सुपौल: बिहार सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज मुख्यालय के मुख्य चौराहे पर अवस्थित बड़ी दुर्गा मंदिर की माता की महिमा अपरंपार है. बड़ी संख्या में भक्तजन वैष्णवी मनोकामना पूर्णि माता के दरबार में मन्नतें पूरी करने की गुहार लगाने आते हैं और मन्नतें पूरी होने पर भोग लगाते हैं. भक्त चढ़ावे के रूप में चांदी-सोने के जेवरात व कपडे़ चढ़ाते हैं. मन्नतें पूरी होने पर वे माता का खोईछा भरने सहित जाप, दण्ड प्रणाम के अलावा अखंड ज्योति, जागरण के साथ ही मंदिर निर्माण में सहयोग आदि कई मनोवांछित अनुष्ठान भी करते हैं.


सपने में आकर दिया था आदेश


बता दें कि साल 1966 में लोगों ने माता के मंदिर के निर्माण को लेकर स्व. लक्ष्मी प्रसाद साह से जमीन मांगी थी. लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया था. ऐसे में उसी रात माता ने अपने विराट रूप में स्व. साह की धर्म पत्‍‌नी स्व. तारा देवी को स्वप्न में आकर जमीन देने का आदेश दिया था. ऐसे में सुबह होते ही तारा देवी ने परिजनों से स्वप्न की बात बताई और माता के आदेश का पालन करते हुए स्व. श्री साह ने समाज के लोगों से जमीन न देने की माफी मांगते हुए मंदिर का निर्माण प्रारंभ करवाया.


मंदिर निर्माण के उपरांत माता की पूजा-अर्चना के निमित बलि प्रदान की मैया से माफी मांगते हुए, उसकी जगह मिठाई चढ़ाने का आदेश प्राप्त किया गया और तभी से बड़ी दुर्गा माता को लोग वैष्णवी माता के रूप में पूजने लगे. साल 1982-83 में पुरानी मंदिर को तोड़कर भव्य मंदिर बनाने की आधार शिला लोगों द्वारा रखी गई, जो आज भव्य रूप में विराजमान है. 


मंदिर में नहीं पड़ती है बलि


मंदिर स्थापना के बाद मंदिर में बलि न देने की माता से लगाई गई गुहार के उपरांत माता का विशेष पूजन कर भगवती को मनाए जाने की परंपरा अनवरत जारी है. तब से मनोकामना पूर्ण होने पर छाग को माता के समक्ष पूजा कर छोड़ दिए जाने की परंपरा चली आ रही है. हमेशा माता का मंदिर दिव्य ज्योति से अलौकिक रहता है. संगमरमर की प्रतिमा की स्थापना के बावजूद प्रति वर्ष मंदिर में भगवती की प्रतिमा का निर्माण कर पूजा-अर्चना की जाती है. 


दिव्य ज्योति से अलौकिक मंदिर में पूरे साल पूजा पाठ करने वालों के साथ मन्नत मांगने वालों की भी भीड़ लगी रहती है. लोगों की मानें तो पूजा अर्चना के बाद भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि माता के दरबार में खासकर नवरात्र के सप्तमी और अष्टमी को अखंड ज्योति जलाकर कर मैया के जागरण का आयोजन किया जाता है. मैया के पास ज्योति जलाने वाले हर श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण हुई है.



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