संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में बने भव्य हिंदू मंदिर की पाकिस्तान में भी चर्चा हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरब देशों में दौरों की भी खूब बातें हो रही हैं. इस पर पाकिस्तान के बैरिस्टर हामिद बशानी ने कहा है कि भारत को अरब देशों से दूर रखने की कोशिश की गई, लेकिन दूर रखा नहीं जा सका. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा चलाया कि इंडिया में मुसलमानों को दबाया जा रहा है ताकि अरब देशों से उसका कोऑर्डिनेशन ना बढ़ सके. 


पाकिस्तान के राजनीतिक एक्सपर्ट कमर चीमा के साथ बात करते हुए बैरिस्टर बशानी ने अरब देशों के दौरे पीएम मोदी ने जिस फ्रीक्वेंसी से किए हैं, वह ध्यान देने वाली है. इसके पीछे एक बहुत बड़ी डिटेल डिस्कशन की जरूरत है. उन्होंने कहा, '4-5 सालों से इस बात की आलोचना हो रही है कि इंडिया के अंदर मुसलमानों के खिलाफ माहौल क्रिएट किया जा रहा है. उसे फ्यूल अप किया जाता है. उसका बुनियादी फायदा कुछ पॉलिटिकल पार्टियां उठा रही हैं. इस पर रिविजट करने की जरूरत है.'


बैरिस्टर बशानी ने कहा, 'ऐसा नहीं हो सकता कि भारत की फॉरेन पॉलिसी का पूरा ध्यान मुस्लिम देश हों, आप उनके साथ ताल्लुक बना रहे हों और ब्रिज बना रहे हों, कॉमन इंटरेस्ट के मनसूबे बना रहे हों या ट्रेड और इन्वेस्टमेंट के लिए बड़े-बड़े रोडमैप दे रहे हों और आप खाम-खां इल्जाम उन पर जाता रहे कि मुसलमानों के खिलाफ हैं क्योंकि ये दोनों चीजें साथ में बैठती नहीं.'


उन्होंने कहा कि इससे यह सामने आना शुरू हो गया है कि अरब देशों को मिसगाइड करने के लिए प्रोपेगेंडा लॉन्च किया गया था ताकि इंडिया को अरबों देशों से दूर किया जाए. बैरिस्टर बशानी ने कहा कि अरब देश बुनियादी तौर पर अपनी प्रेस, पब्लिकेशन और फ्रीडम ऑफ स्पीच के हवाले बहुत ज्यादा इंटरनेशनली कनेक्टेड नहीं रहे हैं इसलिए वे बहुत जल्दी इस तरह के प्रोपेगेंडा के शिकार हो जाते हैं. 


बैरिस्टर बशानी ने कहा कि उन्होंने कोशिश की कि भारत का मिडिल ईस्ट देशों के साथ कोऑर्डिनेशन रोका जाए, जो रुक नहीं सका. अबू धाबी मंदिर को लेकर उन्होंने कहा कि यह उस तरह का रिएक्शन नहीं है कि पहले मुसलमान भारत में आए और अब भारत कोई मुसलमानों में अपना एजेंडा लेकर जा रहा है. हिंदुइज्म बुनियादी तौर पर इस तरह का रिलीजन है ही नहीं. उसमें धर्म को फैलाने का तसव्वुर ऐसा नहीं है, जैसा इस्लाम कर रहा है क्योंकि वह इस तरह का मैसेज ही नहीं दे रहा.


बैरिस्टर बशानी ने आगे कहा कि हिंदुइज्म एक ओपन रिलीजन है उसको लोग अपने-अपने तरीके से अपनाते हैं. मिडिल इस्ट में 10-15 साल पहले ऐसा मुमकिन नहीं था कि मंदिर बने क्योंकि वहां इतनी बड़ी पॉप्यूलेशन नहीं थी. अब इतने भारतीय वहां बसे हैं तो मंदिर बनाया गया क्योंकि किसी देश में किसी धर्म की इतनी बड़ी आबादी होगी तो मंदिर-मस्जिद सब बनेंगे.


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