Russia-Ukraine War: रूस को सताने लगा सैनिकों की कमी का डर, अब नागरिकों को सेना में भर्ती करने के लिए उठाएगा ये कदम
रूस की संसद ने कहा कि इसके लिए वो 40 से अधिक उम्र के रूसी नागरिकों और तीस से अधिक विदेशियों को सेना में भर्ती करने के प्रस्ताव पर विचार करेगी.
Russia-Ukraine War: यूक्रेन में अपने सैन्य अभियान में तेजी लाने के लिए रूस जल्द ही कोई बड़ा कदम उठा सकता है. रूस की संसद ने कहा कि इसके लिए वो 40 से अधिक उम्र के रूसी नागरिकों और तीस से अधिक विदेशियों को सेना में भर्ती करने के प्रस्ताव पर विचार करेगी. गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच बीते 86 दिनों से युद्ध जारी है. जिसमें रूस को भारी सैन्य नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है. रूस जल्द से जल्द यूक्रेन पर अपना आधिकार कायम करना चाहता है. इसके लिए उसे यूक्रेन के इलाकों में घुसने के लिए अतिरिक्त सैन्य युनिट की आवश्यकता है. रूस को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में कितना नुकसान पहुंचा है इसका कोई आधिकारिक आकड़ा मौजूद नहीं है. लेकिन रूस की संसद द्वारा अपने नागरिकों को सेना में भर्ती करने के लिए उम्र की बाध्यता में कुछ छूट दिए जाने के प्रस्ताव पर विचार करना रूसी सेना में सैनिकों की संख्या में आई कमी को जाहिर करता है.
रूसी संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा की वेबसाइट ने कहा कि इस कदम से सेना को पुराने पेशेवरों के कौशल का उपयोग करने में मदद मिलेगी. वेबसाइट में कहा गया कि, "उच्च-सटीक हथियारों के उपयोग, हथियारों और सैन्य उपकरणों के संचालन के लिए, अत्यधिक पेशेवर विशेषज्ञों की आवश्यकता होती है. अनुभव से पता चलता है कि वे 40-45 साल की उम्र तक ऐसे हो जाते हैं." आपको बता दें कि वर्तमान में 18-40 वर्ष की आयु के रूसी नागरिक और 18-30 वर्ष की आयु के विदेशी नागरिकों को सेना में शामिल होने की अनुमति मिलती है.
रूस और यूक्रेन के बीच बीते 86 दिनों से युद्ध जारी
रूस और यूक्रेन के बीच बीते 86 दिनों से युद्ध जारी है. जिसमें रूस को काफी हथियारों और सैनिकों का नुकसान हुआ है. वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन ने रूस के विरुद्ध लड़ाई में अपने सभी व्यस्क पुरुष आबादी को लड़ने के लिए इकट्ठा किया है. यद्यपि रूस ने मारियुपोल पर पूरी तरह से नियंत्रण कर लिया है. लेकिन बावजूद इसके रूस अभी भी पूर्वी यूक्रेन के सभी इलाकों पर कब्जा करने के अपने उद्देश्य से दूर है. जाहिर है, इस समय रूस मुश्किल में है. ये रूस की संसद द्वारा युद्ध में सैनिकों की कमी को पूरा करने के लिए देश की आबादी पर बिना दबाव दिए उठाया गया कदम है.
रूस-यूक्रेन युद्ध पर इस समय पूरी दुनिया की नजरे टिकी हुई है. ब्रिटिश सुरक्षा और रक्षा थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (आरयूएसआई) के रक्षा विशेषज्ञ जैक वॉलिंग का मानना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में इस समय रूस सेना की कमी से जूझ रहा है. उनका कहना है कि,"अगर रूस इस युद्ध में आगे रहना चाहता है तो उसे यूक्रेन में अपनी सैन्य इकाइयों को मजबूत करने और जमीन पर अपनी स्थिति में सुधार करने के लिए नई यूनिट बनाने की आवश्यकता है. ये एक धीमी और जटिल प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन रूस में मौजूदा स्किल वाले लोगों को इकट्ठा कर इसे तेज किया जा सकता है."
ड्यूमा ने कहा कि इस प्रस्तावित कानून से सिविलियन मेडिक्स, इंजीनियरों, ऑपरेशन समेत संचार विशेषज्ञों को सेना में भर्ती करना भी आसान हो जाएगा. वहीं दूसरी तरफ, रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने शुक्रवार को कहा कि रूस अपने पश्चिमी सैन्य इलाकों में नाटो देशों के बढ़ते खतरों के जवाब में बारह नई सैन्य यूनिट बना रहा था.
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