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'संस्कृत स्कूलों में गैर-हिंदू भी जाते हैं...' NCPCR के लेटर पर यूपी मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने दिया जवाब

Madrasa News: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सभी राज्यों को पत्र लिखा था. जिसमें गैर-मुस्लिम बच्चों को स्वीकार करने वाले सभी मान्यता प्राप्त मदरसों की जांच करने का निर्देश दिया था.

Uttar Pradesh Madrasa News: उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के अध्यक्ष इफ्तिखार अहमद जावेद ने शनिवार (7 जनवरी) को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से उनके पत्र पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. जिसमें उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश देने वाले मान्यता प्राप्त मदरसों का निरीक्षण करने का आग्रह किया. उन्होंने साथ ही कहा कि, "गैर-हिंदू भी संस्कृत स्कूलों में जाते हैं."

इफ्तिखार अहमद जावेद ने कहा, "बाल संरक्षण आयोग का पत्र संज्ञान में आया है. मैं कहना चाहता हूं कि हम एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के तहत बच्चों को आधुनिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं और मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा रही है."

यूपी मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने और क्या?

बाल अधिकार पैनल के पत्र का जवाब देते हुए, इफ्तिखार ने कहा, "गैर-मुस्लिम मदरसों में पढ़ रहे हैं और गैर-हिंदू बच्चे संस्कृत स्कूलों में पढ़ रहे हैं. हर धर्म के बच्चे मिशनरी स्कूलों में भी पढ़ रहे हैं." उन्होंने कहा कि भले ही मैं खुद बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पढ़ा हूं, लेकिन एनसीपीसीआर को उनके पत्र पर पुनर्विचार करना चाहिए. 

NCPCR ने लिखा था पत्र

इससे पहले दिसंबर में, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा था और उन्हें गैर-मुस्लिम बच्चों को स्वीकार करने वाले सभी मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच करने का निर्देश दिया था.

एनसीपीसीआर ने मुख्य सचिवों को उक्त मदरसों में सभी गैर-मुस्लिम छात्रों को जांच के बाद औपचारिक स्कूलों में प्रवेश देने के अलावा सभी अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग करने की भी सिफारिश की थी. गुरुवार को चेयरपर्सन-एनसीपीसीआर प्रियांक कानूनगो की ओर से अंडरसाइंड पत्र में प्राप्त विभिन्न शिकायतों के आधार पर कहा गया है कि ये नोट किया गया है कि गैर-मुस्लिम समुदाय के बच्चे सरकारी वित्त पोषित / मान्यता प्राप्त मदरसों में भाग ले रहे हैं. 

एनसीपीसीआर ने और क्या कहा?

मदरसे मुख्य रूप से बच्चों को धार्मिक शिक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं. वे तीन प्रकार के होते हैं "मान्यता प्राप्त मदरसे", "गैर मान्यता प्राप्त मदरसे" और "अनमैप्ड मदरसे". आयोग के पत्र में कहा गया है, "हालांकि, यह भी पता चला है कि जो मदरसे सरकार की ओर से फंडेड हैं या सरकार की ओर से मान्यता प्राप्त हैं, वे बच्चों को धार्मिक और कुछ हद तक औपचारिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. इसके अलावा, यह भी पता चला है कि कुछ राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारें उन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान कर रही हैं."

एनसीपीसीआर ने कहा कि सभी सरकारी वित्त पोषित / मान्यता प्राप्त मदरसों की विस्तृत जांच करें जो आपके राज्य या यूटी में गैर-मुस्लिम बच्चों को प्रवेश दे रहे हैं. जांच में ऐसे मदरसों में जाने वाले बच्चों का भौतिक सत्यापन शामिल होना चाहिए. जांच के बाद, औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए ऐसे सभी बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दें. राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ओर से की गई कार्रवाई रिपोर्ट को 8 दिसंबर, 2022 से 30 दिनों के भीतर आयोग के साथ शेयर किया जाना था. एनसीपीसीआर (NCPCR) का पत्र संविधान (86वां संशोधन) अधिनियम, 2002 को संदर्भित करता है जिसमें अनुच्छेद 21-ए, छह से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने का उल्लेख करता है.

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