एक्सप्लोरर

AMU के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर और केरल के अब्दुल्ला कुट्टी पर बीजेपी को इतना भरोसा क्यों?

बीजेपी की कार्यकारिणी में अब्दुल्ला कुट्टी और तारिक मंसूर बीजेपी के नए मुस्लिम चेहरे के रूप में देखा जा रहा है. तारिक मंसूर पसमांदा मुसलमान हैं और अब्दुल्ला कुट्टी केरल से आते हैं. 

बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी में पूरी तरह जुट गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 31 अगस्त से एनडीए सांसदों से मुलाकात का सिलसिला शुरू होगा. बीजेपी की पूरी कोशिश है कि लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर रिकॉर्ड कायम कर ले. पार्टी ने अपने दो कार्यकालों में राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटा कर अपने दो एजेंडे पूरे कर लिए हैं. अब पार्टी की तैयारी है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में समान नागरिक संहिता का मुद्दा उठाया जाए. 

हालांकि पार्टी के रणनीतिकारों को ये भी पता है कि सिर्फ कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर ही लोकसभा चुनाव नहीं जीता जा सकता है इसके लिए जातीय और धार्मिक समीकरणों को भी पाले में बैठाना होगा. बीजेपी इस रणनीति पर बीते 1 साल से काम रही है. पार्टी ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव से ही ओबीसी एक तगड़ा समीकरण तैयार किया है जिसमें गैर यादव जातियां शामिल हैं.

बीजेपी ने मुसलमानों को लेकर भी एक अपना रुख आश्चर्यजनक तरीके से बदला है. जहां अभी तक सभी पार्टियां हिंदुओं में पिछड़ी, एससी और एसटी जातियों का मुद्दा उठाती रही हैं वहीं बीजेपी ने पसमांदा यानी पिछड़े हुए मुसलमानों का मुद्दा उठाया है. पसमांदा समाज के मुसलमानों को मुख्य धारा में लाने की बात सबसे पहले पीएम मोदी ने ही कही थी. इसके बाद बीजेपी ने आक्रामक तरीके से इस पर काम शुरू कर दिया है.

इसी बीच बीजेपी ने रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी का ऐलान किया. पार्टी की नई कार्यकारिणी में कई नए चेहरों को जगह दी गई है. इसके अलावा उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को खास तरजीह मिली है. 

पार्टी की नई लिस्ट में उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय महामंत्री, राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन), राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री और राष्ट्रीय सचिव है. इसमें विधान परिषद सदस्य और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर को बीजेपी उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है. तारिक मंसूर पसमांद समाज से आते हैं. बीजेपी की कार्यकारिणी में अब्दुल्ला कुट्टी को भी जगह दी गई है जो केरल से हैं. तारिक मंसूर और कुट्टी दोनों को ही बीजेपी के नए मुस्लिम चेहरे हैं. 

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बीजेपी तारिक मंसूर और अब्दुल्ला कुट्टी जैसे मुसलिम चेहरे के जरिए आने वाले चुनावों में मुस्लिम मतदाताओं को साधने में कामयाब हो पाएगी?

कौन हैं तारिक मंसूर 

कार्यकारिणी की नई लिस्ट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाला मुसलमान चेहरा तारिक़ मंसूर का ही है. मंसूर उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके हैं. तारिक मंसूर एक पसमांदा मुसलमान हैं. 

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, मंसूर ने इस साल की शुरुआत में एएमयू के वाइस चांसलर पद से इस्तीफा दिया था. उन्होंने ये पद 17 मई 2017 को संभाला था. इस पर उन्हें मई 2022 तक रहना था, लेकिन कोरोना के कारण उनका कार्यकाल एक साल तक के लिए सरकार ने बढ़ा दिया था. 

मंसूर एएमयू के पहले कुलपति रहे जिन्हें कि विधान परिषद सदस्य बनाने के लिए नामांकित किया गया था. इसके अलावा वो जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रिंसिपल भी रहे हैं. मंसूर एएमयू में सर्जरी विभाग के प्रमुख की भी जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.

तारिक मंसूर के कुलपति रहते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे. उस वक्त पहली बार कैंपस के अंदर पुलिस पहुंची थी और तारिक के छात्रों के पक्ष में नहीं खड़े होने को जमकर आलोचना भी की गई थी.

