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किसान आंदोलन पर सुनवाई 11 जनवरी को, SC ने कहा- बातचीत से हल निकालने की कोशिश हो
आज चीफ जस्टिस ने कहा- हम चाहते थे कि बातचीत से गतिरोध दूर हो, लेकिन इतने दिनों में कोई तरक्की नहीं हुई है.केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि बातचीत से हल की उम्मीद नज़र आ रही है.
नई दिल्ली: किसान आंदोलन और कृषि कानूनों से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट 11 जनवरी को करेगा. एक मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने यह जानकारी दी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर उस दिन एटॉर्नी जनरल ने बताया कि बातचीत सही दिशा में चल रही है, तो सुनवाई को टाल दिया जाएगा.
आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी
सुप्रीम कोर्ट में मामले की आखिरी सुनवाई 17 दिसंबर को हुई थी. कोर्ट ने उस दिन किसान को सड़क से हटाने की मांग करने वाली याचिकाओं के साथ उन याचिकाओं को भी जोड़ दिया था, जिनमें कृषि कानूनों को चुनौती दी गई है. कोर्ट ने जाड़े की छुट्टियों के बाद आगे सुनवाई की बात कही थी.
हम चाहते थे कि बातचीत से गतिरोध दूर हो- चीफ जस्टिस
आज चीफ जस्टिस ने कहा, ''हम चाहते थे कि बातचीत से गतिरोध दूर हो, लेकिन इतने दिनों में कोई तरक्की नहीं हुई है.'' इस पर केंद्र की तरफ से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि बातचीत से हल की उम्मीद नज़र आ रही है. इसलिए सरकार ने अब के याचिकाओं पर अब तक जवाब दाखिल नहीं किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज एक और नई याचिका को मामले के साथ जोड़ दिया. इस याचिका में 1954 के संविधान संशोधन को चुनौती दी गई है. इसके तहत कृषि उत्पाद बिक्री से जुड़ा विषय समवर्ती सूची में डाला गया था. इसी अधिकार का इस्तेमाल करते संसद ने नए कृषि कानून पास किए हैं. कोर्ट ने सोमवार को सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए लगाने की बात कही. साथ ही यह भी कहा कि किसान संगठनों और सरकार की बातचीत सकारात्मक दिशा में चलने की जानकारी मिलने पर उस दिन सुनवाई को टाला भी जा सकता है.
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