श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती कल, जानिए जनसंघ के संस्थापक से जुड़े ये कुछ रोचक तथ्य
कल देश में जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती मनाई जाएगी. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही सबसे पहले कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के लिए आमरण अनशन की शुरुआत की थी.
बीजेपी कल अपने नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 120वीं जयंती मनाएगी. बीजेपी शासित राज्यों में इस मौके पर कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे. हाल ही में 23 जून को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि थी. इस दिन बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राजधानी में 5 लाख पेड़ लगाने का अभियान शुरू किया था. दरअसल श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने ही जनसंघ की स्थापना की थी. आज की बीजेपी पुरानी जनसंघ पार्टी का ही नया रूप है.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी पहले शख्स थे जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 का विरोध किया था और इस कारण वे जेल गए थे, जहां संदिग्ध परिस्थिति में उनकी मौत हो गई. पीएम नरेंद्र मोदी गाहे बगाहे कहते रहे हैं कि वो जिस भारत की स्थापना में लगे हैं, वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी के ही सपनों का भारत है. उनके कई सपने आज साकार हो रहे हैं. यहां उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों की जानकारी दे रहे हैं, जो इस प्रकार है-
• श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म कलकत्ता में 6 जुलाई 1901 को बंगाल के उच्च प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. उनके पिता सर आषुतोष मुखर्जी महान अकादमिक और बैरिस्टर थे. उन्हें बंगाल का बाघ कहा जाता था. उनकी माता जोगमाया देवी भी उस समय की सबसे विदुषी महिलाओं में थी.
• अपने पिता की तरह ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी लॉ की पढ़ाई के लिए विदेश भेजा गया. 23 साल की उम्र में उन्होंने लॉ की डिग्री पास की और इसके बाद एमए बंगाली से किया. इंग्लिश की अन्य डिग्री भी हासिल की.
• सिर्फ 33 साल की उम्र में वे कलकत्ता यूनिवर्सिटी के सबसे युवा वाइस चांसलर बन गए. यह रिकॉर्ड आज तक किसी ने नहीं तोड़ा है. उनके नेतृत्व में गुरुदेव रवींद्र नाथ टैंगोर ने आधिकारिक रूप से पहली बार बंगाली में भाषण दिया था.
• 1929 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पहली बार कांग्रेस सदस्य के रूप में बंगाल विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए लेकिन अगले ही साल कांग्रेस से असहमति होने पर स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया और चुनाव जीते. बंगाल में फैजुल हक की गठबंधन सरकार का हिस्सा बने.
• 1942 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया और बंगाल हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बनाए गए. बाद में वे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने. यही से हिन्दुत्व के प्रति उनकी आस्था और मजबूत हुई और कहा जाता है कि हिन्दुत्व की राजनीति का वर्तमान स्वरूप की शुरुआत इसी मोड़ से हुई.
• कई घटनाओं के कारण स्वतंत्रता आंदोलन में मुखर्जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का बहिष्कार किया था. उनका मानना था कि इस कार्यक्रम से लोकप्रिय भावनाओं को भड़काकर देश की सांस्कृतिक अखंडता को खतरे में डाला जा सकता है. हालांकि उनका उद्येश्य प्रांत की रक्षा और स्वतंत्रता के लिए था ना कि ब्रिटिश सत्ता के पक्ष में. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अगुवाई में जनसंघ ने देश के बंटवारे का विरोध किया था.
• 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आरएसस प्रमुख एमएस गोवलकर के परमार्श पर भारतीय जनसंघ की स्थापना की. इस पार्टी का उद्येश्य सभी हिन्दुओं को सांस्कृतिक रूप से एकजुट कर उनमें राजनीतिक और राष्ट्रवादी भावनाओं का बीज बोना था.
• देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने मुखर्जी को अंतरिम सरकार में उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया था लेकिन नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच हुए समझौते के पश्चात उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था.
• श्यामा प्रसाद मुखर्जी शुरुआत से ही कश्मीर मे धारा 370 के खिलाफ थे. उनका मानना था कि इससे देश की अखंडता को धक्का लगेगा और ये देश की एकता में बाधक होगा.
• कश्मीर जाने के लिए उस समय लोगों को परमिट लेना होता था. श्यामा प्रसाद इसका विरोध करते हुए कश्मीर पहुंचे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 23 जून 1953 को सिर्फ 51 साल की उम्र में संदिग्ध परिस्थिति में उनकी मौत हो गई. कश्मीर में उनके साथ गए अटल बिहारी वाजपेयी ने आरोप लगाया था कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी की साजिश के तहत कांग्रेस की सरकार ने हत्या कर दी.
• पीएम नरेंद्र मोदी गाहे बगाहे कहते रहे हैं कि वो आज जिस भारत की स्थापना में लगे हैं, वह श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सपना था. कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम था. बीजेपी की सरकार जहां हिन्दुत्व की राह पर आगे चल रही है वहीं यह श्यामा प्रसाद मुखर्जी का ही सपना था कि देश सांस्कृतिक अखंडता के रास्ते पर आगे बढ़े.
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