बीबीसी की एक रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार राधिका रामाशेषन बताती हैं कि, 'अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति रहने के दौरान ही तारिक़ मंसूर ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ज्वाइन कर लिया था.दारा शिकोह के क़ब्र को तलाश करने की परिकल्पना उनकी ही थी. 

पसमांदा मुसलमानों के बीच पार्टी की पकड़ को मजबूत करेंगे तारिक मंसूर 

बीबीसी की एक रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी कहते हैं, 'ऐसा फिलहाल तो नहीं लग रहा कि तारिक मंसूर को कार्यकारिणी के सदस्य में शामिल करके बीजेपी मुसलमानों के एक बड़े तबके को अपनी तरफ कर पाएंगे. हालांकि इसे एक अच्छी शुरुआत की तरह जरूर देखा जा सकता है.' प्रमोद जोशी के मुताबिक यह कदम बीजेपी के सोशल इंजीनियरिंग की मुहिम जरूर है. 

जोशी का मानना है कि बीजेपी की राजनीति में अब तक मुसलमान पूरी तरह से नजरअंदाज होते रहे हैं. लेकिन इस नियुक्ति के बाद ऐसा लग रहा है कि पार्टी धीरे-धीरे मुसलमानों के बीच भी अपने पकड़ बनाना चाहती है. साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में मुसलमान के साथ की जरूरत पड़ सकती है क्योंकि बीजेपी के खिलाफ 26 पार्टियों का जो गठबंधन बना है वह काफी मजबूती के साथ तैयार हो कर आ रहा है.

वहीं वरिष्ठ पत्रकार राधिका रामाषेशन का भी कुछ ऐसा ही मानना है. वह कहती हैं, 'ऐसा नहीं लगता कि तारिक़ मंसूर को संगठन में शामिल करने से पसमांदा मुसलमानों के झुकाव में कुछ ज्यादा परिवर्तन आएगा. तारिक मंसूर का प्रतिनिधित्व सिर्फ एक प्रतीक मात्र है क्योंकि बीजेपी में उपाध्यक्ष के पद का कोई खास महत्व नहीं है'.

पूर्व सासंद अली अनवर ने एबीपी से बातचीत करते हुए कहा, 'तारिक मंसूर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने की पीछे मुसलमानों वोटों में बांट-बखरा करने की मंशा है. ये सिर्फ सेंध लगाने की कोशिश है.  चार राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव नजदीक हैं और प्रधानमंत्री जी भी कई बार कई मंचों से पसमांदा की रट लगाते रहते हैं, तो यह सही समय पर सही संकेत है'.

पूर्व सासंद ने आगे कहा, 'तारिक मंसूर साहब की जो विरासत है, वह रईसों वाली है. हां, संघ और बीजेपी की लाइन को ये आंख मूंदकर फॉलो करते रहे हैं, यही कारण है कि इनको एक साल का एक्सटेंशन भी मिला, फिर एमएलसी भी बने और अब बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी  हैं. एक्सटेंशन के दौरान ही ये पसमांदा समाज की समस्याओं पर लेख भी लिखने लगे'.

अब जानते हैं अब्दुल कुट्टी के बारे में 

बीजेपी की कार्यकारिणी में अब्दुल्ला कुट्टी को भी जगह दी गई है जो केरल से हैं. अब्दुल्ला खुद को प्रोग्रेसिव सोच वाले मुस्लिम बताते हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की थी. उन्होंने साल 1999 और 2004 में कांग्रेस के दिग्गज नेता मुल्लापल्ली रामचंद्रन को हराया और लगातार 10 साल तक कुन्नूर से लोकसभा सांसद रहे. उस वक्त उन्हें गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के काम की तारीफ करने के लिए CPIM से निकाल दिया गया था. 

CPIM के बाद कुट्टी कांग्रेस से जुड़े और इस पार्टी में रहते हुए भी दो बार कुन्नूर से विधायक चुने गए. कुट्टी ने कांग्रेस में रहते हुए भी  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की और उन्हें गांधीवादी बताया जिसके कारण उन्हें कांग्रेस से भी निष्कासित कर दिया गया. इसके बाद साल 2019 के जून महीने में अब्दुल कुट्टी बीजेपी में शामिल हुए.

