क्यों LGBTQIA+ युवाओं के बेघर होने की संभावना ज्यादा होती है?

1980 के दशक में मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बॉम्बे' ने दुनिया को मुंबई की सड़कों का काला सच दिखाया, जहां अनगिनत बच्चे जिंदगी की जंग लड़ रहे थे. गरीबी के कारण सैकड़ों बच्चे सड़क पर रहने को मजबूर थे.

20वीं सदी के आखिर में 'स्ट्रीट चिल्ड्रन' का मुद्दा दुनिया भर में चर्चा में आया, जिसके बाद उनके अधिकारों और अच्छे जीवन के लिए कई नीतियां और प्रोग्राम बने. 1989 में एक बड़ा कदम उठाया गया, जब संयुक्त

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