एक्सप्लोरर
Advertisement
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-top.png)
Gita Press Gorakhpur: 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिक्री, 41 करोड़ से ज्यादा बिकी हैं गीता प्रेस की पुस्तकें
Gita Press Gorakhpur Record: गीता प्रेस गोरखपुर भारत के घर-घर में परिचित नाम है. गीता प्रेस धार्मिक पुस्तकों और पत्रिकाओं आदि के प्रकाशन के माध्यम से दूर-दराज के गांवों तक पहुंच रखता है...
![Gita Press Gorakhpur Record: गीता प्रेस गोरखपुर भारत के घर-घर में परिचित नाम है. गीता प्रेस धार्मिक पुस्तकों और पत्रिकाओं आदि के प्रकाशन के माध्यम से दूर-दराज के गांवों तक पहुंच रखता है...](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/3c8e1b44c841570fe94127348d41fc9c1687177490594685_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गीता प्रेस के हो गए 100 साल
1/10
![गीता प्रेस गोरखपुर अभी गांधी शांति पुरस्कार मिलने की वजह से चर्चा में है. सरकार ने समाज की सेवा करने के लिए गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने का निर्णय लिया है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/fb1dc24c3849416fbe78581f217b35c70d713.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गीता प्रेस गोरखपुर अभी गांधी शांति पुरस्कार मिलने की वजह से चर्चा में है. सरकार ने समाज की सेवा करने के लिए गीता प्रेस को 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने का निर्णय लिया है.
2/10
![गीता प्रेस भारत के सबसे पुराने प्रकाशनों में से एक है. इसकी स्थापना समाजसेवी घनश्याम दास गोयनका और साहित्यकार हनुमान दास पोद्दार ने मिलकर 1923 में कोलकाता में की थी. इस तरह गीता प्रेस के 100 साल पूरे हो गए हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/e04cc6db098c39f73094483a399546599510b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गीता प्रेस भारत के सबसे पुराने प्रकाशनों में से एक है. इसकी स्थापना समाजसेवी घनश्याम दास गोयनका और साहित्यकार हनुमान दास पोद्दार ने मिलकर 1923 में कोलकाता में की थी. इस तरह गीता प्रेस के 100 साल पूरे हो गए हैं.
3/10
![इस प्रकाशन की खासियत धार्मिक पुस्तकों को बेहद कम दाम पर उपलब्ध कराना है, जिससे इन पुस्तकों की पहुंच देश के घर-घर तक सुनिश्चित हो सकी. अभी इसके विक्रय केंद्र भारत और नेपाल में कई जगहों पर हैं.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/2d31d0f3b0998dabd2dae2ba061ed602c47c6.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस प्रकाशन की खासियत धार्मिक पुस्तकों को बेहद कम दाम पर उपलब्ध कराना है, जिससे इन पुस्तकों की पहुंच देश के घर-घर तक सुनिश्चित हो सकी. अभी इसके विक्रय केंद्र भारत और नेपाल में कई जगहों पर हैं.
4/10
![यह एक गैर-लाभकारी प्रकाशन है. यही कारण है कि गीता प्रेस ने गांधी शांति पुरस्कार के साथ मिलने वाले 1 करोड़ रुपये को भी लेने से मना कर दिया है. प्रेस का कहना है कि दान नहीं लेना उसकी नीति का हिस्सा है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/d81af8a0c70ae3f5c2b8cf6b84d97f418b081.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
यह एक गैर-लाभकारी प्रकाशन है. यही कारण है कि गीता प्रेस ने गांधी शांति पुरस्कार के साथ मिलने वाले 1 करोड़ रुपये को भी लेने से मना कर दिया है. प्रेस का कहना है कि दान नहीं लेना उसकी नीति का हिस्सा है.
5/10
![यही कारण है कि अगर बिक्री के आंकड़े को देखेंगे तो शायद ही कोई प्रकाशन गीता प्रेस के आस-पास भी पहुंच पाएगा. अपने 100 सालों के इतिहास में गीता प्रेस ने 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/6fb9c5224d09baeea704eb0805dcc224a67f5.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
यही कारण है कि अगर बिक्री के आंकड़े को देखेंगे तो शायद ही कोई प्रकाशन गीता प्रेस के आस-पास भी पहुंच पाएगा. अपने 100 सालों के इतिहास में गीता प्रेस ने 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया है.
6/10
![गीता प्रेस के पास 3000 से ज्यादा धार्मिक व समाजिक महत्व के पुस्तकों का विशाल संग्रह है, जिनका प्रकाशन 14 विभिन्न भाषाओं में किया जाता है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/cbb70fc439c4a8bc3e885fa7ec62aefbc746f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गीता प्रेस के पास 3000 से ज्यादा धार्मिक व समाजिक महत्व के पुस्तकों का विशाल संग्रह है, जिनका प्रकाशन 14 विभिन्न भाषाओं में किया जाता है.
7/10
![गीता प्रेस को लोकप्रिय बनाने में भागवद गीता, रामचरित मानस और हनुमान चालीसा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/50602e8cf0f2e73767ab772e1ea6c05da275e.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
गीता प्रेस को लोकप्रिय बनाने में भागवद गीता, रामचरित मानस और हनुमान चालीसा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है.
8/10
![इस प्रकाशन ने अब तक भागवद गीता की 16.21 करोड़ कॉपी की बिक्री की है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/62280bbb4641004c2318969756f434cd76e7d.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इस प्रकाशन ने अब तक भागवद गीता की 16.21 करोड़ कॉपी की बिक्री की है.
9/10
![इसके बाद 11.73 करोड़ कॉपी के आंकड़े के साथ गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस और हनुमान चालीसा का स्थान है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/a82d9749deee6706367a09d7d598b6d7f61a6.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
इसके बाद 11.73 करोड़ कॉपी के आंकड़े के साथ गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस और हनुमान चालीसा का स्थान है.
10/10
![टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, गीता प्रेस की सालाना बिक्री 2016 में 39 करोड़ रुपये रही, जो 2021 में 78 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. 2022 में गीता प्रेस की बिक्री 100 करोड़ रुपये से ज्यादा रहने का अनुमान है.](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2023/06/19/d4c4f81b95705212972c11b9ac3fb9b892d66.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=720)
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, गीता प्रेस की सालाना बिक्री 2016 में 39 करोड़ रुपये रही, जो 2021 में 78 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. 2022 में गीता प्रेस की बिक्री 100 करोड़ रुपये से ज्यादा रहने का अनुमान है.
Published at : 19 Jun 2023 06:00 PM (IST)
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
इंडिया
विश्व
नौकरी
बॉलीवुड
Advertisement
![metaverse](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/045c7972b440a03d7c79d2ddf1e63ba1.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)
डॉ. सब्य साचिन, वाइस प्रिंसिपल, जीएसबीवी स्कूल
Opinion