उस वक्त बीजेपी ने कुट्टी को केरल बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था. जिसके एक साल बाद यानी 2020 के सितंबर महीने में कुट्टी को बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया. अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया है और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर बरकरार रखा है. 

क्या मुसलमानों के बीच छवि बदलने की कोशिश कर रही है बीजेपी

बीबीसी की एक रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी इस सवाल के जवाब में कहते हैं, " चुनाव से पहले यह बीजेपी का राष्ट्रीय छवि दिखाने का प्रयास है. वो दक्षिण में अपना पकड़ बनाना चाहती है. बीजेपी के लिए केरल एक नया क्षेत्र है. कुट्टी के साथ ही एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किए गए हैं.'

वहीं बीबीसी की ही रिपोर्ट में वरिष्ठ पत्रकार राधिका रामाशेषण कहती हैं, 'केरल के नजरिए से देखें तो कुट्टी को शामिल जरूर किया गया है लेकिन यह भी तारीक मंसूर की तरह प्रतीक मात्र ही है'.

बीजेपी पहले भी ऐसे प्रयोग कर चुकी है. पार्टी ने इससे पहले मुख़्तार अब्बास नक़वी को भी मुसलमानों के प्रतिनिधि के तौर पर उतारा था. उनसे भी उम्मीद की जा रही थी कि वो उत्तर प्रदेश में शिया वोट लाएंगे. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया था. 

बीजेपी ने किसे क्या जिम्मेदारी दी?


AMU के पूर्व कुलपति तारिक मंसूर और केरल के अब्दुल्ला कुट्टी पर बीजेपी को इतना भरोसा क्यों?
बीजेपी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  के पद पर छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह, राजस्थान की पू्र्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास, सौदाम सिंह, वैजयंत पांडा, सरोज पाण्डेय, सांसद रेखा शर्मा, डीके अरुणा, चौबा एओ, अब्दुल्ला कुट्टी, राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेई, लता उसेंडी और तारिक मंसूर को नियुक्त किया है. 

कौन हैं पसमांदा मुसलमान? 

भारत में मुसलमानों की कुल आबादी 15 फीसदी है और इन 15 फीसदी मुसलमानों में 80 फीसदी पसमांदा मुसलमान हैं. पसमांदा मुसलमान का मतलब है वो मुस्लिम जो दबे हुए हैं, इस श्रेणी में दलित और बैकवर्ड मुस्लिम आते हैं. पसमांदा मुसलमान मुस्लिम समाज में एक अलग सामाजिक लड़ाई लड़ रहे हैं. अब उनके कई आंदोलन हो चुके हैं. पसमांदा शब्द उर्दू-फारसी का है और इसका मतलब होता है पीछे छूटे या नीचे धकेल दिए गए लोग.

भारत के मुसलमान समुदाय के 15 फीसदी लोग उच्च वर्ग या सवर्ण माने जाते हैं. इन्हें अशरफ कहा जाता है, इसके अलावा बचे अन्य 85 फीसदी दलित और बैकवर्ड ही माने जाते हैं. इन लोगों की हालत मुस्लिम समाज में अच्छी नहीं है. इस समाज का स्वर्ण तबका उन्हें हेय दृष्टि से देखता है. वह सामाजिक से लेकर आर्थिक और शैक्षणिक हर तरह से पिछड़े और दबे हुए हैं. इस तबके को भारत में पसमांदा मुस्लिम कहा जाता है.

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

IndiGo Pilot Viral Video: इंडिगो पायलट का इमोशनल मैसेज वायरल, ऐसा क्या कहा, घंटों फंसे पैसेंजर भी करने लगे तारीफ
इंडिगो पायलट का इमोशनल मैसेज वायरल, ऐसा क्या कहा, घंटों फंसे पैसेंजर भी करने लगे तारीफ
बीजेपी संगठन में बड़े बदलाव! कौन बना किस जिले का प्रभारी? पूरी लिस्ट ने बढ़ाई सियासी हलचल!
बीजेपी संगठन में बड़े बदलाव! कौन बना किस जिले का प्रभारी? पूरी लिस्ट ने बढ़ाई सियासी हलचल!
जिन किसानों के लिए अमेरिका के सामने सीना तानकर खड़ा हुआ भारत, उनके लिए ट्रंप देंगे बुरी खबर, जानें क्या है पूरा मामला
जिन किसानों के लिए अमेरिका के सामने सीना तानकर खड़ा हुआ भारत, उनके लिए ट्रंप देंगे बुरी खबर, जानें क्या है पूरा मामला
सूर्यकुमार यादव नहीं..उस खिलाड़ी को दो टीम इंडिया की टी20 कप्तानी, सौरव गांगुली ने दिया बड़ा बयान
सूर्यकुमार यादव नहीं..उस खिलाड़ी को दो टीम इंडिया की टी20 कप्तानी, सौरव गांगुली ने दिया बड़ा बयान

