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Photos: प्रेरणा बनी काशीपुर की शबनम, तीन तलाक के बाद नहीं मानी हार, बच्चों की परवरिश के लिए संभाली ऑटो की कमान

Kashipur Lady Auto Driver: उत्तराखंड के काशीपुर की महिला बुलंद हौसले की मिसाल बन गई है. पति से तलाक मिलने के बाद महिला ऑटो चलाकर तीन बच्चों और छोटी बहन की परवरिश कर रही है.

Kashipur Lady Auto Driver: उत्तराखंड के काशीपुर की महिला बुलंद हौसले की मिसाल बन गई है. पति से तलाक मिलने के बाद महिला ऑटो चलाकर तीन बच्चों और छोटी बहन की परवरिश कर रही है.

काशीपुर की महिला ऑटो ड्राइवर से मिलिए

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उत्तराखंड के काशीपुर में एक महिला इन दिनों सड़कों पर ऑटो चलाते हुए नजर आ जाती है. लोग बड़ी हैरत से महिला ऑटो ड्राइवर को सवारी ले जाते हुए देखते हैं. शबनम का संघर्ष किसी कहानी से कम नहीं है. साल 2015 में पति ने तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया था. तलाक के बाद बेघर हुई शबनम ने अन्य घरों में नौकरानी का काम शुरू किया.
उत्तराखंड के काशीपुर में एक महिला इन दिनों सड़कों पर ऑटो चलाते हुए नजर आ जाती है. लोग बड़ी हैरत से महिला ऑटो ड्राइवर को सवारी ले जाते हुए देखते हैं. शबनम का संघर्ष किसी कहानी से कम नहीं है. साल 2015 में पति ने तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया था. तलाक के बाद बेघर हुई शबनम ने अन्य घरों में नौकरानी का काम शुरू किया.
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शबनम के सामने तीन बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी थी. दो बेटियों और एक बेटे को लेकर मां के घर शबनम आ गई. कुछ दिन सबकुछ ठीक रहने के बाद मां को कैंसर हो गया. बच्चों के साथ मां की देखभाल की जिम्मेदारी शबनम पर और बढ़ गई. बीमार मां के साथ शबनम को तीन बच्चों का भी भरण पोषण करना था. शबनम ने हालात की कठिनाइयों से हार नहीं मानी. उसने मेहनत की कमाई से ऑटो खरीदकर चलाना सीख लिया. मां का साया कुछ दिनों तक रहा.
शबनम के सामने तीन बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी थी. दो बेटियों और एक बेटे को लेकर मां के घर शबनम आ गई. कुछ दिन सबकुछ ठीक रहने के बाद मां को कैंसर हो गया. बच्चों के साथ मां की देखभाल की जिम्मेदारी शबनम पर और बढ़ गई. बीमार मां के साथ शबनम को तीन बच्चों का भी भरण पोषण करना था. शबनम ने हालात की कठिनाइयों से हार नहीं मानी. उसने मेहनत की कमाई से ऑटो खरीदकर चलाना सीख लिया. मां का साया कुछ दिनों तक रहा.
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कैंसर से मां की मौत के बाद शबनम ऑटो ड्राइवर बन गई. ऑटो लेकर सड़क पर निकली शबनम के संघर्ष की कहानी जानकर हर कोई तारीफ करने पर मजबूर है. शबनम बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के साथ छोटी बहन की भी जिम्मेदारी उठा रही है. उसका कहना है कि एक का खाना मिले ना मिले लेकिन शिक्षा जरूर मिलनी चाहिए.
कैंसर से मां की मौत के बाद शबनम ऑटो ड्राइवर बन गई. ऑटो लेकर सड़क पर निकली शबनम के संघर्ष की कहानी जानकर हर कोई तारीफ करने पर मजबूर है. शबनम बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के साथ छोटी बहन की भी जिम्मेदारी उठा रही है. उसका कहना है कि एक का खाना मिले ना मिले लेकिन शिक्षा जरूर मिलनी चाहिए.
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शबनम के मुताबिक शिक्षा से ही इंसान मंजिल तक पहुंचता है. शबनम कहती हैं कि शायद तीन तलाक का कानून पहले आ गया होता तो आज ऐसी दशा ना होती. लेकिन इसके बावजूद महिला ऑटो ड्राइवर खुश है और बच्चों को पढ़ा लिखा रही है. ऑटो चलाने पर शबनम को शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन बच्चों की भूख और तकलीफ देखकर उसने लोगों के ताने की परवाह करना छोड़ दिया.
शबनम के मुताबिक शिक्षा से ही इंसान मंजिल तक पहुंचता है. शबनम कहती हैं कि शायद तीन तलाक का कानून पहले आ गया होता तो आज ऐसी दशा ना होती. लेकिन इसके बावजूद महिला ऑटो ड्राइवर खुश है और बच्चों को पढ़ा लिखा रही है. ऑटो चलाने पर शबनम को शुरुआत में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन बच्चों की भूख और तकलीफ देखकर उसने लोगों के ताने की परवाह करना छोड़ दिया.
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शबनम मेहनत की कमाई पर ऊपरवाले का शुक्र अदा करती है. महिला ने बुलंद हौसले से साबित कर दिया कि जिंदगी में हार नहीं माननी चाहिए. गम और तकलीप कुछ दिनों के लिए होते हैं. किस्मत का रोना रोनेवालों के लिए शबनम की कहानी प्रेरणादायक है.
शबनम मेहनत की कमाई पर ऊपरवाले का शुक्र अदा करती है. महिला ने बुलंद हौसले से साबित कर दिया कि जिंदगी में हार नहीं माननी चाहिए. गम और तकलीप कुछ दिनों के लिए होते हैं. किस्मत का रोना रोनेवालों के लिए शबनम की कहानी प्रेरणादायक है.

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