धर्म और समाज: अदालती फैसलों ने समझाया क्या है असली धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद!

भारत की अदालतों ने समय-समय पर धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की परिभाषा को स्पष्ट करने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने 1976 में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 'समाजवादी' और 'धर्मनिरपेक्ष' शब्दों को शामिल करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपनी असहमति जताई है. कोर्ट ने जोर देकर कहा कि इन

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