वीडियोज

Lucknow Breaking: प्रदेशभर से गायब हुए 545 से ज्यादा सफाईकर्मियों, ATS ने नगर निगम से मांगा ब्योरा
Indigo Crisis: सभी एयरलाइंस के साथ उड्डयन मंत्रालय की अहम बैठक | Breaking | ABP News
Goa Night Club Fire Case: क्लब के मालिक कैसे हुए फरार? , TMC ने उठाए सवाल? | Gaurav Luthra
NDA संसदीय दल की बैठक खत्म, PM Modi ने किया संबोधित | Breaking | BJP | Delhi
Stock Market: शेयर बाजार में भारी गिरावट, 500 अंक से नीचे तक गिरा सेंसेक्स | Breaking | ABP News

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
IndiGo Pilot Viral Video: इंडिगो पायलट का इमोशनल मैसेज वायरल, ऐसा क्या कहा, घंटों फंसे पैसेंजर भी करने लगे तारीफ
इंडिगो पायलट का इमोशनल मैसेज वायरल, ऐसा क्या कहा, घंटों फंसे पैसेंजर भी करने लगे तारीफ
बीजेपी संगठन में बड़े बदलाव! कौन बना किस जिले का प्रभारी? पूरी लिस्ट ने बढ़ाई सियासी हलचल!
बीजेपी संगठन में बड़े बदलाव! कौन बना किस जिले का प्रभारी? पूरी लिस्ट ने बढ़ाई सियासी हलचल!
जिन किसानों के लिए अमेरिका के सामने सीना तानकर खड़ा हुआ भारत, उनके लिए ट्रंप देंगे बुरी खबर, जानें क्या है पूरा मामला
जिन किसानों के लिए अमेरिका के सामने सीना तानकर खड़ा हुआ भारत, उनके लिए ट्रंप देंगे बुरी खबर, जानें क्या है पूरा मामला
सूर्यकुमार यादव नहीं..उस खिलाड़ी को दो टीम इंडिया की टी20 कप्तानी, सौरव गांगुली ने दिया बड़ा बयान
सूर्यकुमार यादव नहीं..उस खिलाड़ी को दो टीम इंडिया की टी20 कप्तानी, सौरव गांगुली ने दिया बड़ा बयान
धुरंधर Vs एनिमल, किसकी दहाड़ से हिला बॉक्स ऑफिस? रणवीर या रणबीर कौन हैं बॉक्स ऑफिस का किंग?
धुरंधर Vs एनिमल, किसकी दहाड़ से हिला बॉक्स ऑफिस? रणवीर या रणबीर कौन हैं बॉक्स ऑफिस का किंग?
कब आएगी किसान सम्मान निधि की 22वीं किस्त, जान लीजिए तारीख
कब आएगी किसान सम्मान निधि की 22वीं किस्त, जान लीजिए तारीख
Hangover Home Remedies: आपके किचन में ही मौजूद हैं हैंगओवर उतारने वाली चीजें, न्यू ईयर और क्रिसमस की पार्टी से पहले जान लें जरूरी बात
आपके किचन में ही मौजूद हैं हैंगओवर उतारने वाली चीजें, न्यू ईयर और क्रिसमस की पार्टी से पहले जान लें जरूरी बात
IIT रुड़की ने JEE Advanced 2026 के लिए बदले नियम, अब परीक्षा में शामिल हो सकेंगे सिर्फ ये कैंडिडेट्स
IIT रुड़की ने JEE Advanced 2026 के लिए बदले नियम, अब परीक्षा में शामिल हो सकेंगे सिर्फ ये कैंडिडेट्स
Embed widget