Delhi Ordinance Row: कांग्रेस की 'हां' के बाद AAP का नया सियासी दांव, कार्यकर्ताओं को गुपचुप दिए ऐसे आदेश!
Delhi Politics: आप प्रमुख ने देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के ताजा रुख को देखते हुए अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि वो कांग्रेस के खिलाफ कोई ट्वीट या पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा न करें.
Delhi News: विगत एक दशक से दिल्ली और देश की राजनीति में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच 36 का आंकड़ा देश और दुनिया में जग जाहिर है. इसके बावजूद केंद्र सरकार के अध्यादेश ने दोनों को करीब ला दिया है. कांग्रेस ने भी सियासी नजाकत देखते हुए आप नेताओं के अभी तक के अपमानजनक आरोपों को दरकिनार कर अध्यादेश पर समर्थन देने का भरोसा दिया है. दूसरी तरफ दिल्ली में अपने सियासी अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्षरत आप ने भी देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के इस रुख को देखते हुए अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं से कहा है कि वो कांग्रेस के खिलाफ कोई ट्वीट या पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा न करें. न ही ऐसा कोई बयान दें. सियासी नजाकत को देखते हुए पार्टी लाइन का पालन करें.
इंडियन एक्सप्रेस अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा है कि आप का यह रुख मंगलवार को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में संपन्न 26 विपक्षी दलों की बैठक के बाद सामने आया है. खास बात यह है कि आम आदमी पार्टी नेतृत्व ने अपनी सोशल मीडिया टीम से कांग्रेस के खिलाफ कोई ट्वीट नहीं करने और समग्र रूप से संयमित रुख अपनाने को कहा है. सूत्रों की मानें तो आप प्रमुख ने कांग्रेस पर हमलों से दूर रहने के निर्देश पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को दिए हैं. ताजा आदेश में सोशल मीडिया टीम को निकट भविष्य में कोई भी कांग्रेस विरोधी पोस्ट न डालने के निर्देश दिए गए हैं.
AAP नेताओं को सता रहा नुकसान का डर
आप के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पार्टी की पंजाब और दिल्ली इकाइयों ने अतीत में सबसे पुरानी पार्टी पर नरम रुख अपनाने को लेकर आशंका व्यक्त की थी. दोनों राज्यों में दोनों का मतदाता आधार समान है. आप ने पंजाब में कांग्रेस को हराया और दिल्ली में उसका सफाया कर दिया. इसे सीधे तौर पर नहीं लेने से राज्य इकाइयों में समस्याएं पैदा हो सकती हैं. खासकर यह देखते हुए कि जब भी कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ता है, तो आप को ही नुकसान होता है.
दिल्ली-पंजाब के कांग्रसी नेता हुए नाराज
दूसरी तरफ कांग्रेस की दिल्ली इकाई को पार्टी के साथ तालमेल बिठाना मुश्किल हो रहा है. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व ने लिया है. हम पार्टी के वफादारों के रूप में इस पर अमल करेंगे, लेकिन सच यही है कि विपक्षी एकता को लेकर बेंगलुरु बैठक के बाद केजरीवाल के बयान को कांग्रेस के टवीट हैंडल पर ट्वीट करना दिल्ली के साथ-साथ पंजाब के नेताओं को अच्छा नहीं लगा है. बता दें कि मंगलवार की बैठक के बाद कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के संबोधन के अलावा केजरीवाल के संबोधन का एक वीडियो भी अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया है. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी जैसे अन्य लोगों के संबोधन का भी वीडियो शामिल है.
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