण भारत की अन्य हिस्सों के हैं. यही वजह है कि महज 59 हजार की रकम और दूसरे राज्य के पीड़ित होने के कारण लोग इसकी शिकायत करने पुलिस तक नहीं पहुंच रहे थे. लेकिन अब जब इनके इस गोरखधन्धे का खुलासा हुआ तो ठगी के इस बड़े मामले में हजार से ज्यादा लोगों को शिकार बनाने का पता चला.
फर्जी आधार पर खुली कंपनी और बैंक खाते
डीसीपी क्राइम, अंकित सिंह ने बताया कि आरोपियों ने नेपाल के दो आरोपियों के फर्जी आधार बनवाये थे, जिसके आधार पर फर्जी कंपनी बनाते थे, सिमकार्ड प्राप्त कर बैंक एकाउंट खोलते थे और फिर उसके माध्यम से पीड़ितों से पैसे ट्रांसफर करवाते थे. जिसे गिरोह का सरगना और मास्टरमाईंड इनामुल एटीएम से निकाल कर सब में बांटता था. इस मामले में पुलिस गिरफ्तार सभी आरोपियों से पूछताछ कर आगे की जांच और मनी ट्रेल पता लगाने में जुट गई है. साथ ही यह भी छानबीन की जा रही है कि आरोपियों ने कैसे फर्जी आधार कार्ड बनवाया और इसमें किसने उनकी सहायता की.
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