पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में अब सियासी तस्वीर साफ हो गई है. नतीजे टीएमसी के पक्ष में हैं और बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस को 200 से ज्यादा सीटों पर जीत मिलती दिखाई दे रही है. इसके साथ ही आज चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी सुर्खियों में हैं. उन्होंने बीजेपी को लेकर कुछ ऐसे दावे किए थे कि सबकी निगाहें इसी ओर थीं.


प्रशांत किशोर ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी डबल डिजिट में सिमट जाएगी. इसका मतलब है कि बीजेपी को 100 से सीटें मिलेंगी. उसके बाद प्रशांत किशोर ने लिखा था कि ''अगर बीजेपी इससे ज्यादा सीटें लाती है तो मैं ये स्पेश छोड़ दूगा.'' लोगों को तब ऐसा लगा कि वो ट्विटर छोड़ने की बात कर रहे हैं. लेकिन बाद में एक इंटरव्यू में उन्होंने इस पर कहा था कि बीजेपी को बंगाल में अगर 100 से ज्यादा सीटें मिलीं तो वो चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम छोड़ देंगे और दूसरा काम करेंगे.


उन्होंने साफ-साफ लफ्जों में कहा था, ''बीजेपी बंगाल में 100 से ज्यादा सीटें जीती, तो मेरे अपना काम छोड़ दूगां. आप मुझे आगे किसी और राजनीतिक अभियान के लिए काम करते नहीं देखेंगे.''


आज ये दावा सच साबित हो गया है और वो इस बार हीरो बनकर उभरे हैं. तीन बजे तक आए चनावी रुझान में पश्चिम बंगाल में टीएमसी 202 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं बीजेपी 86 सीटों पर है. कांग्रेस और अन्य दो-दो सीटों पर आगे हैं.


आज अपने इस दावे पर बात करते हुए आज प्रशांत किशोर ने एक चैनल से कहा है कि चुनाव आयोग ने बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाया है. प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग के पक्षपात के चलते बीजेपी को इतनी सीटें भी मिल पाई हैं. उनका कहना है चुनाव आयोग अगर निष्पक्षता से काम करता तो बीजेपी इतनी सीटें भी नहीं ला पाती. प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्होंने ऐसा चुनावी शेड्यूल कभी नहीं देखा. चुनाव आयोग के चलते जनता को 45 दिनों तक परेशानी उठानी पड़ी. जो चुनाव 10-15 दिनों में हो सकते थे चुनाव आयोग कि वजह से उसे कराने में दो महीने लग गए. 


प्रशांत किशोर ने कहा है कि चुनाव आयोग के खिलाफ हर राजनीतिक पार्टी को एकजुट होना चाहिए.


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आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर टीएमसी के चुनावी रणनीतिकार हैं. इससे पहले वह बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सहित कई पार्टियों के लिए भी काम कर चुके हैं.


प्रशांत किशोर पहली बार चर्चा में आए जब 2012 में गुजरात में नरेंद्र मोदी तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. 2011 में प्रशांत किशोर को वहां पर चुनावी रणनीतिकार नियुक्त किया गया था. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनावों में भी अपनी रणनीति के बलबूते प्रशांत किशोर ने बीजेपी को ऐतिहासिक जीत दिलवाई.   


2016 में कांग्रेस ने पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर को अपना रणनीतिकार बनाया और उन्हें जीत मिली. इस जीत का क्रेडिट कई दिग्गज नेताओं ने प्रशांत किशोर को दिया. इसके बाद यूपी विधानसभा चुनाव में भी वो कांग्रेस के रणनीतिकार रहे लेकिन पार्टी बुरी तरह हार गई. 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली में उन्होंने आम आदमी पार्टी के लिए काम किया और शानदार जीत दिलाई. अब एक बार फिर बंगाल चुनाव में उनकी रणनीति कामयाब हुई है. 


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