Tamil Nadu Govt: तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर डीएमके के वरिष्ठ नेता के पोनमुडी को मंत्री पद पर बहाल करने के मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. पिछले साल दिसंबर में आय से अधिक संपत्ति केस में मद्रास हाईकोर्ट ने पोनमुडी को दोषी ठहराया था. इसके साथ ही उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था. हालांकि, अब ये मामला राज्य के गवर्नर आरएन रवि और डीएमके सरकार के बीच विवाद का केंद्र बन गया है. 


पिछले हफ्ते गवर्नर आरएन रवि ने पोनमुडी को फिर से पद पर बहाल करने से इनकार कर दिया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पोनमुडी की अयोग्यता के आधार को हटाने का भी निर्देश दिया है. पिछले साल दिसंबर में मद्रास हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में पोनमुडी को दोषी पाया. इसके साथ ही उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया और फिर वह मंत्री भी नहीं रह सकते थे. इसके बाद पोनमुडी ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी. 


सुप्रीम कोर्ट के आदेश से खत्म हुई अयोग्यता


इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मार्च को पोनमुडी की दोषसिद्धि और सजा पर रोक लगा दी. अदालत की रोक का मतलब था कि डीएमके नेता की सजा अब स्थगित हो गई. वहीं, पोनमुडी को दोषी पाए जाने पर मंत्री पद के लिए अयोग्य घोषित किया गया था, इसलिए अब सजा पर रोक के साथ ही उनकी अयोग्यता भी खत्म हो गई. हाईकोर्ट की तरफ से पोनमुडी को तीन साल की सजा और 50 लाख का जुर्माना लगाया गया था. 


तमिलनाडु गवर्नर ने क्यों जताई आपत्ति?


सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सजा पर रोक लगाने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 13 मार्च को गवर्नर आर एन रवि को चिट्ठी लिखी. इसमें उन्होंने गवर्नर से कहा कि वह 14 मार्च को पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ दिलवाएं और उन्हें हायर एजुकेशन मंत्रालय की कमान सौंपे. हालांकि, गवर्नर रवि ने पोनमुडी पर चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों का हवाला देते हुए उन्हें फिर से नियुक्त करने की सिफारिश को खारिज कर दिया.


सीएम को लिखी चिट्ठी में गवर्नर रवि ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पोनमुडी की सजा को सस्पेंड कर दिया था, लेकिन इसने सजा के अस्तित्व को रद्द नहीं किया है. गवर्नर ने तर्क दिया कि दोषसिद्धि को केवल "निलंबित किया गया था, रद्द नहीं किया गया." उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने पोनमुडी को जिन अपराधों के लिए दोषी पाया है, वो एक लोक सेवक के तौर पर उनके जरिए किए गए भ्रष्टाचार को ध्यान में रखते हुए गंभीर अपराध हैं. 


सीएम की सलाह पर मंत्री नियुक्त करते हैं गवर्नर


संविधान के अनुच्छेद 164 (1) में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति गवर्नर के जरिए की जाएगी. कैबिनेट के अन्य मंत्रियों की नियुक्ति गर्वनर द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाएगी और मंत्री राज्यपाल की मर्जी तक ही पद पर बने रह सकते हैं. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में यह कहा गया है कि गवर्नर की शक्ति मुख्य रूप से कैबिनेट की "सहायता और सलाह" देना है.


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