सहरसा: एक तरफ सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद करने में लगी है. वहीं, दूसरी तरफ बिहार के सहरसा जिले का एक ऐसा गांव है जहां स्कूल ही नहीं है. 2000 के आसपास आबादी वाला नरैया-रामपुर गांव, जिले के सत्तर कटैया प्रखंड में पड़ता है. यह गांव महादलित परिवार और अति पिछड़ा परिवार का गांव है, जहां आजादी के 70 वर्षों के बाद भी अभी तक स्कूल नहीं बन पाया है.


छात्राओं ने किया प्रदर्शन


ऐसे में शनिवार को गांव की छात्राओं ने हाथ में तख्ती लेकर विरोध प्रदर्शन किया. तख्तियों में लिखा हुआ था कि नीतीश चाचा हमें स्कूल दो ,स्कूल नहीं तो वोट नहीं. वहीं इस विरोध प्रदर्शन कर रही छात्राओं ने कहा कि हमलोग 5 किलोमीटर दूरी तय करके हाइस्कूल जाते हैं. रास्ते में जंगल है, ऐसे में हमें डर लगता है. कई लड़कियां पढ़ने भी नहीं जा पाती है. इसलिए कई लड़कियां अशिक्षित रह गईं हैं. ऐसे में हमलोगों को स्कूल चाहिए.


सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरूरत


जनप्रतिनिधि की मानें तो उनका कहना है कि यहां हजारों महादलित परिवार और अति पिछड़ा परिवार लोग रहते हैं. लेकिन आज तक यहां एक भी स्कूल नहीं है, जिस कारण लड़कियों को यहां से 5 किलोमीटर की दूरी तय करके हाईस्कूल जाना पड़ता है. बीच में बहुत सुनसान रास्ता पड़ता है,भय का वातावरण बना रहता है जिस कारण कई बच्चियां पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं. ऐसे में उम्मीद है कि मुख्यमंत्री बच्चियों की मांग पर ध्यान देंगे और को उनका हक मिलेगा.