पटना: बिहार स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बुधवार को कोरोना काल में वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस संबोधित की. इस दौरान उन्होंने एक ओर जहां राज्य में कोरोना से मरने वालों की संख्या की जानकारी दी. वहीं, दूसरी ओर मृतकों की संख्या को लेकर हुई लापरवाही की जानकारी देते हुए लापरवाह स्वास्थ्यकर्मियों पर कार्रवाई की बात कही. 


दो तरह से बनाई गई टीम


प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान प्रत्यय अमृय ने कहा कि राज्य में कोरोना से कितने लोगों की मौत हुई ये जानने की सभी की इच्छा थी. हाईकोर्ट ने भी इस संबंध में आदेश दिया था. इसलिए 18 मई को दो तरह से टीम बनाकर मौत के आंकड़ों की रिपोर्ट बनाने का काम शुरू किया गया. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तीन सदस्यीय टीम बनाई गई, जिन्होंने अस्पतालों में हुए मौतों की रिकॉर्ड तैयार की. वहीं, दूसरी टीम ने उन मृतकों की रिपोर्ट तैयार की जिनकी मौत अन्य जगहों जैसे आइसोलेशन सेंटर, होम आइसोलेशन, कोविड केयर सेंटर और रास्ते में अस्पताल ले जाने के दौरान हुई. 


आंकड़ों पर दी सफाई


अपर मुख्य सचिव ने बताया कि बिहार में कोरोना काल में आठ मई तक कोरोना से 9375 लोगों की मौत हुई है. जबकि सात जून तक ये आंकड़ा 5424 ही था. ऐसे में सवाल उठने लगे कि एक दिन में आंकड़ा 3951 कैसे बढ़ गया. इस बात पर सफाई देते हुए प्रत्यय अमृत ने कहा कि कई ऐसे लोग थे ल, जो छूट गए थे. ऐसे में जांच कर सही लोगों को जोड़ा गया है. 


लापरवाह कर्मियों पर होगी कार्रवाई


उन्होंने स्वास्थ्यकर्मियों को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि उनके स्तर से चूक हुई है. ऐसे में उनपर कार्रवाई की जा रही है. वहीं, आगे भी जिनकी लापरवाही सामने आएगी, उनपर कार्रवाई की जाएगी. ये अत्यंत संवेदनशील मामला है और हर जिले को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए थी. नियमित रूप से रिपोर्ट भेजनी चाहिए थी. कोरोना काल में चुनौतियां थीं, लेकिन रिपोर्ट समेय पर भेजनी चाहिए थी. 


सरकारी लाभ पहुंचाना है मकसद


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि राज्य के कोष पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है. इसी सोच के साथ हमने जांच करवाई. 18 मई से प्रक्रिया शुरू की गई. 10 दिनों का समय दिया गया. काम पूरा नहीं होने पर समय बढ़ाया गया. अब जो रिपोर्ट सामने आई है उस आधार पर पीड़ितों को लाभ दिया जाएगा. मकसद बस एक ही है कि जो वास्तव में पीड़ित हैं, उनलोगों तक सरकारी लाभ पहुंच जाए.


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