UP Election 2022: चुनाव यात्रा (Election) के लिए एबीपी न्यूज़ (ABP News) हर दिन अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों का भ्रमण कर रहा है. इसी क्रम में एबीपी न्यूज गोरखपुर (Gorakhpur) पहुंचा. वह गोरखपुर जो अपनी पुरानी छवि तोड़कर नई और अलग पहचान बनाने में जुटी हुई है. ऐसे में गोरखपुर की नई तस्वीर के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का कितना बड़ा योगदान है आज जानेंगे. आज लोग बताएंगे कि कैसे योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर को नई पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. मान्यता हैं की त्रेता युग में बाबा गोरखनाथ ने यहां पहुंचकर तपस्या की थी. गोरखनाथ यानि की गोरक्षधाम पर ही हैं लेकिन नाथ समुदाय का यह हमेशा केंद्र बिंदु रहा हैं. विश्व में इस समुदाय के लिए सबसे बड़ा मंदिर यही स्थित है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में भी नाथ समुदाय से ही आते हैं.
मंदिर के सेवक द्वारका तिवारी ने बताया, ''जो मंदिर पुराने हो गए थे उनको मंदिर की ओर से दोबारा बनाया जा रहा है और हमारे यहां जो भंडारा चलता है. गौशाला बनाया जा रहा है. गौशाले में लगभग चार पांच सौ गाय हैं.'' द्वारका तिवारी ने बताया, ''यहां चालीस संस्थाएं हैं और इनके जरिए शिक्षा के बारे में विशेष ध्यान दिया जाता है.''
आम जनता का मानना है कि जो सरकारी स्कूल है वहां पर बच्चे अब आने लग गए हैं. जो बच्चे पढ़ने के लिए यहां पहुंच रहे हैं उन्हें मिड-डे मील भी दिया जा रहा है. लोगों ने बताया कि सड़कें अब पहले से बेहतर हो गई हैं वहीं बिजली को लेकर लोगों ने बताया कि बिजली स्पालाई की स्थिति सुधर गई है.
वहीं एक स्थानीय महिला ने बताया कि ''पहले यहां गुंडाराज दिखता था वो अब नहीं दिखता है. माहौल बिल्कुल अच्छा लगता है. महिलाएं अब कभी भी घर से बाहर जा सकती हैं. रात में भी घर से निकल सकतीं हैं. स्थानीय महिला ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से गोरखपुर पहले से बहुत बेहतर हो गया है.
गोरखपुर की एक पहचान गीता प्रेस से भी होता है. गीता प्रेस हिंदू धार्मिक ग्रंथों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा प्रकाशक है. यहां एक साल में दो करोड़ से ज़्यादा पुस्तकें छपती हैं और उनकी बिक्री भी होती है. छपाई से लेकर बिक्री तक की इस प्रक्रिया में बहुत सारी विशेषताओं का ध्यान रखा जाता है. आपको ये जान के हैरानी होगी कि अगर एक पुस्तक पर कवर लगा दिए जाते हैं तो उसे दोबारा ज़मीन पर नहीं रखा जाता है.
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