सुपौल: बिहार के सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड के कटैया रही गांव के लोगों ने कोरोना संकट से निपटने के लिए जो पहल की है, वो पूरे राज्य के लिए एक उदाहरण है. इसका नतीजा ये है कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर हो या अभी चल रही दूसरी लहर, इस गांव में कोरोना की इंट्री नहीं हुई है. इस गांव के लोग सतर्कता और संयम को अपना मुख्य हथियार बनाकर अब तक कोरोना को हराने में सफल रहे हैं. 


पीएचसी प्रभारी ने की तारीफ


गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे पीएचसी प्रभारी ने भी इसकी तारीफ की है. उन्होंने इस गांव को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए कहा कि अन्य लोगों को भी इस गांव से सीख लेने की जरूरत है. बता दें कि अब तक इस गांव के एक भी लोग कोरोना पॉजिटिव नहीं हुए हैं. एक सप्ताह पहले गांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में कैंप लगाकर कोरोना की जांच की गई थी, जिसमें गांव के तकरीबन 150 लोगों ने भी जांच करवाई, लेकिन किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आई. 


इसकी खास वजह है कि यहां के लोग न तो बेवजह कहीं जाते हैं और न ही बाहर से आने वाले लोगों को कोई तरजीह देते हैं. गांव के लोगों ने आपस में बैठक कर नियम बना लिया है. लगभग एक हजार की आबादी वाले इस गांव से लोग दूसरे प्रदेश में भी रोजी-रोटी के लिए जाते हैं. ऐसे में उनके वापस आने पर पहले उनकी कोरोना जांच कराई जाती है, तभी गांव में इंट्री मिलती है.


फिलहाल गांव में आपसी सहमति से सभी प्रकार के आयोजन पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी गई है, जिसका परिणाम है कि जहां कोरोना की पहली लहर से यह गांव अछूता रहा था, इस बार भी अब तक एक भी लोग कोरोना की चपेट में नहीं आए हैं.


निगरानी के लिए गांव में युवकों ने बनाई है टोली


संक्रमण की दूसरी लहर में लोग और सावधानी बरतें इसके लिए गांव में युवकों ने एक टोली बना रखी है. जो गांव में घूम-घूम कर लोगों को संक्रमण से बचाव को लेकर जागरूक करती है. टोली के सदस्य वैसे लोग जो मास्क खरीदने में असमर्थ होते हैं, उन्हें मास्क भी देते हैं. इसके अलावा लोगों से कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा-पूरा पालन करवाने को लेकर ये तत्पर रहते हैं. बेवजह लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने की नसीहत देने के साथ-साथ उन पर पूरी नजर भी रखते हैं. वहीं, बिना मास्क के लोगों को गांव में प्रवेश नहीं करने देते हैं.


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