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Asia Cleanest Village Photos: ये है एशिया का सबसे साफ गांव, सफाई नहीं तो खाना नहीं

Asia Cleanest Village: आज हम आपको एशिया के सबसे खूबसूरत गांव के बारे में बता रहे हैं. आपको जानकर ताज्जुब हो होगा कि आखिर कैसे यह एशिया का सबसे स्वच्छ गांव बन गया.

Asia Cleanest Village: आज हम आपको एशिया के सबसे खूबसूरत गांव के बारे में बता रहे हैं. आपको जानकर ताज्जुब हो होगा कि आखिर कैसे यह एशिया का सबसे स्वच्छ गांव बन गया.

एशिया का सबसे स्वच्छ गांव

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देश में बढ़ते समय के साथ पर्यावरण में प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है. दुनियाभर के देश इस समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं भारत के मेघालय में एक ऐसा गांव भी है जिसकी सुंदरता दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रही है.
देश में बढ़ते समय के साथ पर्यावरण में प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है. दुनियाभर के देश इस समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं भारत के मेघालय में एक ऐसा गांव भी है जिसकी सुंदरता दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रही है.
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ये गांव मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग से 90 किमी दूर भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित है. इस गांव का नाम है- मॉलिन्नॉन्ग. लोग इसे मिनी स्विट्जरलैंड भी कहते हैं. दरअसल मॉलिन्नॉन्ग को एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव का दर्जा प्राप्त है.
ये गांव मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग से 90 किमी दूर भारत-बांग्लादेश सीमा के पास स्थित है. इस गांव का नाम है- मॉलिन्नॉन्ग. लोग इसे मिनी स्विट्जरलैंड भी कहते हैं. दरअसल मॉलिन्नॉन्ग को एशिया का सबसे साफ सुथरा गांव का दर्जा प्राप्त है.
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साल 2003 में डिस्कवर इंडिया मैगजीन ने मॉलिन्नॉन्ग को एशिया का सबसे स्वच्छ गांव के रूप में चिन्हित किया. आपको जानकार हैरानी होगी कि यहां सब कुछ पहले से ही इतना अच्छा नहीं था.
साल 2003 में डिस्कवर इंडिया मैगजीन ने मॉलिन्नॉन्ग को एशिया का सबसे स्वच्छ गांव के रूप में चिन्हित किया. आपको जानकार हैरानी होगी कि यहां सब कुछ पहले से ही इतना अच्छा नहीं था.
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15 साल पहले की बात करें तो साल 1988 में मॉलिन्नॉन्ग गांव में महामारी फैली थी. हर सीजन में यहां बीमारी फैल जाती थी, सबसे ज्यादा बच्चे ही इस बीमारी से त्रस्त थे. हालात बहुत खराब हो गए थे. कई स्कूली बच्चों की बीमारी की वजह से जान भी चली गई.
15 साल पहले की बात करें तो साल 1988 में मॉलिन्नॉन्ग गांव में महामारी फैली थी. हर सीजन में यहां बीमारी फैल जाती थी, सबसे ज्यादा बच्चे ही इस बीमारी से त्रस्त थे. हालात बहुत खराब हो गए थे. कई स्कूली बच्चों की बीमारी की वजह से जान भी चली गई.
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आखिरकार, स्कूल के एक टीचर ने इन सबसे त्रस्त होकर बीमारी के खिलाफ लड़ने का प्रण लिया. उन्होंने गांव के लोगों को साफ सफाई और शिक्षा के लिए जागरुक करना शुरू किया. अभियान चलाने के लिए एक समिति का भी गठन किया.
आखिरकार, स्कूल के एक टीचर ने इन सबसे त्रस्त होकर बीमारी के खिलाफ लड़ने का प्रण लिया. उन्होंने गांव के लोगों को साफ सफाई और शिक्षा के लिए जागरुक करना शुरू किया. अभियान चलाने के लिए एक समिति का भी गठन किया.
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समिति ने कुछ सख्त नियम बनाए. जैसे- ग्रामीणों से पशुओं को बांधकर रखने के लिए गया, सड़क पर गंदगी न करने और घर पर ही शौचालय बनाने की प्रेरणा दी गई. कचरे को एक बांस के बॉक्स में रखकर रिसाइकिल किया जाने लगा.
समिति ने कुछ सख्त नियम बनाए. जैसे- ग्रामीणों से पशुओं को बांधकर रखने के लिए गया, सड़क पर गंदगी न करने और घर पर ही शौचालय बनाने की प्रेरणा दी गई. कचरे को एक बांस के बॉक्स में रखकर रिसाइकिल किया जाने लगा.
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इसके अलावा प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया. यहां थूक नहीं सकते, स्मोकिंग नहीं कर सकते. खास बात ये है कि मॉलिन्नॉन्ग गांव के लोगों ने इन नियमों को गंभीरत से लिया. इसी का परिणाम है कि मॉलिन्नॉन्ग आज एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है.
इसके अलावा प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया. यहां थूक नहीं सकते, स्मोकिंग नहीं कर सकते. खास बात ये है कि मॉलिन्नॉन्ग गांव के लोगों ने इन नियमों को गंभीरत से लिया. इसी का परिणाम है कि मॉलिन्नॉन्ग आज एशिया का सबसे स्वच्छ गांव है.
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ये नियम फॉलो कराने के लिए जुर्माने का प्रावधान भी किया गया. गांव का हर नागरिक अपने की सफाई करने के अलावा घर के बाहर की सड़क की भी सफाई की जिम्मेदारी लेता है. यहां अगर कोई व्यक्ति सफाई में शामिल नहीं होता है तो उसे खाना नहीं मिलता है.
ये नियम फॉलो कराने के लिए जुर्माने का प्रावधान भी किया गया. गांव का हर नागरिक अपने की सफाई करने के अलावा घर के बाहर की सड़क की भी सफाई की जिम्मेदारी लेता है. यहां अगर कोई व्यक्ति सफाई में शामिल नहीं होता है तो उसे खाना नहीं मिलता है.
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यहां नदी का पानी इतना साफ है कि आप देखकर हैरान हो जाएंगे. नदीं में कई फीट नीचे पड़े हुए पत्थर भी एकदम साफ नजर आते हैं. इसे दुनिया की सबसे साफ नदी में गिना जाता है.
यहां नदी का पानी इतना साफ है कि आप देखकर हैरान हो जाएंगे. नदीं में कई फीट नीचे पड़े हुए पत्थर भी एकदम साफ नजर आते हैं. इसे दुनिया की सबसे साफ नदी में गिना जाता है.
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इस नदी का नाम डौकी है. इसमें गंदगी का एक कण तक नजर नहीं आता. नदी में मौजूद नाव को देखकर ऐसा लगता है कि मानों ये पानी पर नहीं बल्कि हवा में तैर रही है.
इस नदी का नाम डौकी है. इसमें गंदगी का एक कण तक नजर नहीं आता. नदी में मौजूद नाव को देखकर ऐसा लगता है कि मानों ये पानी पर नहीं बल्कि हवा में तैर रही है.

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